राजमहल 1 पार्ट 3 Antarvasnastory2.in

लेखक – सीमा सिंह

आगे की कहानी

कैलाश की उत्तेजना बढ़ गई और वो उसे तेज़ी के साथ नीचे से चोदता रहा, कुछ ही देर में रानी चिल्लाई मैं अब झड़ने वाली हूँ।

कैलाश भी झड़ने वाला था, उस के लंड से कुछ ही देर में पानी निकला जो उसकी चूत में समां गया, उसी समय रानी ने भी उसे कस कर दबोच लिया, वह भी झड़ गई थी।

फिर वो कुछ देर तक यूँ ही एक-दूसरे से लिपट कर लेटे रहे, और रानी तो कैलाश के ऊपर ही सो गई, लंड बाहर आ चुका था और वो दोनों नींद की आगोश में चले गए।

सुबह जब कैलाश की आँख खुली तो देखा रानी नग्न उसके बगल में लेटी थी, चेहरे पर वो ही मासूमियत, संतुष्टि नजर आ रही थी।

चेहरे पर बालों की लट, कैलाश ने उसको हटाने की कोशिश की तो रानी भी जाग गई, सुबह के उजाले में दोनों के नग्न जिस्म चमक से रहे थे।

तीसरी रानी ने जागते ही कैलाश को बाँहों में भर के चूमा और बोली  इतनी सुकून की नींद शायद पहली बार आई।

फिर वो दोनों कपड़े पहन कर कक्ष के बाहर आ गए, वो दोनों शकुंतला के पास गए,  शकुंतला ने राजकुमार को आज की रात पहली और दूसरी रानी के साथ मिल कर पुत्र प्राप्ति के लिए पूजा करने को कहा।

तीसरी रानी से कहा कि राजा जी आज की रात तुम्हारे साथ रहेंगे, ये कहकर उस ने सब को जाने के लिए कहा।

रात को राजा संतोष तीसरी रानी के कक्ष में गए आधे पहर से कम वक्त (15 मिनिट) में बाहर आ गए क्योंकि उन्होंने कक्ष में जाते ही।

तीसरी रानी को कपड़े उतार कर लेट जाने को कहा, और अपने कपड़े उतार का सीधे तीसरी रानी की चूत में लंड डाल कर उसे तेज तेज चोदने लगे।

और राजा संतोष कुछ ही पल (5 मिनिट) में झड़ गए, और कपड़े पहन कर कक्ष से बाहर आ गए ।

2 माह बाद महल में फिर से खुशी लोट आई थी, तीसरे रानी गर्भ से थी, ये सूचना पूरे राज्य में आग की तरह फैली।

9 माह बाद रानी ने 2 पुत्रों को जन्म दिया और प्रसव पीड़ा में उस की भी मौत हो गई, इस बार भी राजमहल की खुशी मतम में बदल गई।

जिस रानी में राज्य को राजकुमार दिया वही मर गई सब लोग बहुत दुखी थे राजकुमार के जन्म पर होने वाले समारोह को टाल दिया गया।

राजा संतोष ने घोषणा की के सारे जश्न बस कुछ ही लोगों की उपस्थिति में मनाए जाएंगे, रानी की मौत से सबको दुख पहुंचा है इसलिए हमें यह फैसला लेना पड़ा।

शकुंतला ने बड़े पुत्र को पहली रानी और छोटे पुत्र को दूसरी रानी को सौंप दिया, और कहां शायद भगवान ने तुम दोनों के लिए ही ये सब किया है।

यह सुनकर दोनों रानियां अपने अपने पुत्रों को गले से लगाकर फूट-फूट कर रोने लगी और तीसरी रानी और भगवान का धन्यवाद करने लगी।

एक माह के बाद पहले पुत्र का नाम जुबेर रखा वो काले रंग का था और दूसरे पुत्र का नाम वरुण रखा उसका रंग गोरा था।

3 साल बाद वो दोनों व्यक्ति आय और दोनों राजकुमार को अपने साथ ले गए और जब वो 21 साल के हो गए तो फिर से उन के राज्य में लोट आए।

उन दोनों व्यक्तियों के वापिस जाने से पहले उस ने संतोष,  शकुंतला, कैलाश और पहली और दूसरी रानी, जुबेर और वरुण को एक अकेले कक्ष में बुलाकर कुछ कहने लगे।

उन्होंने कहा बाकी की सब बाते तो कुलगुरू आप को बता चुके है, कुछ बाते हम आपको बताते है ।

ये दोनों इस राज्य पर शासन करेगे, और वरुण इस राज्य का राजा होगा, दूसरी बात जुबेर और वरुण के लिए है।

वरुण उन्ही नारी के साथ चूदाई कर सकता है जिन की चूत और गांड की चूदाई जुबेर कर चुका हो, अगर वरुण ऐसा नही करता है ।

और किसी नारी के साथ संबंध बना लेता है दूसरे दिन ही सुबह जुबेर और वरुण की मौत हो जाएगी, और ये दोनों एक साथ मिल कर किसी भी नई नारी को चोद सकते है।

ये कहकर वो दोनों व्यक्ति  उनके राज्य से चले गए, बड़े राजा संतोष ने कहा हम सब भी जुबेर और वरुण का ध्यान रखेगे।

बड़ी रानी शकुंतला बोली रात को दोनों एक साथ सोइंगे, और राज्य से बाहर जायेंगे तो साथ में जायेंगे।

रात का भोजन करने के बाद दोनों राजकुमार अपने कक्ष 

में चले गए, कुछ देर बाद राजकुमार के कक्ष के बाहर पहली और दूसरी रानी एक दासी के साथ खड़ी थी।

रानियों ने दासी से कहा कि तुम्हे राजकुमारों को खुश रखना होगा क्योंकि हम ने तुम को तुम्हारे घर वालों से 500 सिक्के में खरीदा है।

और हम ने तुम्हे जो दूध के साथ औषधि खिलाई है इस से तुम्हारे शरीर में ताकत बड़ जायेगी, जिस से चूदाई में तुम्हारा जोश कम नही होगा।

वो दासी कक्ष में चली गई, दोनों राजकुमार पलंग पर थे , और उनके शरीर पर लंगोट के सिवाए कुछ नही था।

जैसे उन राजकुमारों ने उस दासी को देखा तो वो समझ गए इस समय ये दासी यहां क्या कर रही है और उन दोनों ने एक दूसरे को देखा और उन के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

फिर जुबेर बोला दासी आओ हमारे पास बैठो, हमें तुमसे कुछ पूछना है, दासी पलंग पर उन दोनों के बीच में ही चिपककर बैठ गयी ।

वरुण ने दासी से पूछा,अब मुझे बताओ दासी तुम यहां क्यों आई हो हमारे कक्ष में ? दासी चुप रही, जुबेर ने पूछा तुम्हे कक्ष में किस ने भेजा है ?

तो दासी ने बताया कि पहली रानी और दूसरी रानी ने मुझे आपकी सेवा में लगा दिया है, मुझे आप दोनों का ख्याल रखना है।

ये सुन कर वरुण बोला भाई पहले आप ही इस से सेवा करवा लो में पास में ही आसन गृहण कर लेता हु, और देखता हु दासी कैसे आपकी सेवा करती है। https://www.antarvasnastory2.in/

वरुण के पलंग से हटने के बाद,जुबेर ने उस दासी को अपने गले से लगा लिया, और दासी से बोला क्या में तुम्हारे साथ संभोग कर सकता हूं ?

ये सुन कर तो दासी के रोंगटे खड़े हो गए, क्योंकि पराए मर्द से ये उस का पहला स्पर्श था, फिर दासी ने जुबेर के कान में मुँह लगाकर कहा हां राजकुमार।

आप मेरे साथ जो चाहे वो कर सकते हो में आप दोनों की दासी हूं, दासी की श्वासों की गर्म हवा से जुबेर का लंड बहुत ज्यादा उत्तेजित हो रहा था।

जुबेर ने दासी का चेहरा अपने दोनों हाथों में लेकर उसके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए और हल्का सा चूम दिया।

फिर जुबेर ने अपनी जीभ को उसके होंठों पर घुमायी तो दासी रोमांचित होकर कांपने लगी, और जुबेर को हटा कर उस की तरफ देखने लगी।

फिर अचानक दासी ने अपने होंठों से जुबेर के गले और गालों पर चुंबनों की बरसात कर दी, उन दोनों ने एक दूसरे को कसकर बांहों में जकड़ रखा था।

अब जुबेर ने दासी को छोड़ा और उसे पलंग पर लिटाते हुए कहा तुम पहली नारी हो जो हम दोनों भाइयों से चुदेगी।

फिर जुबेर ने दासी से चिपककर एक हाथ उसके सर के नीचे डाला और दूसरे हाथ से उसकी दोनों चूचियां(बूब्स) बारी बारी से मसलने लगा।

वाह क्या चूचियां थी दासी की  एकदम गोलमटोल और कड़क होती जा रही थीं, दासी गर्म होने लगी थी, उसके मुँह से कामुक सिसकारियां निकल रही थी।

जुबेर ने दासी की चूचियां जोर से रगड़ते हुए उस के होंठों को antarvasna चूस लिया, दासी ने भी अपना मुँह खोलकर अपनी जीभ जुबेर के मुँह में डाल दी।

वो दोनों एक दूसरे की जीभ चूसते हुए होंठ भी चूसने लगे, दासी और जुबेर एक-दूसरे की पीठ को हाथों से सहला रहे थे।

दासी पूरी तरह से जुबेर के शरीर से चिपक गयी थी, वो दोनों बहुत ही ज्यादा गर्म हो गए थे, उन दोनों की गर्म सांसें कामवासना को भड़का कर एक दूसरे को उत्तेजित कर रहे थे।

अब जुबेर अपना एक हाथ दासी के नितंब(चूतड़) पर रखकर आहिस्ता आहिस्ता कपड़ों के ऊपर से ही दबाने लगता है।

जुबेर पहली बार किसी औरत के गोलमटोल चूतड़ों (नितंब) को सहला रहा था, वो बहुत जोश में आ गया था, दासी भी पहली बार ये सब कुछ महसूस कर रही थी।

इसी वजह से दासी जुबेर के लंड पर अपने हाथ को और जोर से रगड़ने लगी,  और वो अपना एक पैर जुबेर के पैर 

पर रखकर सहलाने लगी।

इसी बीच दासी के कपड़े कमर के ऊपर को सरक गए थे, जुबेर ने अपने हाथ दासी की कमर पर लेजा कर हाथ फिराने लगा ।

दासी भी यही चाहती थी, उसने अपनी कमर हल्के से ऊपर उठा दी और अपने कपड़े ऊपर सरका दिए, अब जुबेर उस की कमर से नाभि तक हाथ फेरने लगा।

दासी की पतली कमर और नाभि को देखकर जुबेर का लंड अन्दर ही फड़फड़ा रहा था, ऐसा लगता था कि लंड लंगोट फाड़कर बाहर आ जाएगा।

उस ने दासी के कपड़े उतार कर उसे अधनग्न कर दिया, जुबेर ने दासी को पीठ के बल लिटा दिया और सीधा उसके ऊपर लेट गया, 

दासी के दोनों हाथ अपने हाथ में लेकर उंगलियों को एक दूसरे की उंगलियों में फंसाकर अपने हाथ दोनों तरफ फैला दिए।

दासी का पेटीकोट जांघों के ऊपर तक सरक गया था, उन दोनों के पैर, जांघें एक दूसरे से सटे हुई थी, दासी की चूचियां जुबेर के सीने पर चुभ रही थी।

वो दोनों एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे, इस तरह कुछ देर वो दोनों ऐसे ही अवस्था में एक दूसरे के होठों का रसपान करते रहे।

उन दोनों के बदन बहुत गर्म हो चुके थे, एक दूसरे के शरीर स्पर्श से कामोत्तेजित हो गए थे।

दासी के मुँह से मादक सिसकारियां निकल रही थी क्योंकि जुबेर दासी की पीठ, कमर और नितंब को अपने दोनों हाथों से सहला रहा था ।

जुबेर के हाथों के स्पर्श से दासी का कोमल बदन कामवासना में डूबता जा रहा था, राजकुमार वरुण पास बैठ कर ये सब देख रहा था।

दासी कामुक सिसकारियां ले रही थी, जुबेर ने उसकी पीठ के नीचे हाथ डालकर उसके बिलाउज की डोरी की गठन खोलकर बिलाउज को निकल कर फेक दिया।

जुबेर ने उसके तने हुए स्तनों को आजाद कर दिया, एकदम गोल मटोल और कसी हुई, भूरे रंग के कड़क चुचक, कामुकता की वजह से उसके चुचक में काफी कड़ापन आ गया था।

जुबेर ने झुककर दासी के दोनों चुचक को बारी बारी से उन पर अपनी जीभ घुमा दी, और फिर अपनी जीभ से उसके चुचक(निपल्स) चूसने लगा।

दासी के मुँह से कामुकता भरी सिसकारियां और भी तेजी से निकलने लगी, इस से जुबेर और जोश में आ गया और उसकी दोनों चुचक(निपल्स) को जोर जोर से चूसने लगा

अब दासी कुछ कसमसाने लगी और तड़फ कर बोली हाय भगवान कितना मस्त चूस रहे हो, पहली बार इन्हें चूसकर तुम मुझे कितनी खुशी दे रहे हो।

तुम एक अनुभवी मर्द के जैसे चूस रहे हो मेरे राजकुमार आह बहुत मजा आ रहा है, पहली बार किसी मर्द ने इन चुचक(निपल्स) को चूसा है।

जुबेर ने अपने दोनों हाथों से दासी की निपल्स(चूचक) रगड़ने लगा, तो वो छटपटाने लगी और उस के मुंह से उई मां ऊ ऊ हाय ह मजा आ रहा है आंह ऐसे ही रगड़ते रहो अंह ऐसे ही मसलो।

जब दासी ने ये बोला, तो जुबेर ने पूरी ताकत से उसके निपल्स(चुचक) रगड़ने लगा, कुछ ही देर में निपल्स(चुचाक) पूरी लाल हो गई थी।

दासी दर्द के मारे कराहने लगी और बोली अब रेहम भी करो राजकुमार बहुत बुरा हाल हो रहा है मेरा, अब मेरी चूत में अपना लंड जल्दी से डाल दो, इसमें बहुत आग लगी है।

मगर जुबेर दासी को और तड़पाना चाहता था, उसने अपना एक हाथ दासी के पेटीकोट की घटान पर लेजाकर घटान को खोल दिया।

और पेटीकोट को अपने हाथ और पैरों से दासी के शरीर से अलग कर दिया, उसने दासी के ऊपर से उठकर 69 पोजीशन में कर लिया, अपने घुटनों के बल उसके ऊपर आ गया।

जुबेर के सामने दासी की मस्त चुत दिख रही थी, उसने झुककर उसकी चुत को अपने होंठों से चूम लिया, दासी पहली बार किसी मर्द के होंठों का स्पर्श अपनी चुत पर महसूस कर रही थी।

वो बहुत ही कामुक होकर बोली हाय राजकुमार ये क्या कर रहे हो ऐसी गंदी जगह पर भी कोई चुम्बन करता है क्या ? लेकिन राजकुमार मुझे बहुत मजा आ रहा है।

चुम्बन के बाद जुबेर दासी की चूत को देखता है, चूत पूरी साफ थी, चूत पर एक भी बाल नहीं था, शायद आज सुबह ही अपनी चुत के बाल लेप(जादीवुटी से बनी क्रीम जिससे बाल हट जाते है) से हटाए होंगे।

दासी की चूत पूरी गीली हो गयी थी, बहुत कसी हुई कुंवारी चुत थी, जुबेर ने अपनी जीभ चुत पर ऊपर से नीचे तक चलायी।

तो दासी छटपटाने लगी, उसके मुँह से वासना भरी सिसकारियां निकल रही थी आ अ  आआ उ उ आआ अह्ह ह्हह ऊऊऊ ह्ह्ह्ह् ह्ह।

दासी का चुत रस बहुत ही टेस्टी था और उसमें से मस्त सुगंध आ रही थी, ऊपर का पूरा रस जुबेर ने चाटकर साफ कर दिया।

दासी लगातार सिसकारियां भर रही थी आ अ आआ उ उ आआ और वो दोनों हाथों से जुबेर की पीठ को सहला रही थी।

और दासी भी बीच बीच वो जुबेर के लंड को लंगोट के ऊपर से ही दबा देती थी, जिस से लंड अन्दर फड़फड़ा रहा था, इस से उस का जोश और बढ़ने लगा।

आप मेरे साथ बने रहिए और इस राजमहल कहानी पर किसी भी प्रकार की राय देने के लिए आप मेल पर मुझसे संपर्क कर सकते हैं.

seema.singh2003@proton.me

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