नया जीवन – 1

हैलो फ़्रेंड्स ! मै आपके सामने एक नयी कहानी लेकर आया हूँ, जो पूर्णतः काल्पनिक हैं जो थोड़ी अजीब भी हैं लेकिन आपको इसमें बहुत अधिक मज़ा आने वाला है  तो चलिए शुरू करते हैं…इस कहानी का मुख्य कैरक्टर राज है जिसकी उम्र 22 साल है जो दिखने में गोरा हैंडसम लड़का है। राज का बड़ा भाई राहुल है जो 25 साल का है दिखने में ठीक ठाक है राज के पिता का नाम रमेश है जो 50 साल के है लेकिन एकदम फिट है और राज की मम्मी  जो निहायती खूबसूरत हैं उनका नाम शीतल है जो 45 साल की है लेकिन 30-35 साल की लगती है कोई मानता ही नहीं है कि उनके दो नौजवान बेटे हैं और भी किरदार इस कहानी में धीरे-धीरे आते रहेंगें उनसे में बाद में आपको मिलाता रहूँगा..।

अब आगे की कहानी राज की ज़ुबानी:

मैं राज हर दिन की तरह कॉलेज के लिए रेडी हो रहा था फिर मेरी मम्मी ने आवाज लगायी

शीतल- बेटा! नाश्ता लग गया है नाश्ता कर ले…!

राज- हाँ मम्मी… आया..!

फिर मैंने नाश्ता किया और कॉलेज के लिए निकल गया…

कॉलेज पहुँच के मैं दीपक से मिला जो कि मेरा बेस्ट फ्रेंड है हम दोनों कॉलेज में मास्टर्स कर रहे हैं फिर हमने क्लास लगायी और लंच टाइम में मेरी गर्लफ्रैंड से मिलने चला गया वो भी इसी कॉलेज में पढ़ती हैं इसी साल उसने एडमिशन लिया और वो फर्स्ट ईयर में हैं 19 साल की हॉट एटम बॉम हैं  उसकी हाइट 5 फुट है मेरे कंधे  तक आती है दूध की तरह एकदम गोरी फिगर भी लाजवाब हैं मस्त गोल गोल मीडियम साइज के बूब्स और उठी हुई गांड देख के किसी का भी लंड खड़ा हो जाये। पूरे कॉलेज की सबसे हॉट लड़की मेरी बंदी हैं और ये लड़की  कोई और नहीं बल्कि मेरे बेस्ट फ्रेंड की बहन है अभी तक  उसको हमने ये  बात नहीं बताई हैं। मैंने स्नेहा को नोट्स देने के बहाने बातचीत शुरू की और उसको फँसा लिया । तब मुझे नही मालूम था कि  स्नेहा दीपक की बहन हैं। बाद में मुझे दीपक ने इससे मुझे मिलवाया तबतक मैं स्नेहा को दो बार पेल चुका था उसकी सील मैंने ही तोड़ी थी । 

मैं स्नेहा को मिला और उसे पार्क की झाड़ियों के पीछे ले गया और उसके गुलाबी होंठो पर टूट पड़ा उसके इतने रशीले होंठ कि जैसे मैं जन्नत में पहुँच गया उसके होंठो को मैंने 5 मिनट तक पूरा चूस डाला फिर भी मैंने मन नहीं भरा… एक हाथ उसकी मुलायम गांड दबा रहा था और मेरा लंड उसकी चूत से रगड़ खा रहा था । फिर हमारी तरफ कुछ लोग आने लगे तो फिर हम दोनों अलग हो गए फिर हमने प्यार भरी बातें करी और अपने क्लास की ओर चल दिये। कॉलेज एण्ड हुआ तो मैं घर जाने के लिए बस में चढ़ा तो देखा फ्रंट शीट पे दीपक की मम्मी बैठी हुई है।

आपको बता दूँ दीपक की मम्मी का नाम रश्मि है और वो पास ही के एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती हैं । मेरा दीपक के घर आना जाना लगा रहता हैं तो दीपक की रश्मि को अच्छे से जानता हूँ। वो एकदम शांत स्वभाव भी महिला है हमेशा मुस्कुरा के बात करती हैं।

मैंने उन्हें देखा और उनको नमस्ते आंटी जी कहा… उन्होंने भी मुझे नमस्ते किया और उनके बाजू वाली खाली शीट पर बैठने को कहा।

चूँकि आधी बस खाली थी और कोई महिला खड़ी भी नही थी तो मैं बैठ गया। यह पहली बार था कि मैं रश्मि आंटी के इतने करीब था। तो मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था । वो हुस्न की मल्लिका हैं उनके सामने तो स्नेहा तो कुछ भी नहीं है। जब मैंने पहली बार उन्हें  देखा तो उनकी खूबसूरती पर फिदा हो गया था। वो हमेशा मुझे साड़ी में ही दिखी हैं। उनकी उम्र 40 साल है लेकिन वो 25 -30 से ज्यादा की नहीं लगती। अगर वो जीन्स टीशर्ट पहन लो तो कसम से कोई नही कहेगा कि वो दो बच्चों की माँ है एकदम कॉलेज गर्ल जैसी लगेगी। उनके इतने करीब बैठने के कारण पहली बार अहसास हुआ कि ये कितनी हॉट है ऐसा लग रहा है जैसे स्नेहा की कोई बड़ी बहन हो। हर चीज में स्नेहा से बेहतर इनके बूब्स भी बड़े एकदम फर्म परफेक्ट साइज के साड़ी में भी कोई इतना हॉट कैसे हो सकता  है यार बिना न्यूडिटी के मेरा लंड खड़ा होने लगा । इनके बदन की ख़ुश्बू में अलग ही नशा है भाई…। 

मैं रश्मि आंटी के ख्यालों में खोया हुआ था कि सामने से एक ट्रक आके हमारी बस को टक्कर मार देता है और हमारा भयानक एक्सीडेंट हो जाता है। मुझे पता नहीं क्या होता है मेरे सामने अंधेरा छा जाता है और मैं बेहोस हो जाता हूँ। 

कुछ दिनों बाद मुझे होश आता है मैं अपनी आंखें खोलता हूँ तो अपने आप को हॉस्पिटल के बेड पे पाया मिलता हूँ। मेरे बाजू में एक नर्स बैठी दिखती है वो मुझे देखकर डॉक्टर को आवाज़ लगाती है -” डॉक्टर…! पेशेन्ट को होश आया रहा हैं…!”

फिर रूम में डॉक्टर अन्दर आता है और मेरा एग्जामिनेशन करता है फिर कुछ ही देर में रूम में स्नेहा और दीपक रूम में आते हैं उनकी उनकी आँखों मे आँसू थे स्नेहा मेरे नज़दीक आती है और बोलती है…” मम्मी हम खुश ही  आपको होश आया गया जल्द ही आप पूरी तरह से ठीक हो जाओगी फिर हम घर चलेंगे…!”

मेरे मुंह पे ऑक्सीजन मास्क लगा हुआ था मैं कमज़ोरी के कारण में ज्यादा हिल-डुल नहीं पा रहा था लेकिन स्नेहा के मुँह से ‘मम्मी’ सुनके में शॉक्ड हो गया..। ये मुझे मम्मी क्यू बोल रही है? और मेरे घर वाले किधर है ? मैं यहाँ कितने दिन से हूँ ? ढेर सारे सवाल मेरे दिमाग  में चल रहे हैं। मेरा सर फटा जा रहा हैं.. तभी दीपक पास आके बोलता है..”मैंने पापा को कॉल करके बोल दिया है कि, आपको होश आया गया है जल्द ही वो ऑफिस से सीधे इधर ही आ रहे हैं। वो भी बहुत खुश हैं कि आपको होश आ गया जल्द ही आप पूरी तरह से ठीक हो जाओगी। 

फिर पास वाली कुर्सी को बेड के नज़दीक लाता है और बोलना शुरू करता है…

दीपक- मम्मी आप तीन दिन से बेहोस थी… हम डर गए थे कि आपको होश कब आएगा डॉक्टर ने भी बोल दिये थे कोई गारन्टी नहीं है कब तक होश आएगा , लेकिन हम सब बहुत खुश हैं कि आपको तीन  दिन में ही होश आया गया ।

बहुत साहस करके मैंने पूछा- मुझे क्या हुआ था?

 दीपक- आपको कुछ याद नहीं है क्या? आप जिस बस में बैठी थी उस बस का एक ट्रक से बहुत बुरा एक्सीडेंट हुआ था जिसमे 8-10 लोगों को बहुत बुरी तरह से घायल हो गए लेकिन सब अब ख़तरे से बाहर है पर अफसोस मेरा दोस्त राज बच न सका। वो भी आपकी ही बस में था। कल ही उसका अन्तिम संस्कार भी हो गया ।

ये सब सुनके तो मैं और भी ज्यादा शॉक्ड हो गया। ये बोल क्या रहा है ? मैं मर चुका? मैं मर चुका हूँ तो यहाँ क्या कर रहा हूँ? कहीं मैं कोई सपना तो नहीं है? नहीं ये सपना नहीं है मेरा शरीर अभी भी दर्द दे रहा है। लेकिन ये सब क्या हो रहा है?  मैं घबराने लगा और फिर से बेहोस हो गया। 

मुझे फिर दोबारा होश आया तो मैं अभी भी वही पर था  मेरे बाजू में डॉक्टर था । मुझे होश आता देख स्नेहा, दीपक ओर उनके पापा भी पास आ गए। डॉक्टर ने मेरा  चेकअप किया। और बोला कि-“इनकी  याददाश्त जा चुकी हैं..।

सभी के चेहरे घबरा गए।  डॉक्टर की बात सही थी मुझे रश्मि की लाइफ का कुछ भी याद नही था। फिर डॉक्टर ने कहा- घबराने की कोई बात नहीं ये अभी खतरे से बाहर है इन्हें आप दो दिन बाद घर ले जा सकते हैं और ईश्वर ने चाहा तो इनकी याददाश्त भी वापिस आ सकती है।

फिर स्नेहा बोलती है- मम्मी की याददाश्त चली गयी तो क्या हुआ? वो ठीक है इससे भला और क्या होगा..! हम मम्मी के साथ नई शुरुआत करेंगे और ढेर सारी यादें बनाएंगे।

ये सब सुनके सबके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। और स्नेहा मेरे गले लग जाती है।

इन सब की बात सुनके मुझे थोड़ा थोड़ा समझ आ रहा है कि मेरे साथ हुआ क्या है? उस एक्सीडेंट में शायद मैं और रश्मि आंटी  मर चुके थे और बाकी लोग सिर्फ घायल हुए थे । पता नहीं कैसे कोई जादू से या किसी भी कारण से मेरी आत्मा नरक में जाने के बजाए रश्मि के खाली शरीर में आ गयी। और मैं बच गया लेकिन दूसरे शरीर में। 

मैं ख़ुशी मनाऊ कि मैं जिंदा हूँ या दुःख मनाऊ कि मैं एक शादीशुदा महिला के शरीर में हूँ। दीपक ने बताया कि राज का अन्तिम संस्कार भी हो चुका है तो मेरा पुरानी बॉडी में जाने का कोई चान्स भी नहीं है। 

खैर जो भी है अब यही है…. यही मेरी नियति है।

मुझे नया जीवन मिला है बड़े ही अतरंगे तरीके से। कहाँ मै एक 22 साल का नौजवान हैंडसम लड़का और अब मैं किसी की पत्नी और दो बच्चों की माँ हूँ।

अब मेरी नयी जिम्मेदारियां है ।

आगे मेरा सफर कैसा रहेगा जल्द ही आपको अगले भाग में पता चलेगा बस थोड़ा इतंजार कीजिये।

आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है मुझे mkb3390@gmail.com   पर जरूर बताये। मुझे इतंजार रहेगा।

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