राजमहल 1 पार्ट 5 : Hindi Sex Story

राजमहल 1 पार्ट 5

लेखक – सीमा सिंह

आगे की कहानी

वरुण दासी के निपल्स (चुचक) चूसने लगा और दासी की चुदाई करने लगा, कुछ ही देर में उन दोनों की चुदाई बहुत तेजी से धकापेल चलने लगी।

वरुण पूरा लंड दासी की चुत में डाल कर उसकी चुदाई कर रहा था, वो उत्तेजना से उसके होंठों को ज़ोर ज़ोर से चूम रही थी।

दासी वरुण के कान में बोली राजकुमार मुझे पलंग पर ले चलो न, वरुण ने बिना लंड निकाले उसको पलंग पर लिटा दिया और उसकी चुत में लंड जड़ तक डालने लगा।

दासी आआह इस्सस्स आहह ऊओह्ह्ह आआआ ह्ह्ह्हआ ऊउछछ करने लगी, दासी चुदाई से एकदम से मदहोश हो गई और वो उसके गालों और गर्दन को चाटने लगी।

वरुण भी उसके स्तनों को दबाते हुए उसकी चुत में ताबड़तोड़ लंड डाले जा रहा था, दासी की मस्त आहें और कराहें निकल रही थी।

आ आ आ आआ ह्ह्ह उउउह्ह् ह्हए येए आअह  इस्स आह मस्त चोद रहे हो आआ ह्ह्ह उउउह्ह्ह्ह और ज़ोर से चोद दो राजकुमार मुझे मस्त कर दो।

वरुण और तेजी से दासी की चुदाई करने लगा, तभी दासी झड़ने लगीं और उसने वरुण को ज़ोर से जकड़ लिया।

दासी वरुण को रोकने लगीं और आह एयाया इस्स रुक जाओ आआ ह्हह्ह आउउउउ ह्हह्ह करके कांपने लगी, वरुण धीरे धीरे लंड को आगे पीछे करने लगा।

दासी मदहोश होते हुए झड़ रही थी, कुछ देर बाद वरुण ने ज़ोर ज़ोर से लंड को दासी की चूत में डालना चालू कर दिया था, दासी फिर से गर्म हो गई।

दासी बोली आह राजकुमार रुकना मत पूरा अन्दर तक डाल कर चोदो मुझे आआअ ह्ह्ह आआअ ह्ह्ह् आह बड़ा मजा आ रहा है।

कुछ देर बाद वरुण का भी चरम नजदीक आ गया था, वो आह आह आह करते हुए झड़ने को हुआ, तो दासी ने भी अपने कूल्हे उठा कर लंड लेना शुरू कर दिया।

कुछ ही पलों में वरुण झड़ गया, उस के लंड का पूरा पानी दासी की चुत में निकल गया, दासी की चुत लंड के पानी से पूरी भर गई थी

जब दासी की चुत से वरुण ने लंड निकाला, तो वीर्य की धार बाहर निकल आई,

इसके थोड़ी देर बाद वरुण ने अपना लंड फिर दासी के मुँह में दे दिया, दासी ने फिर से उसके लंड को चूस कर लंड तैयार कर दिया था।

इस बार चुदने की बारी दासी की गांड की थी, उसने दासी को घोड़ी बनने को कहा तो दासी ने आज्ञा का पालन किया और फिर से घोड़ी बंगाई।

वरुण ने जैसे ही दासी की गांड पर लंड टिका कर एक धक्का मारा, तो उसकी चीख निकल गई, उसका आधा लंड दासी की गांड में घुस चुका था।

दासी की गांड बिल्कुल कसी हुई थी, वरुण के दूसरे तेज़ धक्के की वजह से उसका पूरा लंड दासी की गांड़ में घुस गया था, दासी की आँखों में आंसू निकल आए थे।

लेकिन वरुण ने अपने धक्के चालू रखे, कभी देर तक दासी की गांड चोदने के बाद भी जब उसका लंड शांत नहीं हुआ, तो उसने लंड को बाहर निकाला।

और दासी को पलंग से सहारे खड़ा करके फिर से उसकी गांड़ को चोदने लगा, कुछ देर ऐसे ही चोदने के बाद दासी की गांड़ में ही पानी छोड़ दिया।

अब राजकुमार जुबेर उठकर वरुण के पास आए और दासी को बीच में लेट जाने को कहा एक तरफ जुबेर और दूसरी तरफ वरुण लेट गए।

इतनी ज्यादा चूदाई के बाद दासी को नींद आ गई कुछ देर तक वह दोनों उस दासी के बदन पर हाथ फेरते रहे और जल्दी ही नींद की आगोश में चले गए।

अगली सुबह प्रातः सबसे पहले दासी की आंख खुली उसने देखा कि दोनों राजकुमार सो रहे हैं, तो उसमें अपने कपड़े पहने और चुपचाप बिना आवाज किए कक्ष से बाहर आ गई।

और एक कमरे में जाकर बैठ गई कुछ ही देर में पहले रानी और दूसरी रानी वहां आए, और उन्होंने उस दासी को अपने सारे कपड़े उतारने को कहा।

दासी ने उनकी आज्ञा का पालन किया और अपनी सारी कपड़े उतार दिए उसके बाद उन दोनों ने दासी के शरीर का निरीक्षण किया और उनके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।

फिर उन्होंने दासी से पूछा कि कल रात क्या-क्या हुआ, और कैसे कैसे हुआ, तो दासी ने उन्हें एक-एक बात बताई कि कैसे दोनों राजकुमारों ने उसकी चूदाई की।

इसके बाद पहली रानी ने उस दासी से कहा कि तुम इस कक्ष में आराम करो और अगली आज्ञा मिलने तक तुम इसी कक्ष में रहना।

पहले रानी ने यह बात बड़ी राजमाता शकुंतला को बताए, और दूसरी रानी ने यही बात‌ राजा कैलाश को बताइए उन दोनों के चेहरों पर खुशी थी।

और शकुंतला ने बड़े राजा संतोष को बताया, तो संतोष ने कहा यह तो अच्छी बात है अब हमें अपने वंश को आगे बढ़ाने की सोचना चाहिए।

जो हम पहले ना कर सके अब हम वह करेंगे, पहले अपने पुत्र के प्रेम की खातिर पीछे हट गए थे पर इस बार ऐसी कोई रुकावट नहीं है।

महाराज संतोष ने पड़ोसी राज्य के राजा जसवंत को एक खत लिखा, इस खत को एक सैनिक के जरिए वहां भेज दिया।

कहानी में आगे बढ़ने से पहले मैं आपको दोनों राज्य के बारे में बता देती हुं,राजा कैलाश का बहुत बड़ा राज्य है इसके अधीन बहुत छोटे-छोटे राज्य आते हैं।

उनके साथी एक और पड़ोसी राज्य था जो उन्हें की तरह समृद्ध था तो उन दोनों राज्यों में 800 वर्षों तक लड़ाई चलती रही।

कहीं कोई जीत जाता इस लड़ाई में कहीं कोई जीत जाता और हजारों लोग मारे जाते 200 साल पहले जब कैलाश राजा के पूर्वजों में उस राज्य को जीता।

तो उन्होंने इस लड़ाई को हमेशा के लिए खत्म कर दिया उन्होंने तय किया, हमारे राज्य का जो राजकुमार होगा, जिसे राज गदी मिलेगी।

उस राजकुमार से इस राज्य की बेटी की शादी होगी, और पहले रानी होने का सम्मान मिलेगा, इस समझौते को सब ने माना इसके बाद इन राज्यों में खुशहाली हो गई।

इस समझौते के बाद इन दोनों राज्यों में कभी भी युद्ध नहीं हुआ, (अब मैं अपनी कहानी पर आती हूं।)

इसके बाद सब लोग अपने अपने काम में व्यस्त हो गए, और अब तक दोनों राजकुमार भी जाग चुके थे, स्नान और भोजन के बाद वह राज्य की कामों में व्यस्त हो गए।

जैसे राजकुमार वरुण प्रशासनिक कामों में लग गए और दूसरी तरफ राजकुमार जुबेर सेनापतियों से राज्य की सुरक्षा और सैनिकों की तैयारी के बारे में बात करने लगे।

उन दोनों के अंदर काम करने की ललक को देख कर सभी लोग खुश थे, रात्रि भोजन के बाद वह दोनों अपने कक्ष में आ गए।

जैसे ही वह दोनों कक्ष मैं आए तो दासी वहीं मौजूद थी वो दोनों पलंग पर जाकर सो गए और दासी से बोले हम बहुत थक चुके हैं हमें नींद आ रही है।

यह कहकर वह दोनों पलंग पर लेट गए दासी उन दोनों के बीच में आई और बारी बारी से उनके पैरों को दबाने लगी और कुछ देर बाद वो तीनों सो गए।

अगले 3 दिन तक ऐसा ही चलता रहा, चौथे दिन रात में भोजन के पश्चात, जुबेर और वरुण दोनों अपने कक्ष की तरफ जा रहे थे तो दासी भी जल्दी से उनके साथ चलने लगी।

दासी और वरुण पहले कक्ष में गए, जुबेर ने कक्ष का दरवाजा बंद किया और उधर वरुण अपने कपड़े उतारने लगा, वो सिर्फ अपने लंगोट में आ चुका था।  

दासी ने कुर्ती घाघरा पहना हुआ था, उसने दासी को दो-तीन चुम्बन एक साथ की और उसके नीचे का होंठ अपने होंठों में लेकर चूसा।

ये सब देखकर जुबेर दूसरी ओर जाकर बैठ गया, और वरुण ने उसके स्तनों को ऊपर से दबाया, स्तन को दबाने से दासी गर्म हो गई, वो सिसकारियाँ लेने लगी, आआ आह्ह् ह्ह्ह्ह आआ आआ ह्ह्ह्ह्ह्।

उसने उसके हाथों को हटा दिया तो वरुण ने फिर से उसकी Hindi Sex Story समीज के ऊपर से उसके स्तनों को दबाने और सहलाने लगा, दासी के कानों के पास वो अपनी गर्म साँसें छोड़ रहा था।

वरुण ने दासी की कुर्ती को कुछ ही देर में निकाल दी और अब उसके दोनों कबूतर उसके सामने छूटने के लिए फड़फड़ा रहे थे, परन्तु उनके ऊपर उसकी चोली कसी हुई थी।

वरुण ने उसकी चोली को फाड़कर के उसके दोनों स्तनों को एक-एक करके मुँह में लेकर खूब चूसा और दासी को पूरी तरह गर्म कर दिया।

दासी छटपटाने लगी वो बोली उन्ह उम्म्  अहह हय याह  छोड़ दो राजकुमार उम्म्  अहह, वरुण ने कहा अगर मज़ा लेना है तो झिझक छोड़ कर खुल कर मजा ले।

वरुण के उत्साहित करने से वो थोड़ा खुल गई और उसने कहा राजकुमार पहले आप मुझे छोड़िए, उसने उसे छोड़ दिया, दासी ने अपना घाघरा उतार दिया।

अब उसके शरीर के ऊपर केवल कच्छी बची थी, वरुण ने उसके स्तनों को दबाने और सहलाने के बाद उसके नाज़ुक अंग, उसकी चूत की तरफ रुख किया।

वरुण ने उसकी कच्छी को अपने हाथों से पकड़ लिया और उसकी कच्छी खोलने लगा, जैसे ही वो उसकी कच्छी अपने हाथों से उतार रहा था तो दासी की कामुकता और बढ़ती जा रही थी।

वरुण अपने दोनों हाथों से उसके नितंब को भी थप थपाता जा रहा था, उसने दासी की कच्छी को उतार दिया और दासी अब पूरी तरह नंगी थी।

उसने भी अपना लंगोट उतार दिया, अब वो दोनों ही नंगे थे, उसके सामने जुबेर बैठकर सब देख रहा था, तो उसने दासी का मुँह उसकी तरफ कर दिया।

दासी जुबेर को देख रही थी, और वरुण दासी की चूत में अपनी उंगली को अंदर बाहर कर रहा था, दासी सिसकने लगी और उसकी उत्तेजना बढ़ गई।

तभी जुबेर बोला भाई और तेज कर दासी को मजा आ रहा है, तो दासी बोल पड़ी राजकुमार ऐसा मत बोलो मुझे बहुत शर्म आ रही है।

तो वरुण ने कहा अब उन्होंने भी तो तुम्हारा अंग-अंग चोदा हुआ है, उनसे कैसी शर्म, घबराओ नहीं दासी, अब तुम खुलकर मज़ा ले सकती हो।

यह कहते हुए वरुण ने उसकी चूत में तेज-तेज उंगली चलानी शुरू कर दी, जिससे उसकी चूत पूरी तरह से गर्म हो गई और वो सिसकने लगी उन्ह आह सी सी सी आह.. अह राजकुमार उई।

अब वरुण ने दासी की टांग को अपने कन्धे पर रखा और उसकी चूत को अपने मुँह में ले लिया, उसके मुंह से सिसकरियां निकल गई उउउउ ह्ह्ह आआ आह्ह्ह्ह् ह्ह और चाटिए न इसे।

वरुण उसकी चूत में तेज-तेज अपनी जीभ चलाने लगा और उसके नितंबों को भी पीछे से थप थपाता जा रहा था।

अब वरुण ने अपने दोनों हाथों को ऊपर करके दासी के स्तनों को भी सहलाना शुरू कर दिया था, जब दासी बहुत ज्यादा गर्म हो गई तो वो सीत्कारने लगी उन्ह आह उन्ह उई अह बस बस ।

दासी अब अपनी पूरी उत्तेजना में आ चुकी थी, उसकी चूत का फुव्वारा कभी भी फूट सकता था, परन्तु वो उसको पूरा मजा देना चाहता था।

वरुण ने उसकी टांग को कंधे से हटा दिया और उसे पलंग के किनारे पर करकर उसकी दोनों टांगों को ऊपर उठा कर उसकी चूत पर लंड का सुपाड़ा रख कर एक हल्का सा झटका लगाया।

जब सुपाड़ा उसकी चूत के अन्दर हो गया, तो उसने उसकी चूत में जोरदार धक्का लगाया, जिससे उसका आधा लंड उसकी चूत में घुसता चला गया।

वो मादकता से सिसकारने लगी और उसे मज़ा आने लगा, जब वरुण धक्का मारता तो दासी पीछे को चली जाती थी।

लेकिन पीछे कोई सहारा न होने की वजह से दिक्कत आ रही थी, तो जुबेर ने दासी के मुंह के पास आकर उसके कंधों को पकड़ लिया और बोला अब करो।

वरुण ने एक दो जोरदार धक्के लगाए और अपना पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया, अब वो दासी के स्तनों को भी सहलाने लगा, उसको होंठों को अपने होंठों में ले लिया और नीचे से तेज-तेज धक्के लगाने लगा।

आप मेरे साथ बने रहिए और इस राजमहल कहानी पर किसी भी प्रकार की राय देने के लिए आप मेल पर मुझसे संपर्क कर सकते हैं.

seema.singh2003@proton.me

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