राजमहल 1 पार्ट 4 : Antarvasnastory2.in

लेखक – सीमा सिंह

आगे की कहानी

और दासी भी बीच बीच वो जुबेर के लंड को लंगोट के ऊपर से ही दबा देती थी, जिस से लंड अन्दर फड़फड़ा रहा था, इस से उस का जोश और बढ़ने लगा।

अब जुबेर ने दासी की चुत की दोनों पंखुड़ियों को दोनों हाथों से अलग की और अपनी जीभ चुत के अन्दर डाल दी।

वो दासी एकदम से सिसक उठी आआ अह् ह्ह आआ अह्ह्ह् उउउ ह्ह्ह्ह और अपनी टांगें कुछ ज्यादा ही फेला दी।

उसने अपनी कुल्हे उठाई तो जुबेर ने जीभ को और अन्दर बाहर करने लगा, उसकी मस्त चुत अन्दर से बहुत ही गर्म थी।

दासी अब पागलों के जैसी सीत्कारने लगी उउउ उह् ह्ह आआ आह्ह्ह् ह्ह्ह आ आ आआ ह्ह् ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह मर गईई ईईई।

दासी ये सब पहली बार अनुभव कर रही थी, वो बहुत ही ज्यादा कामुक हो गयी थी, अब उससे रहा ही नहीं गया। 

तो दासी ने जुबेर की लंगोट को खुद खोलने लगी और लंगोट को उसके शरीर से अलग कर दिया, अब वो भी नंगा हो गया था।

जुबेर का लम्बा मोटा लंड(10 इंच लंबा 3.5 इंच मोटा) दासी के मुँह पर झूलने लगा था, दासी ने दोनों हाथों में उस के लंड को पकड़ लिया और वो अपने कोमल हाथों से लंड सहलाने लगी।

उसके इस तरह से लंड सहलाने से जुबेर का जोश और बढ़ने लगा, और इधर वो उसकी चुत को पूरी जीभ अन्दर बाहर करके चोद रहा था।

तो दासी जुबेर का सर अपनी जांघों में जकड़ ले रही थी, तभी उससे सहा नहीं गया और वो झड़ने लगी, जुबेर अपनी जीभ से चुत का रस चाटने लगा।

दासी ने भी अपनी टांगें दोनों तरफ फैला दी, ढेर सारा चुतरस लावा की तरह चुत से बह कर गांड के छेद पर जा रहा था, जुबेर अपनी जीभ तेजी से चुत से लेकर दासी की गांड के छेद तक फिरा रहा था और चुतरस चाट रहा था।

जानबूझकर जुबेर दासी की गांड के छेद पर अपनी जीभ गोल गोल घुमा देता था, जिससे दासी की कामुकता और बढ़ जाती थी और वो अपने कूल्हे को ऊपर उठा देती थी।

दूसरी तरफ दासी जुबेर के लंड वो जोर से मसल देती थी, फिर उसके लंड का फूला हुआ सुपारा उसने अपने मुँह में ले ही लिया और लंड चूसने लगी।

इससे जुबेर का जोश और भी बढ़ गया था, दासी पहली बार जुबेर का बड़ा सा सुपारा चूस रही थी, बहुत ही मुश्किल से उसने लंड मुँह में लिया था।

दासी की सांसें रुक जातीं तो वो लंड बाहर निकाल देती और फिर से अन्दर ले लेती थी, कुछ पल बाद दासी बोली आह राजकुमार इतना बड़ा पूरा मेरे मुँह में गया। 

तो मैं मर ही जाऊंगी, राजकुमार, तुम्हारा लंड इतना बड़ा है, इस तरह दासी पागलों सी बड़बड़ा रही थी, इधर जुबेर अपनी पूरी जीभ उसकी चुत के छोटे से छेद में डालकर चोद रहा था।

दासी मदहोश हो रही थी, अपनी कूल्हे उठाकर जुबेर के मुँह पर दबाव बढ़ाती थी, फिर वो अपने एक हाथ से उसका सिर अपनी चुत पर दबाने लगी।

जुबेर ने दासी की चुत चाटकर पूरी साफ कर दी थी, दासी बोली राजकुमार , अब डाल दो अपना लंड मेरी चूत में अब नहीं रोक सकती अपने आपको।

बहुत आग लगी है चूत में राजकुमार, ये कह कर उसने जुबेर का सर अपनी चुत से दूर कर दिया।

जुबेर का लंड भी अब चूत में जाने के लिए फड़फड़ा रहा था, जुबेर दासी के ऊपर से उठ गया और एक शिरहन (तकिया) लेकर दासी की गांड के नीचे रख दिया।

अब जुबेर दासी की दोनों टांगों के बीच अपने घुटनों के बल बैठ गया और उसकी चुदाई की अवस्था में आ गया, दासी ने उसकी दोनों टांगों में अपनों टांगें फंसाकर चुत का मुँह और खुला कर दिया।

जुबेर ने अपने मुँह से ढेर सारा थूक दासी की चुत पर मल दिया और उसकी चुत को अन्दर बाहर से पूरा गीला कर दिया।

फिर जुबेर ने अपने लंड को देखा वो दासी के थूक से गीला था, सुपारा और पूरे लंड पर बहुत सारा थूक लगा हुआ था।

फिर जुबेर ने अपने एक हाथ से दोनों उंगलियों से दासी की चुत की दरार को पसारा और अपने दूसरे हाथ में लंड पकड़कर उसकी चुत की दरार में ऊपर से नीचे तक सुपारे को रगड़ने लगा।

जुबेर उसके ऊपर वाले दाने को भी रगड़ रहा था तो दासी  कसमसाने लगी और सिसकारियां लेने लगी आ ओ ओ  आआ आ  सी उउउ अ आआअ ह्ह्ह्ह्ह्ह आआऔउ उउउ ह्ह्ह्ह्ह।

दासी बोली राजकुमार जल्दी डालो ना अन्दर अब नहीं सह सकती मैं,  इतना सुनकर जुबेर ने जोश में आकर लंड को दासी की चुत के छेद पर लगा दिया।

उसकी कमर को अपने दोनों हाथों से जकड़ कर एक धक्का मारा तो गीलेपन की वजह से सुपारा दासी की चुत को चीरने की कोशिश करने लगा।

दासी जोर से चिल्लायी उउउ उह्ह्ह आआआ ह्ह्ह्ह्ह्ह आआ आआ ह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह मर गईईईईईऔर छटपटाने लगी।

जुबेर ने तुरंत अपने मुँह से उसका मुँह बंद कर दिया, दासी की आंखों से आंसू बह रहे थे, उसने अपना मुँह हटा दिया और उसे सांस लेने दी।

दासी रोते हुई बोली बहुत पीड़ा(दर्द) हो रहा है राजकुमार तुम्हारा लंड ही इतना बड़ा है कि शायद ये मेरी चुत को फाड़ ही देगा, मुझे ऐसा लगा कि कोई गर्म मूसल चूत में घुस रहा है।

राजकुमार जी जरा आहिस्ता आहिस्ता डालो ना, पहली बार ले रही हूँ, इतना कहकर वो जुबेर के होंठों को चूसने लगी, जुबेर भी उसके होंठों को चूसने लगा।

कुछ देर बाद जुबेर ने दासी से कहा अभी थोड़ी तकलीफ और सहन कर लो, अभी तक तुम्हारा कुंआरापन नहीं टूटा है, दर्द तो और सहना पड़ेगा। Antarvasnastory2.in

इतना कहने पर जुबेर अब दासी की निपल्स (चुचक) चूसने लगा दांतों से काटने लगा, दासी अपने दोनों हाथ से उसके सर को पकड़कर अपने स्तन पर दबाने लगी।

जुबेर ने एक धक्का देकर अपना लंड और कुछ अन्दर डाल दिया, दासी फिर से जोर से चिल्लायी ऊओ ह्ह्ह मर डाला आआ हे भगवान आह्ह्ह् ह  आऊउ छछ मेरी तो जान निकल गई आआ आआ ह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह मर गईई ईईई।

शायद अब दासी की चुत की झिल्ली की दीवार टूट चुकी थी और चुत से खून बहने लगा था, छटपटा रही थी और रो रही थी।

दासी ने नीचे चुत के आसपास हाथ लगाया तो उसके हाथ पर खून लगा था, उसने हाथ निकालकर खुद अपनी आंखों से देखा और जुबेर को भी दिखाया।

तो जुबेर ने कहा कि ये तो हर नारी के साथ होता है, अब जुबेर का लंड दासी की चुत की दीवारों को चीरकर आधा अन्दर जा चुका था।

चुत छोटी होने के कारण लंड एकदम कसा हुआ फंसा था क्योंकि चुत की दीवारों ने कसके पकड़ रखा था ये उसके जीवन की पहली चुत का अनुभव था।

जुबेर दासी के निचला होंठ अपने मुँह में लेकर चूसने लगा, वो भी मदहोश होने लगी और वो भी जुबेर के ऊपर का होंठ अपने मुँह से चूसने लगी।

वो अपने दोनों हाथों से जुबेर की पीठ को सहलाने लगी, तो जुबेर भी आहिस्ता से थोड़ा सा लंड को बाहर निकाला और फिर से अन्दर कर दिया।

दासी भी नीचे से अपनी कूल्हे उठाकर साथ दे रही थी, इससे जुबेर को और जोश आ गया और उसने अपना लंड सुपारे तक बाहर निकाला और जोर से अन्दर डाल दिया।

जुबेर का आधे से ज्यादा लंड चुत के अन्दर घुस चुका था, अब बस कुछ ही लंड बाहर था, दासी के मुंह से चीख निकल गई  उ उ आ उ आ आआ ह्हह्ह आउउ उउह्ह।

अब जुबेर अपना लंड आहिस्ता आहिस्ता अन्दर बाहर करने लगा तो दासी भी नीचे से अपनी कमर उठाकर लंड को चूत में लेने लगी।

दासी के मुँह से गरमाहट भरी सिसकारियां निकल रही 

थी आह आआआअ उम्म्ह अहह हय  याह उ उ उ उ उह।

जुबेर का लंड अन्दर बाहर हो रहा था, साथ में वो अपने लंड को धक्का मार के चूत में और गहरे डाल देता था।

चुत की गरमाहट लंड को और जोश दिला रही थी और जुबेर जोर जोर से दासी के दोनों स्तन (बूब्स) मसल रहा था।

दासी पूरी तरह से कामवासना में डूबकर अपनी आंखें बंद करके आनन्द ले रही थी, अब उसका बदन अकड़ने लगा था।

वो छटपटा रही थी और हाय ऊं ऊं हुँ हूँ  की आवाज के साथ सिसकारियां ले रही थी, पूरे कक्ष में सिसकारियों की आवाजें गूंज रही थी।

तभी दासी की चुत अपने गर्म चुतरस की बौछार जुबेर के लंड पर करने लगी, दासी खुद को रोक नहीं सकी, वो अब झड़ चुकी थी।

जुबेर का काम अभी चालू ही था, पूरा लंड अन्दर बाहर कर रहा था, तो चुतरस बाहर आकर बहने लगा, उसका लंड पूरा गीला होने के कारण ताबड़तोड़ चल रहा था तो फंच फंच फंच की आवाज निकलने लगी थी।

जुबेर जोरों से धक्का मारकर पूरा लंड दासी की चूत में डालकर चोदते हुए उसके ऊपर झुक गया और उसके होंठों को चूमने लगा।

जुबेर निढाल पड़ी दासी से कहा आंखें खोलो दासी, अब पूरा मूसल तुम्हारी चुत ने समा लिया है, बहुत तकलीफ दी है तेरी चुत ने मेरे लंड को।

और जुबेर बहुत तेजी से अपने लंड को दासी की चूत में अंदर बाहर करने लगा जिससे दासी के मुंह से तेज तेज सिसकारियां निकल रही थी।

आ ओ ओ आआ आ सी उउउ अ आ आअह्ह्ह् ह्ह्ह आआऔउ उउउ ह्ह्ह्ह्ह, जुबेर थोड़ी ही देर में उसकी चूत में झड़ गया।

पलंग की एक ओर लेट गया और लंबी लंबी सांस लेने लगा जब उसकी सांसे थमी तो उठा और दासी से बोला जाओ पानी से अपने आप को साफ करो।

और बहुत धीरे से उसके कान में कहा चूत को अंदर तक पानी से साफ कर लेना, मादक इतर भी लगा आना, उसे जल्दी वापस आने को कहा।

फिर जुबेर में वरुण के पास जाकर आसन ग्रहण किया और वरुण से बोला कि भाई अब तेरी बारी है चूदाई करो इस दासी के साथ।

वरुण हुटा और पलंग पर लेट गया और कुछ देर बाद जब दासी वापिस आई तो उसने दासी को अपने पास बुलाया, दासी वरुण के पास आकर पलंग पर बैठ गई।

तो वरुण ने उसे अपने बाजू में लिटा लिया, दासी लेट गई, वरुण ने उसके पैर के ऊपर अपने पैर रख दिया, और एक एक हाथ से दासी के स्तनों (बूब्स) को दबाने लगा।

दासी को ये सब अच्छा लग रहा था, वरुण ने दासी के स्तनों को दूर से देखा था, पर अब पास से देख रहा था  बहुत मस्त थे एकदम टाईट और गोल गोल।

वरुण ने उसको अपनी तरफ करके उसके होंठों पर चूम लिया , तो दासी ने भी वरुण को चूम लिया, अब वो दोनों एक दूसरे को चुम्बन करने में लग गए।

वरुण दासी के दोनों स्तनों को जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया, कुछ ही देर में उत्तेजना चरम पर आ गई, उसने एक हाथ से दासी का एक स्तन दबाता और दूसरा स्तन के निपल्स (चुचक) को मुँह में लेकर चूसने लगा।

दासी ने भी वरुण के सर पर हाथ रखा सहलाते हुई और उसे अपने निपल्स पिलाने लगी, वरुण अपने दूसरे हाथ से दासी की चुत में उंगली करने लगा और दासी को गर्म करने लगा।

दासी एयेए आआह एयेए एयेए करके सिसकरिया लेने लगी, कुछ ही देर में दासी पूरी गर्म हो गईं और लंड को लंगोट के ऊपर से ही पकड़ कर हिलाने लगी।

दासी ने वरुण की लंगोट को खोलकर निकाल दिया और उसे पूरा नंगा कर दिया, अगले ही पल दासी के हाथ में उसका गोरा सा मोटा लंड हाथ में आ गया था।

दासी लंड हिलाने लगी, वरुण बोला दासी मुँह में लेकर चूस इसे, वो मुंह में लेकर लंड को चूस रही थी।

थोड़ी देर बाद वरुण पीट के बल लेटा और दासी को उल्टा लिटा लिया, दासी की चूत वरुण के मुंह के सामने थी और वरुण का लंड दासी के मुंह के सामने था (69 पोजिशन)।

वरुण ने दासी की चुत चाटना शुरू कर दी, वो दासी की दोनों टाँगों को फैलाकर उसकी चिकनी चुत चाटने लगा, उसकी चुत में से एक मस्त महक आ रही थी।

जिससे वो और भी गर्म हो गया था, वरुण ने दासी की चुत को पूरी लगन से चाटा, दासी भी उसका लंड चूसने में लग गई, वो दासी के मुँह में अपना लंड डालने लगा।

दासी अपनी जुबान से वरुण के पूरे लंड को चाटने लगी और चूसने लगी, वरुण एकदम से बहुत गर्म होने लगा था और उसके मुँह से कराहें निकलने लगी थी।

कुछ देर करने के बाद वो दोनों अलग हुए और लंबी लंबी सांसे लेने लगे जब उनकी सांसे थमी तो वरुण पलंग से नीचे उतर गया।

फिर उसने दासी को भी पलंग के नीचे खड़ा किया और पलंग के सहारे खड़ा करके वरुण ने उसकी एक टांग उठा कर पलंग पर रख दी।

और दासी की चुत में अपना लंड डाल दिया, दासी की चूत से फच फच फच फच आवाज निकलने लगी और मुंह से सिसकारियां आआ अह्ह्ह आआ अह्ह्ह् उउउ ह्ह्ह्ह।

वरुण दासी के निपल्स (चुचक) चूसने लगा और दासी की चुदाई करने लगा, कुछ ही देर में उन दोनों की चुदाई बहुत तेजी से धकापेल चलने लगी।

आप मेरे साथ बने रहिए और इस राजमहल कहानी पर किसी भी प्रकार की राय देने के लिए आप मेल पर मुझसे संपर्क कर सकते हैं.

seema.singh2003@proton.me

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