कुंवारी साली की चूत गांड चोदी ससुराल में पार्ट 1

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम गिरीश है और मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर का रहने वाला हूँ। शहर इसलिए कि वैसे तो मेरा घर गांव में है लेकिन गांव से शहर की दूरी मात्र 3 किमी की दूरी पर है। मेरी उम्र इस समय 27 वर्ष है और लंबाई 5 फुट 7 इंच है। मेरे लंड का साइज 8 इंच है। 

ये मेरी इस साइट पर पहली कहानी है। चूंकि मैं इस साइट का नियमित पाठक हूँ। मैं शादीशुदा हूँ पर शादी से पहले से ही मैं हर रात को इस साइट पर विजिट करके कहानियाँ पढ़कर मुठ मार कर तभी सोता था। जब तक मैं एक सेक्स स्टोरी पढ़कर मुठ न मार लूं तब तक नींद नहीं आती। ऐसे ही एक बार कहानी पढ़ते पढ़ते अचानक एक धोखे से रिश्तेदार की चुदाई की कहानी पढ़कर मेरे दिमाग में ख्याल आया कि  क्यों न अपने जीवन की घटित एक सच्ची घटना आप सबके साथ शेयर की जाए। 

तो ये कहानी आज से लगभग 5 साल पहले मेरी और मेरी साली की चुदाई की है। मेरी नई नई शादी हुई थी और मेरी बीवी का नाम रचना है। रचना बहुत ही खूबसूरत लड़की थी। उसके चूचे 36 इंच सुडौल गोल खरबूजे जैसे, कमर 30 इंच की और गांड 38 इंच की थी। ऊपर से नीचे तक मेरी बीवी रचना एक दम स्वर्ग की अप्सरा मेनका, रंभा जैसी थी। मैं रचना जैसी खूबसूरत और हसीन बीवी पाकर बहुत खुश था। 

वैसे तो मैं बचपन से ही बहुत आशिक मिजाज़ रहा हूँ। मैंने बचपन से आज तक बहुत गर्म और सेक्सी लड़कियों की चूत और गांड मारी है। बिना किसी जाति, धर्म, काली, गोरी का भेदभाव किए, 18 साल की कमसिन कली से लेकर 45 साल की औरतों तक को चोदा है। 

चूंकि मेरा मानना है कि चूत और लंड के बीच केवल एक रिश्ता चुदाई का ही होता है। और लड़की कितनी ही खूबसूरत गोरी क्यों न हो, चूत तो काली ही होती है और काली चूत भी वही मजा देती है जो गोरी गुलाबी चूत देती है। इसलिए मैंने इन सबका भेदभाव न करते हुए अपनी जिन्दगी के भरपूर मजे लिए हैं। 

मैं 27 साल का 5 फुट 7 इंच का गबरू जवान हूँ। मेरा लंड 8 इंच लम्बा है जो कि अच्छे अच्छे चूत से पानी निकालकर उनको निढाल करने के लिए काफी है। 

मेरा अपना कपड़ों का शोरुम है मेरे गांव से महज 3 किमी दूर शहर में। मेरी आमदनी अच्छी खासी होने के कारण खर्च भी अच्छी खासी है। गांव में औरतों और लड़कियों को चोदना बहुत आसान है। बस कुछ पैसों का लालच दो तो भरपूर जवानी का मजा मिलता है। 

अब बोर न करते हुए कहानी पर आता हूँ। मेरी बीवी रचना उम्र 25 साल चूचे 36 के और गांड 38 की। उससे बड़ी बहन संजना (शादीशुदा) उम्र 28 साल चूचे 36 कमर 30 इंच और गांड 38 की इंच की है। सबसे छोटी रीना उम्र 21 साल उसकी चूचियां 34 की हैं, कमर 30 की और गांड भी 34 की हैं। 

साइज इतना परफेक्ट इसलिए पता है क्योंकि एक तो अब तक मैं तीनों की चूत की चुदाई कर चुका हूँ और गांड भी मार चुका हूँ, क्योंकि हमारे यहाँ कहावत है कि साली आधी घरवाली होती है दूसरे जबसे मुझमें पता नहीं ईश्वर ने ऐसा क्या दिया है कि मुझे चूत खोजने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती। और सबसे बड़ी बात ये कि जब से मेरी शादी हुई है तबसे इन तीनों के लिए ब्रा पैंटी अक्सर मेरे ही शोरूम से जाता है क्योंकि मेरे शोरुम पर एक से बढ़कर एक ब्रांडेड कपड़े से लेकर अंडरगारमेंट्स तक सब मिलते हैं। 

लंडधारी दोस्तों और चूत की रानियों, दिल थाम कर बैठिए और लंड धारियों से निवेदन है कि वो अपना हथियार पकड़ लें और चूत की रानियों ये गुजारिश है कि अपनी चूत में कम से कम दो उंगली डाल कर बैठें और इस सेक्सी कहानी का आनंद लें क्योंकि ये कहानी सिर्फ कहानी नही बल्कि आग का वो गोला है जिसमें मेरी साली रीना ने मेरे जिस्म को अपना जिस्म सौंपकर बर्फ का गोला बना दिया अर्थात अपनी प्यास और मेरी कुंवारी चूत की हवस को बुझा दिया। 

दोस्तों मैं अपनी शादी के बाद बहुत खुश था। रचना जैसी बीवी बड़े नसीब वालों को मिलती है। सुहागरात को मैंने अपनी बीवी की पूरी रात भर में तीन बार चूत और एक बार गांड चोदी। मेरी बीवी तो गांड देना ही नहीं चाहती थी, क्योंकि उसे उसकी भाभी और सहेलियों ने पहले ही अपना अनुभव बताया था कि पहली बार मरवाने में बहुत दर्द होता है। चूत तो सह लोगी लेकिन गांड नहीं मरा पाओगी। इसलिए गांड मत मरवाना। 

अब मेरी बीवी सुर्ख कुंवारी। अर्थात मायके में भाभी और सहेलियों के मोबाइल पर नंगी तस्वीरों में, वीडियोज़ में और कभी कभार किसी राह चलते आदमी को मूतते समय लंड देखा तो था लेकिन कभी उसे अपनी चूत में लेने का सौभाग्य न प्राप्त हो सका बेचारी के। ये उसने मुझे बाद में बताया था कि कई बार तो जब हम लोग कॉलेज जाते या आते तो पगडंडी वाला रास्ता कम दूरी होने के कारण अक्सर हम लोग उसी रास्ते को चुनते तो अगर कोई आदमी पेशाब करते दिख जाता तो हम लोग झाड़ियों में छिपकर उनके लंड ताड़ते। और कई दफा तो मेरी बीवी की सहेली को भी उसके आशिक से चुदते हुए उसके आशिक का लंड देखी थी। रचना की सारी सहेलियाँ चुदक्कड़ थीं और वो रचना को भी लंड की सवारी करने को कहतीं।वो लोग बोलतीं कि तुझे तो लड़के देखकर राह चलतेअपना लंड मसलते हैं, अगर तू किसी को भी इशारा कर दे तो वो तुरन्त ही तुझसे पट जाएगा लेकिन रचना कहती थी कि मैं अपने पतिदेव से ही अपनी सील तुड़वाउंगी।

सुहागरात को पहली बार की चुदाई में ही वो दर्द से बिलबिला उठी और उसकी सील टूटने की वजह से पूरी बेडशीट खून से लाल हो गई। किसी तरह थोड़ी देर की चुदाई के बाद उसका दर्द तब कम हुआ जब मैंने उसे ले जाकर पेनकिलर दी। 

दोस्तों मुझे डॉगी स्टाइल बहुत पसंद है। ऐसी कोई मेरी जिंदगी में बची नही जिसकी मैंने कुतियों की तरह झुकाकर चूत और गांड न ली हो। मुझे लड़कियों और औरतों की चूत से ज्यादा उनकी मटकती गांड पसन्द आती है। मुझे उनका गांड चाटना और फिर थूक लगाकर चोदना ज्यादा पसंद है। दोस्तों आज तक मैंने जितनी भी चूत या गांड चोदी है केवल थूक लगाकर । कोई तेल या वैसलीन नहीं क्योंकि नैचुरल थूक से जो गर्माहट मिलती है वो वैसलीन में कहाँ? 

शादी की पहली ही रात को मुझे अपनी बीवी की गांड मारने का भूत सवार हुआ तो फिर मारकर ही माना। बहुत मिन्नत करने के बाद वो किसी तरह गांड देने के लिए तैयार हुई तो मैंने उसे उल्टा झुकाकर उसकी गांड को पहले अच्छे से चाटना शुरू किया, फिर उसकी गांड में उंगली डालकर कुछ देर तक ढीला किया फिर उसके बाद लंड से चुदाई हुई। वो तो बेचारी बेहोश हो गई थी। जब उसे होश आया तो वो दर्द से कराह रही थी और रो रही थी । बार बार मुझसे कह रही थी अब मर जाउंगी लेकिन कभी गांड नहीं मरवाउंगी। मैंने प्यार से समझाया कि देखो रचना, पहली बार में ही दर्द होता है, फिर उसके बाद आदत बन जाती है। 

सच में बाद में उसकी आदत हो गई।अब तो उसे गांड मरवाने में इतना मजा आता है कि कभी कभी वो खुद ही उल्टी होकर अपनी गांड मेरे लिए खोल देती है और कहती है कि आओ राजा, अपनी इस गुलाम की गांड मारो। अब तो हम दिन रात चुदाई में लगे रहते हैं। कभी कभी तो दिन में भी शोरुम छोड़कर घर पंहुच जाता हूँ और चुदाई करने लगता हूँ। 

मेरे लंडधारी दोस्तों और चूत की रानियों, अब तक आप लोग सोच रहे होंगे कि बोला हूँ साली की कहानी बताने को और सुना रहा हूँ बीवी की तो दोस्तों इसी से वो कहानी जुड़ी है। और इसी के आगे ट्विस्ट है। 

दो माह की रेलम पेल चुदाई के बाद मेरे ससुराल वाले मेरी बीवी को ले जाने के लिए आए। मेरा और रचना का मन न होते हुए भी हम लोग कुछ न कह सके और मेरी बीवी अपने मायके चली गई। दोस्तों मेरा ससुराल मेरे घर से महज 12 किमी और मेरे शोरुम से 9 किमी ही है।

अब मेरी बीवी रचना दिन भर मुझसे वीडियो कॉल पर अपना जिस्म दिखाकर बातें करती और अपनी चूत में उंगली करती रहती। मैं भी अपने कानों में ईयरफोन लगाकर अपने शोरूम पर बैठा रहता  और लंड मसल मसल कर बातें करता रहता। और दुकान पर काम करने वाले लड़के और लड़कियों को पता भी चल गया था कि सेठ किसी से रंगीन बातें करने में लगा रहता है, क्योंकि सब कभी न कभी लंड मसलते हुए देख चुके थे पर कोई कुछ नहीं कहता क्योंकि सबको मैं अच्छी खासी सैलरी को साथ साथ सम्मान भी बहुत देता था और मेरे शोरुम पर जितनी लड़कियां काम करती थीं वो तो और खुश रहती थीं क्योंकि मैं उनकी कभी कभार एक्सट्रा पैसों से मदद कर देता था बदले में वे मुझसे अपनी चूचियां दबवाकर, मेरे लंड का पानी अपने मुंह में लेकर मेरा मदद कर देती थीं।

अब आप सोच रहे होंगे की दुकान पर मैं उनके साथ ये सब हरकत कैसे करता था तो पहले तो ये जान लीजिए कि वो एक बड़ा शोरूम है और मेरा काम सिर्फ सीसीटीवी लगाकर लोगों पर नजर रखना है। मैं अपने 7×9 के केबिन में बैठकर सीसीटीवी देखता रहता हूँ और जब किसी से लंड चुसवाना होता तो वहीं पर बुलाकर मेज के नीचे बैठा लेता था। 

दोस्तों मेरे केबिन का डिजाइन कुछ ऐसा है कि मेरे केबिन से ही होकर एक तरफ एक लेडिज चेंजिंग रूम है। मतलब अगर किसी लेडिज को कपड़े खरीदने के बाद उन्हें अपना फिटिंग साइज चेक करना है तो उन्हें मेरे केबिन में से होकर गुजरना पड़ता है। और एक चेंजिंग रूम बाहर की ओर से ही खुलता है। लेकिन फिर भी मेरे बैठने की जगह पर मेरा टेबल इस तरह सेट है कि चाहे मैं खड़ा रहूँ या बैठा रहूँ मेरे कमर के नीचे का जरा सा भी हिस्सा चेंजिंग रूम में जाने वाले को नहीं दिखाई देता। कभी कभार तो मैं अपने केबिन में बैठे बैठे किसी लड़की को अपना लंड चुसवा रहा होता हूँ और कोई चेंजिंग रूम में जाता है तो किसी को कुछ नहीं मालूम चल पाता लेकिन मेरी खुशी दोगुनी हो जाती थी। 

दोस्तों रचना के मायके चले जाने के तीन दिन बीत जाने के बाद रचना को अचानक चुदाई का हवस चढ़ा तो उसने मुझे कहा कि आज आ जाओ मेरी चूत में खुजली मची है और गांड तो सूख गई है बिना आपके लंड को पानी के। तो मैंने कहा कि ठीक है शोरूम बन्द होने से पहले ही आज निकल लूंगा। 

दोस्तों शाम हो जाने के बाद मैंने मैनेजर को बोला कि आज 9 बजे ही शोरूम बन्द करके तुम लोग आराम से घर चले जाना (दोस्तों मेरा शोरूम 11 बजे बन्द होता है। ) 

मैं 7 बजे ही शोरूम से निकल गया और  अगले 15 मिनट में मैं ससुराल पंहुच चुका था। मेरे ससुर जी बैंक मैनेजर हैं घर से 200 किमी दूर तो वो महीने में दो बार ही घर आते हैं । ससुराल पंहुच कर मेरा मेरी सासू माँ, चाची सास और मेरी साली ने बहुत गर्मजोशी से स्वागत किया पर रचना कमरे में घुस गई थी। मैं सबसे मिलकर अपनी बीवी को पास पंहुचा और सीधे उसे किस करने लगा कि पीछे से मेरी साली भी मेरे लिए चाय नाश्ता लेकर वहाँ पंहुच गई। मैं हड़बड़ा कर पीछे हटा पर मेरी साली और मेरी बीवी रचना का रिएक्शन वैसे ही रहा जो कि मुझे बहुत अजीब लगा। 

कुछ देर में रचना की एक सहेली आई और फेस मसाज कराने को बोलकर अपने घर ले गई (मेरी बीवी रचना एक ब्यूटीशियन है जबकि साली रीना नर्सिंग की पढ़ाई कर रही है।) अब घर में केवल मैं मेरी साली रीना चाची सास गीता और सासू माँ गिरिजा ही थे। (ससुर जी बैंक मैनेजर जबकि चाचा जी आर्मी में थे और साला मुम्बई में एक MNC में इंजीनियर था तो वो सब लोग बाहर रहते थे) 

मेरे ससुराल में आमने सामने दो घर बने थे और बीच में करीब 60-70 फीट का मैदान था। एक तरफ वाले घर में मैं एक कमरे में लेटा था और दूसरे वाले घर में सासू माँ, चाची सास और साली साहिबा किचन में लगी थीं। 

कुछ देर बाद रीना मेरे लिए चाय लेकर आई और मेरे सीने पर हाथ रखकर जगाते हुए बोली- जीजा जी, जीजा जी उठिए चाय पी लीजिए। दोस्तों रात के करीब 9 बजने वाले थे और ये डेढ़ घंटे में दूसरी चाय थी। मैंने आँख खोलकर देखा कि मेरी साली साहिबा सफेद रंग का एकदम झीना हल्का टीशर्ट और कैप्री पहने हाथ में चाय का कप लिए खड़ी थी। टीशर्ट के अंदर का लाल रंग का वैन ह्यूसन ब्रा मुझे मानो आमंत्रण दे रहा हो कि आओ और मुझे उतारकर इन चूचियों को मसल डालो। 

दोस्तों अब तक तो मैं किसी पर ध्यान नहीं दिया था परन्तु वो किस करते देख न शरमाना और इस तरह सेक्सी अंदाज में चाय लाना मेरे दिमाग की घंटी बजाने लगा। मुझे लगा गुरू कुछ तो बात है लड़की बहुत बिंदास है। 

मैंने चाय हाथ में लेकर उसे बैठने को कहा तो वो लगभग मुझसे सटकर बैठी। मैंने कहा रीना एक बात पूछूँ। वो बोली पूछिए। मैंने पूछा जब मैं तुम्हारी दीदी को किस कर रहा था तो तुमने देखा नहीं क्या? 

तो वो बोली कि मैंने देखा कि आप किस करते हुए दीदी की चूचियों के मसल रहे थे। तब मैंने कहा कि फिर तुम्हारे चेहरे के हाव भाव नहीं बदले कुछ तो वो बोली कि आप मेरे जीजा जी हैं और दीदी पर आपका हक है, आप जैसे चाहो चूमो, चाटो, मसलो, चोदो, उससे मुझे क्या दिक्कत। 

मैं उसके मुह से ये सब बात सुनकर हैरान हो गया। मैं कुछ बोलता उससे पहले ही वो बोली कि वैसे भी मुझे आपकी वो सारी हरकतें पता हैं जो आप दीदी के साथ करते हो। 

दोस्तों मैं तो हैरान रह गया। लेकिन फिर भी मैंने हिम्मत करके पूछा कि अच्छा तुम्हें क्या क्या पता है और कैसे पता है? 

तब रीना बोली कि असल में जीजा जी आप जिस तरह बदन तोड़ चुदाई करते हैं वो दीदी मुझे और संजना दीदी को कॉन्फ्रेंस कॉल पर सब बताती है। हम तीनों बहनें और मेरी चाची रोज शाम को कान्फ्रेन्स कॉल पर सारी डिस्कशन करते हैं।मैंने कहा यार बहनों तक तो ठीक है पर चाची सास को तो मत बताओ ये सब। दरअसल मेरी चाची सास अभी 30 साल की ही थीं और उनके शादी के 6 साल बाद भी उनको कोई बच्चा नहीं हुआ। असल में चाचा जी को छुट्टी बहुत कम मिलती है। रीना ने बताया कि चाची तो और मजे से सारी बातें सुनती हैं।एक बार तो उन्होंने ये तक कहा है कि मुझे भी दामाद जी का लंड चाहिए रचना, हो सकता है दामाद जी ही मेरी कोख से अपना बेटा और साला पैदा कर दें। मेरी रचना दीदी बहुत खुशनसीब है कि उसे आप जैसा प्यार करने वाला पति मिला। 

दोस्तों मेरी हालत खराब हो रही थी रीना के मुंह से ये सब सुनकर। अबतक मैंने रीना को उस नजर से नहीं देखा था पर अब मुझे वो अपनी साली रीना नहीं बल्कि एक सेक्सी चुदक्कड़ लड़की जवान हसीना दिख रही थी जिसे कि थोड़ी मेहनत करके अपने लंड के नीचे लाया जा सकता था। 

मैंने रीना से पूछा कि रीना ये बताओ कि जब तुम अपनी दीदी से बातें करती हो तो वो सब तो शादीशुदा हैं लेकिन तुम्हारा मन नहीं करता क्या चुदाई कराने का? और चाची जी कैसे रहती हैं ये सब बात सुनकर। 

दोस्तों रीना ने जो मुझे बताया वो सुनकर मेरे तो होश उड़ गए। रीना कहने लगी कि रोज रात को मैं और चाची जी एक साथ सोते हैं और एक दूसरे की चूत चुसाई, चटाई और उंगली से ही चुदाई करते हैं। तब मैंने रहा कि उंगली से कब तक काम चलाओगी जानेमन, एक बार अपने जीजा जी से चुदकर देखो। 

रीना बोली नहीं जीजा जी ऐसी कोई बात नहीं है। जब मेरी शादी हो जाएगी तब मैं भी अपने पति से खूब चुदुंगी। मैंने पूछा कि अभी तक कोई ब्वॉयफ्रेंड बना कि नहीं। तो वो बोली नहीं। 

मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचा कि तभी खाने के लिए सासू माँ बुलाने आ गईं। 

अब रीना को देखने का मेरा नजरिया बदल चुका था। खाना खाने के बाद पता चला कि ये दोनों बहनें दूसरे वाले मकान में सोती हैं और सासू माँ और चाची सास दूसरे वाले मकान में इसलिए मेरा बिस्तर भी रचना और रीना के साथ लगाया गया। 

 एक तरफ मैंने था, बीच में रचना और एकदम किनारे रीना सोई थी। मैंने चद्दर के नीचे से रचना की चूचियों को सहलाना शुरू किया कि अचानक रचना बोली अभी नहीं अभी रीना जाग रही है। मैंने सोचा सही बात है, थोड़ी देर सो लेते हैं।

तभी अचानक रचना को चाची सास ने बुलाया कि सासू माँ बुला रही हैं। रचना मुझसे बोली कि आप आराम कीजिए मैं थोड़ी देर में आती हूँ तब तक रीना भी सो जाएगी।

आगे की कहानी अगले पार्ट में जारी रहेगी। 

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