मेरा नाम कोमल है और मैं झाँसी की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र लगभग 20 होगी। आज मैं आप सभी को अपने जिन्दगी की सबसे दर्द भरी चुदाई का महागाथा सुनाने जा रही हूँ। मैंने अपनी जिन्दगी में केवल कुछ ही लडको से चुदवाया है। पहला तो मेरा बॉयफ्रेंड था।
जिसने मुझे मेरी सहेली के शादी में अपने रूम पर पूरी रात चोदता रहा और मेरी चूत को चूस चूस कर मेरी चूत को सूखा कर दिया था। और दूसरा मेरे चाचा के लड़के ने मुझे अपने घर में ही चोदा था। जब मेरे चाचा के लड़के ने मुझे चोदा था, ऐसा लग रहा था मेरी चूत फट गई है और मेरी चूचियां तो बिलकुल ढीली हो गई थी। लेकिन उस चुदाई में मुझे बहुत मज़ा आया था। दोस्तों, मैंने कभी सोचा भी नही था कि जब मुझे कोई लंड नही मिलेगा तो मुझे अपने जीजा जी से भी चुदवाना पड़ेगा।
मेरी बड़ी दीदी की शादी 2 साल पहले हो गई थी और वो ज्यादातर अपने ससुराल में रहती थी। कुछ महीने पहले की बात है मेरी दीदी की तबियत थोड़ी ठीक नही थी तो मेरे दीदी ने मम्मी को फोन किया और उनसे कहा – “कोमल को कुछ दिनों के लिए भेज दो मेरी भी तबियत ख़राब है और घर में कोई काम करने वाला भी नही है, वो आ जाएगी तो मुझे भी थोड़ी हेल्प मिल जाएगी”। तो मम्मी ने कहा – “ठीक है तुम दामाद जी को भेज दो मैं कोमल को उनके साथ में भेज देती हूँ”।
उसके अगले ही दिन जीजा जी आये और मुझे अपने साथ में अपने घर लेकर चले गए। मैं जब वहां पहुंची तो दीदी मुझे देख आकर खुश हो गई। मैंने पहले कुछ देर दीदी से बात की और फिर दीदी ने मुझसे कहा – “पहले जाओ थोडा काम कर लो फिर बात कर लेना”। मैंने दीदी से कहा ठीक है मैं अभी काम ख़त्म करके आती हूँ। मैंने जल्दी से सारा काम ख़त्म कर लिया और फिर मैंने दीदी से बहुत देर तक बातें की।
कुछ देर बाद जीजा जी आ गए, तो दीदी ने कहा – “जाओ अपने जीजा जी को खाना दे आओ और ये कह देना कुछ चाहिए होगा तो बुला लेना”। मैंने कहा ठीक है, मैंने जीजा जी की खाना देने गई, तो वो केवल एंडरवियर में थे और उनका लंड बिलकुल फुला हुआ था और साफ साफ दिख रहा था। जब मैं खाना देने के लिए उनके सामने झुकी तो वो मेरे चूचियो को देखने लगे। मैं तभी समझ गई थी कि लगता है जीजा जी मुझे चोदना चाहते है। मैं खाना देकर वहां से चली आई।
धीरे धीरे कुछ दिन बिता, एक दिन मैं नहाकर अपने कमरे में कपडे बदल रही थी और उस दिन रविवार था जीजा जी की छुट्टी थी, मैंने दरवाजा ठीक से बंद नही किया मैंने सोचा कौन आयेगा इस समय यहाँ। मैं केवल ब्रा और पैंटी में थी और जैसे ही मैंने अपना कपडा पहना शुरू किया था जीजा जी वहां आ गए।
मैंने अपने हाथ से पाने शरीर को ढक लिया। मुझको देख कर जीजा जी की आंखे खुली रह गई, वो मेरे पूरे शरीर देखे जा रहे थे जिसे उनका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया और वो अपने आप को रोक न सके। उन्होंने दरवाज़ा बंद कर दिया तो मैंने उनसे कहा आप क्या कर रहे है?? वो मेरे पास आये और मेरे शरीर को सहलाते हुए मुझसे कहा – “तुम्हे तो पता ही है तुम्हारी दीदी बीमार है जिससे बहुत दिनों से मुझे उनकी चूत नही मिल पा रही है और मेरा मन चुदाई के तड़प रहा है।
आज तुमको देख कर मेरे मन में फिर से चुदाई की तलब और भी ज्यादा हो गई है। मैं केवल तुमको एक बार चोदना चाहता हूँ बस” .पहले तो मैंने उनसे मना कर दिया, लेकिन फिर मैंने सोचा यहाँ तो मुझे कोई चोदने वाला है नही और घर तो कुछ दिन बाद जाना है। अगर मैं जीजा जी से चुदवालूँ तो जीजा जी को भी चूत के दर्शन हो जायेंगे और मुझे भी एक नया लंड मिल जायेगा। कुछ देर बाद मैंने जीजा जी से कहा – “ठीक है लेकिन मैं केवल आप के लिए चुद रही हूँ ये बात किसी को पता नही चलनी चाहिए”।
तो जीजा जी ने मुझसे कहा – “आज रात को जब सब लोग सो जायेंगे तो मैं चुपके से तुम्हारे कमरे में आ जाऊंगा तुम दरवाजा खुला रखना”। इतना कह कर जीजा जी अपने हाथो से मेरे गोल गोल मम्मो को दबा कर चले गये।
रात हुई सब लोग सो गए और मैं जीजा जी से चुदने के लिए उनका इंतजार कर रही थी। कुछ देर बाद जीजा जी चुपके से मेरे कमरे में आये औए दरवाज़ा बंद कर दिया और मेरे बगल में आकर बैठ गए और मेरे हाथो को पकड कर चूमने लगे और मेरे हाथो को चुमते हुए जीजा जी मेरे हाथो से मेरे कंधे की तरफ बढ़ने लगे और फिर वो मेरे गले को पिने लगे।
जीजा जी बहुत ही जोश में थे क्योकि वो बिना बात किये ही मेरे गले को पीने लगे थे। मैं समझ गई थी काफी दिनों से इनको चूत चोदने को नही मिला है। जैसे जैसे वो मेरे गले को पी रहे थे धीरे धीरे मेरा पूरा बदन गर्म हो गया और मैं भी भी जोश में आने लगी। मैंने भी जीजा जी को अपने बाँहों में भर लिया और फिर कुछ देर बाद मैंने भी उनके गले को पीने लगी और फिर धीर धीरे वो मेरे होठो की तरफ बढ़ने लगे।
जैसे ही जीजा जी ने मेरे होठ को चूमना शुरू किया मैंने भी उनके होठो को को चुमते हुए अंग्रेजी फिल्मो की तरह उनके होठ को अपने मुह के अंदर लेकर पीने लगी। जीजा भी मेरे होठ को मुह के अंदर लेकर पीने लगे। कुछ देर जब हम अपने आप से बाहर होने लगे तो एक दुसरे से कसकर चिपके हुए एक दुसरे के होठो को जोर जोर से काटने लगे। जीजा जी मेरे निचले होठ को अपने दांतों से खीचने लगे और साथ में मेरे मम्मो को भी सहलाते हुए दबाने लगे। मुझे काफी मज़ा आ रहा था जीजा के होठो को पीने में।
लगभग 30 मिनटों तक मेरे होठ को पीने के बाद जीजा ने मुझसे कहा – “आज बहुत दिनों के बाद मुझे किसी के होठ को पीने का मौका मिला है”। तो मैंने कहा – “मैं कोई वैसी लड़की नही लेकिन आप की मज़बूरी को समझते हुए मैंने हाँ कर दिया। वरना मैं तो जल्दी किसी से बात भी नही करती…. करने की बात ही छोड़ो”।
मेरे होठो को पीने के बाद जीजा जी ने मेरे कपडे निकलने लगे और साथ में अपने कपड़ो को भी निकाल दिया। और फिर मेरे कमर को सहलाते हुए अपने हाथो को मेरे चूचियो तक ले गए और फिर मेरे मम्मो के निप्पल को सहलाते हुए निप्पल को मसलने लगे और फिर कुछ देर बाद मेरी चूचियो को दबाने लगे। जिसे मुझे मज़ा तो मिल ही रहा था और साथ में मेरे जिस्म की आग बढती जा रही थी।
कुछ देर तक मेरे बूब्स को दबाने के बाद वो मेरे बूब्स को पीने लगे और साथ साथ में अपने एक हाथ को मेरे चूत पर पैंटी के ऊपर से सहला रहा थे। मैं और भी कामुक होने लगी और जीजा जी के हाथ को पकड़ कर अपने चूत को दबाने लगी जिससे मैंने मुह से सिसकने की आवाज निकलने लगी। कुछ ही देर में जीजा जी और भी कामोतेजित हो गये और मेरे चूचियो को काटने लगे और मेरे निप्पल को अपने दांतों से चीखने लगे। जीसे मैं जोर जोर ।। आह आः ….अह्ह्ह उफ्फ्फ उफ़…. बहुत दर्द हो रहा है …आराम से पियो मेरे दूध को आःह्ह्ह…. आह्ह्ह करके सिसिकने लगी।
बहुत देर तक मेरे स्तन को पीने के बाद उन्होंने अपने लंड को निकाल और मेरे हाथो में रख दिया और मुझसे कहा – मेरे लंड को चुसो। उनका मोटा और काफी लम्बा लंड मेरे हाथ में ठीक से नही आ रहा था। मैंने उनके लंड को अपने हाथो से सहलाते हुए मैंने अपने मुह में ले लिया और चूसने लगी। मैं उनके लंड को चूसते हुए उनके दोनों गोलियो को भी सहला रही थी। जिससे जीजा जी को भी मज़ा आ रहा था। मैं उनके लैंड को अपने मुह में पूरा अंदर तक ले रही थी और अपने हाथ से साथ सहलाया भी करती थी। कुछ देर उनके लंड को पीने के बाद मैंने उनके दोनों गोली को भी बहुत देर तक चूसा।
बहुत देर तक उनके लंड को चूसने के बाद जीजा जी ने मुझे बेड पर लिटा दिया और फिर अपने हाथ को मेरे कमर से सहलाते हुए मेरी चूत तक ले आये और फिर मेरी पैंटी को अपने हाथो से निकाल दिया। और मेरी चूत को अपने हाथो से सहलाते हुए मेरे बुर के गुलाबी दाने को स्पर्श करने लगे और फिर अपने मुह को मेरे दोनों जन्घो के बीच में रख कर मेरी चूत को चाटने लगे और मेरी चूत में साथ साथ उंगली भी करने लगे। कुछ ही देर मैं उत्तेजना से पागल होने लगी और अपने मम्मो को मसलने लगी।
कुछ देर मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटने के बाद जीजा जी ने मेरी चूत का पानी निकालने के लिए अपनी उंगलियो को तेजी से मेरी चूत के अन्दर डालने लगे और उंगली अंदर डालने के बाद उंगली को टेढ़ी कर देते जिससे मैं बहुत ही ज्यादा मचल जाती और सिसकने लगती। कुछ देर में मैं अपने आप से बाहर होने लगी और मेरी फुद्दी से पानी की बौछार निकलने लगी जीजा जी ने अपने मुह को मेरी चूत में लगा कर पानी को पी लिया।
मेरी चूत का पानी पिने के अब्द उन्होंने अपने लंड को मेरी फुद्दी में रगड़ते हुए धीरे से अंदर डाल दिया और मेरी चूचियो को दबाते हुए मेरी चुदाई करने लगे। पहले कुछ देर तो मुझे कुछ जान नही पड़ रहा था लेकिन जैसे जैसे जीजा जी अपने चोदने की रफ़्तार बढ़ा रहे थे वैसे वैसे मेरी चूत में दर्द होना शुरू हो गया कुछ ही देर में वो बहुत तेजी से मुझे चोदने लगे। जब तेजी से जीजा का लंड अंदर जाता तो मेरी चूत पूरी तरह से फ़ैल जाती और फिर कुछ देर बाद जब बाहर आती तो मेरी चूत फिर से बंद हो जाती।
कुछ देर बाद जब मेरा दर्द सहने के लायक नही रही तो मैं अपने मुह को अपने हाथो से बंद किये हुए ।।आः आह्ह्ह…. उफ़.. आह्ह्ह्ह ..आह.. ओह्ह्ह्ह …ओह्ह्हो ऊह्ह्ह …उनहू.. सी.. सी.. सी सी सी.. प्लीस्स्स्स अआराराम से आः बहुत दर्द हो रहा है …. उंह.. उंह.. उंह.. हूँ. हूँ. हूँ.. हमममम.. अहह्ह्ह्हह …अई.. अई …अई ..अई… अई. अई अई… इसस्स्स्स्स्… स्स्स् उहह्ह्ह्ह… ओह्ह्ह्ह ह्ह …चोदोदोदो…. करके चीखने लगी।
लेकिन जीजू की स्पीड जरा भी कम नही हुई इतने दिनों के बाद मिली चूत को इतनी जल्दी छोड़ने वाले नही थी। कुछ देर बाद उन्होंने मेरी दोनों टांगो को उठा दिया और फिर मुझे चोदना शुरू किया कुछ देर लगातार बिना रुके वो मुझे चोदते रहे और फिर कुछ देर बाद उन्होंने अपने लंड को बहर निकाला और फिर मेरे मुह की तरफ अपने लंड को करके मुठ मरने लगे और कुछ देर में अपने लंड का माल मेरे मुह पर गिरा दिया।
उस रात की चुदाई तो बहुत ही मस्त थी। उसके बाद जब तक दीदी बीमार थी मैं जीजा को अपने चूत को देती थी। जिससे मुझे भी मज़ा मिल जाता था और उन्हें भी।
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