मेरी पहली चुदाई की दास्तान – 3

नमस्कार दोस्तो।।।
मैं मधु कहानी का अगला भाग लेकर आप लोगों के सामने फिरसे हाजिर हूं।


अभी तक कि कहानी में आप लोगो ने पढ़ा कि किस तरह से मेरी जिंदगी में किशोर आया और किस प्रकार हम दोनो ने अपनी अपनी जिस्म की भूख मिटाई । किशोर और मैं हमेशा ही चुदाई का मजा लेते रहे और सब कुछ ठीक चल रहा था । हम दोनो के बारे में अभी तक किसी को कुछ भी पता नहीं चला था, यहाँ तक कि मेरी किसी सहेली को भी इसकी कोई जानकारी नहीं थी।


मगर हम दोनो का ये राज ज्यादा दिन तक राज नही रहा, और फिर मेरी जिंदगी में ऐसी घटना घटी की किशोर के साथ साथ मुझे कई लोगों के साथ सोना पड़ा।तो कहानी के इस हिस्से में आपको मैं उस घटना के बारे में बताऊंगी।


मेरा और किशोर का मिलना और चुदाई का शिलशिला जारी था। कभी किशोर के खेत मे कभी जंगल मे तो कभी नदी के आसपास।तो दोस्तो हुआ यूं कि कभी कभी मैं रात में चुपके से घर से निकल कर किशोर के खेत मे बने मकान चली जाती थी और चुदाई के बाद सुबह होने से पहले घर वापस आ जाती थी।


इसी तरह एक दिन मेरे घर में भईया भाभी ही थे और मेरे मम्मी पापा शादी के कार्यक्रम के कारण बाहर गए हुए थे। उस रात मैं किशोर से मिलने के लिए जाने वाली थी और ठीक 12 बजे रात मैं अपने घर से बाहर निकली और छुपते छुपाते किसी तरह किशोर के खेत चली गयी। वहाँ पहुचने के बाद मैंने देखा कि किशोर शराब के नशे में चूर था क्योंकि उसे शराब पीने की आदत थी। हम दोनो के बीच चुदाई का दौर शुरू हुआ और करीब एक बजे किशोर मुझे घोड़ी बनाकर मेरी गाँड़ चोद रहा था। हम दोनो के बीच घुआधार चुदाई चल रही थी कि अचानक से दरवाजा खुला और दो आदमी सामने खड़े थे मैं घोड़ी बने हुए उनको देखी और इतनी डर गई जैसे काटो तो खून नही। मैं तुरंत ही चादर ओढ़ कर बिस्तर पर बैठ गई।


वो दोनो आदमी कोई और गांव के ही थे एक का नाम अमित और दूसरे का नाम मोनू था। वो दोनो ही किशोर के दोस्त थे। मेरा और किशोर का राज खुल गया था क्योंकि उन दोनों ने ही हमे चुदाई करते हुए ही देख लिया था। उस दिन शायद नशे के कारण किशोर ने दरवाजा बंद नही किया था। दोनो लोग अंदर आ गए और दरवाजा बंद कर दिया। उन्होंने मुझे तो कुछ नहीं कहा मगर किशोर से कहने लगे कि हमे भी चोदने के लिए चाहिए। काफी देर तक किशोर मना करता रहा मगर वो लोग मानने के लिए तैयार नहीं थे। हम दोनो को ही डर था कि ये लोग गांव में ये बात फैला देगे। उनके नही मानने के कारण किशोर ने उनसे कहा कि हमे अकेले में बात करने दो उसके बाद फैसला करते हैं। इस बात पर वो दोनो हमे अकेले छोड़कर बाहर निकल गए।


किशोर ने मुझसे पूछा,,,क्या किया जाय तुम बताओ ?
मैं क्या बताऊँ।


अगर हम लोग इनकी बात नही मानते हैं तो ये पूरे गाँव में हमारी कहानी बता देंगे। बहोत सोचने के बाद हम दोनो ने फैसला किया कि इनको हा बोल देते हैं क्योंकि हम दोनो को ही बदनामी का डर था। मैंने किशोर से कहा कि तुम बाहर चले जाओ क्योंकि मैं तुम्हारे सामने नहीं चुद सकती ।

किशोर ने कपड़े पहने और बाहर निकल गया। कुछ देर में वो दोनों अंदर आ गए और दरवाजा बंद कर लिया। मैं पलंग पर चादर ओढ़े बैठी हुई थी अंदर से पूरी तरह से नंगी। अमित आया और चादर खींच कर अलग कर दी।मैं अपने हाथों से अपने नंगे बदन को छुपाने की नाकाम कोशिश करती रही। अमित और मोनू ने भी अपने कपड़े निकाल दिए और नंगे हो गए।

मेरी नजर दोनो के लंड पर गई।अमित का लंड तो नार्मल ही था मगर मोनू का लंड देख मुझे डर लगने लगा, क्योंकि उसके लंड के सामने किशोर और अमित का लंड कुछ भी नहीं था । उसका लंड काफी मोटा और करीब 7इंच लंबा था। दोनो ही उम्र में मुझसे काफी बड़े थे और शादीशुदा थे, मैं उनके सामने बच्ची ही थी मगर मेरा गदराया बदन किसी भी औरत से कम नहीं था। दोनो बिस्तर पर आ गए और अमित मुझसे लिपट कर मुझे घुटने के बल खड़ा करके मेरे दूध चूसने लगा, मोनू मेरे पीछे आ गया और मेरी पीठ से लिपट गया।

मोनू मुझसे इस तरह से लिपटा हुआ था कि उसका लंड मेरी चूतड़ के नीचे से मेरी गाँड़ के छेद से टकराता हुआ मेरी चूत तक जा रहा था और वो जानबूझकर लंड को छेद में रगड़ रहा था। मुझे डर इस बात का लग रहा था कि कही वो मेरी गाँड़ में ऐसे ही अपना लंड न डाल दें। क्योंकि मैं उसके मोटे लंड से अपनी गाँड़ नही चुदवाना चाहती थी। इधर अमित पूरे जोश से मेरे दूध को दबाते हुए चूस रहा था। मोनू भी बगल से अपना हाथ डालते हुए मेरे दूध दबा लिया करता। फिर कभी अपने हाथों से मेरे बड़े बड़े चूतड़ को दबाता और सहलाता।

मैं दोनो के बीच में दबी जा रही थी, काफी देर तक दोनो मेरे नंगे बदन से खेलते रहे और फिर कुछ समय बाद मुझे बिस्तर पर लिटा दिया।अमित मेरे ऊपर आकर लेट गया और मेरे होंठ चूमता हुआ अपना लंड मेरी चूत में लगा दिया। एक झटके में उसने पूरा लंड मेरी चूत में पेल दिया और जोर जोर से धक्के लगाते हुए मुझे चोदने लगा। मैं दोनो हाथ उसके सीने पर लगा दी ताकि वो ज्यादा जोर से धक्के न लगा सके। मगर वो चुदाई में माहिर था और मेरे सीने पर अपना सीना रखते हुए मुझे दबा लिया और दनादन मेरी चुदाई चालू कर दी।

उधर मोनू अपने हाथों से अपना लंड सहला रहा था और कुछ समय पर बाद मेरे बगल में आकर बैठ गया। बगल में बैठ कर अपना लंड कभी मेरे गालों पर घुमाता कभी मेरे होठो पर। फिर अचानक से अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया और न चाहते हुए भी मुझे उसका लंड चूसना पड़ा। अब मेरे मुंह मे मोनू का लंड था और चूत में अमित का लंड था। कुछ समय बाद मैं भी गर्म हो गई थी और मुझे उनकी चुदाई में भी मजा आने लगा।

मेरे मुंह से गंदी गंदी आहे निकलने लगी। आआआआह आआआआह आआआआह।ऊऊउफ़्फ़फ़फ़फ़फ़फ़ ऊऊऊऊऊहहहहहहऊऊऊईईईईईई आआआआह।
कुछ समय तक ऐसे ही मुझे चोदते रहे और जब अमित का पानी निकलने वाला था तो उसने अपना लंड निकाल लिया और मेरे ऊपर मोनू आ गया। मैं सोच में पड़ गई कि अगर ये दोनों ऐसे बारी बारी से मुझे चोदते रहेंगे तो मेरी तो बुरी हालत हो जाएगी।
मोनू मेरे ऊपर आकर एक बार में ही अपना लंड मेरी चूत में पेल दिया।उसका लंड इतना मोटा था कि मैं जोर से चिल्लाई ।ऊऊऊईईईईईई माँआआआआआआआआहआराम से करो।


मोनू थोड़ा बेरहम था उसने मुझे गाली देते हुए कहा। रुक मादरचोद इतनी रात में चुदवाने आई है और अब गाँड़ फट रही तेरी। रोज गांव में अपनी जवानी दिखाती थी आज मौका मिला है, आज तो तुझे जमकर चोदना है। इतना कहने के बाद वो अपनी पूरी ताकत लगाकर मुझे चोदने लगा। मैं उछलती जा रही थी चिल्लाते जा रही थी और वो बस चोदते जा रहा था। उसने मेरे दोनो दूध अपने दोनो हाथों से पकड़ लिया और अपना पूरा वजन मेरे ऊपर ला दिया।

अगर किशोर और अमित की चुदाई से तुलना करती तो मोनू की चुदाई काफी दर्दनाक और तेज थी। जल्द ही मेरी चूत से फच फच की आवाज आने लगी । मेरे पेट पर उसके जोरदार धक्के लग रहे थे। मैं कभी जोर से अपने पेट को पकड़ती कभी मोनू को रोकने की कोशिश करती मगर उसकी ताकत के सामने मेरी ताकत कुछ भी नहीं थी।


पूरा बिस्तर जोर जोर से हिल रहा था और बगल में खड़े होकर अमित अपना लंड सहला रहा था। करीब 10 मिनट बिना रुके मोनू मुझे बेरहमी से चोदता रहा। उसके बाद वो मेरे ऊपर से उठा और मेरा हाथ पकड़कर मुझे बिस्तर से नीचे खींच लिया। उसने मुझे फर्स पर खड़ा किया और अमित से बोला।


तू आगे से इसकी चूत चोद मैं पीछे से इसकी गाँड़ चोदता हूं।
इतना सुन मैं रोने लगी और उससे बोली ।


नही नही ऐसा मत करो मैं ऐसे नही करवाउंगी।मैं नही झेल पाऊंगी ऐसे। मोनू– रुक मादरचोद मजा खराब मत कर प्यार से ही चोद रहे हैं तुझे। आखिर चुदवाने के लिए ही तो आई है न यहाँ तो अब चुदवा जी भर के। उसके बाद अमित ने मेरी कमर में हाथ डाला और अपना लंड चूत में लगा कर अंदर डाल दिया। पीछे से मोनू ने मेरी गाँड़ में अपना थूक लगाया और लंड छेद में लगाकर अंदर डालने लगा मगर लंड बार बार छिटक कर अलग हो जाता।

फिर उसने मेरी चूत का पानी लेकर गांड की छेद पर लगाया और उसे अच्छे से गीला किया। फिर उसने अपने दोनो हाथों से मेरे चूतड़ को फैलाकर लंड छेद में लगाया और अंदर करने लगा। इसबार उसका लंड दनदनाता हुआ पूरा अंदर तक चला गया।मैं उसके मोटे लंड के कारण तिलमिला उठी।


ऊऊऊईईईईईई माआआआआआआआ आआआआह आआआआह आराम से आआआआहमगर वो दोनो ही मेरी किसी बात को जैसे नही सुन रहे थे और दोनो लोग एक साथ मेरी चूत और गाँड़ की चुदाई करने लगे।


मैं खड़ी खड़ी अपने दोनो छेद पर दनादन लंड ले रही थी।शुरुआत में तो मुझे काफी तकलीफ हुई मगर दोस्तो कुछ समय बाद मुझे भी पूरा मजा आने लगा।सच कहूँ तो ऐसा मजा मुझे किशोर भी नही दे पाता क्योंकि वो अकेले ही चोदता था।मगर आज मैं एक साथ दो दो लंड ले रही थी।


उन दोनों ने ही चुदाई जारी रखी और मैं ज्यादा समय तक टिक नहीं पाई और झड़ गई। इसके बाद अमित भी झड़ गया और वो बिस्तर पर लेट गया। मगर मोनू ने मुझे पलंग पर झुका दिया और मुझे कुतिया बनाकर मेरी गाँड़ चोदने लगा । उसने काफी देर तक मेरी गाँड़ की चुदाई की और फिर वो भी झड़ गया। इस प्रकार सुबह 4 बजे तक उन दोनों ने मेरी 3 बार बहोत बुरी तरह से चुदाई की।

फिर मैने अपने कपड़े पहने और घर की तरफ चल दी। मैं आज की चुदाई से बहोत बुरी तरह से थक चुकी थी और मुझसे चलते भी नहीं बन रहा था। मैं किसी तरह से अपने घर तक पहुँची और सीधा बिस्तर पर लेट कर सो गई। दोस्तो उस दिन के बाद अमित या फिर मोनू मुझे अक्सर चोदने लगे किशोर तो मुझे कम ही चोदता था मगर वो दोनो लगभग हर रोज मेरी चुदाई किया करते। मेरी चुदाई की इतनी बुरी लत लग गई थी कि अगर हम लोगो को 10 मिनट का भी वक़्त मिलता तो चुदाई कर लेते।

मैं रोज शाम होने के बाद अपने घर के पिछवाड़े पर उन तीनों में से किसी न किसी को बुला लेती और वहाँ बस मुझे अपने सलवार का नाडा खींचना होता और खड़े खड़े ही चुदाई करके घर में वापस आ जाती। इसके साथ ही कई बार रात में किशोर के खेत पर वो तीनो मिलकर मेरी चुदाई करते। अब मै चुदाई के बिना रह ही नही सकती थी क्योंकि मुझे इसकी बुरी आदत सी लग गई थी।


दोस्तो जब तक मेरी शादी नही हुई थी तब तक उन तीनों ने ही मेरी प्यास बुझाई थी।उसके बाद मुझे मायके जाने का उतना मौका नहीं मिलता था और मैं अपने पति से ही खुश थी।अब मेरी उम्र47 साल की हो गई है और अब कभी कभी ही चुदाई होती है।
उम्मीद करती हूं कि मेरी जिंदगी की ये दासता आप लोग पसंद करेंगे।मैं कोमल जी को धन्यवाद देना चाहती हूँ कि उन्होंने मेरी कहानी पोस्ट करने के लिए अपनी रजामंदी दी।


कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद।।।

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