लेखक – सीमा सिंह
मेरे पाठकों मैं आपके सामने एक नई कहानी लेकर प्रस्तुत हूं इस कहानी का पहले और दूसरे भाग में चूदाई थोड़ी सी कम लिखी गई है क्योंकि कहानी को रोमांचित बनाने के लिए ऐसा किया गया है।
आपसे निवेदन है कि जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ेगी आपको अच्छा लगेगा और आप अगर कहानी में अपना सुझाव देना चाहते हैं तो मुझे ईमेल करें।
ये कहानी शुरू होती है 11 भी शताप्धी के एक राज्य से।
यह राज्य अन्य राज्यों से बहुत खुशहाल था उसकी बहुत सारी वजह थी ।
इस राज्य को कभी भी हराया नहीं जा सका था क्योंकि यहां राज्य तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ था।
इस राज्य के चारों ओर हरियाली थी क्यों किस राज्य पर एक नदी है इस नदी की वजह से यहां पानी की कोई कमी नहीं थी।
इस राज्य में फसल करने में किसानों को कोई परेशानियां भी नहीं आती थी, अन्य राज्यों की तुलना में इस राज्य में अनाज की कोई कमी नहीं थी।
इस राज्य का राज महल अंदर पहाड़ियों में बना हुआ था।
यह राज्य था जिसकी कल्पना हर कोई करता है पर कहते हैं ना खुशी ज्यादा दिनों तक नहीं रहती है।
इस राज्य को भी किसी की नजर लग गई है इसकी वजह है यहां के होने वाले राजा।
किस राज्य की परंपरा है कोई राजकुमार राजा तब बन सकता है जब उस के पुत्र का जन्म हो चुका हो।
राजकुमार अब तक दो बार शादी कर चुके थे, दोनों रानियां कई बार पेठ से हुई।
पर कहते हैं ना कि बुरा समय जब आता है तो कुछ भी सही करें सही नही होता है।
रानियों के पेट मे ही बच्चें मर जाते या फिर जन्म लेते वक्त मर जाते, कई प्रयासों के बाद भी बच्चा नहीं हुआ और एक-एक कर दोनों रानियां उने बच्चा नहीं दे पाई।
होने वाले राजा ने तीसरी शादी कर ली,उस के बाद की कहानी।
बड़े राजा जिनका नाम संतोष अपनी पत्नी से बात करते हुए जिनका नाम शकुंतला था।
संतोष बोला – शकुंतला हम अपने राज्य के भविष्य को लेकर बहुत परेशान हैं हमारा बेटा इतनी कोशिश के बाद भी हमें पोते का सुख नहीं दे पा रहा है।
शकुंतला बोली – इसमें उसकी क्या गलती है जी, वो तो अपनी पत्नियों की खूब चूदाई करता है ।
संतोष बोला – हम जानते हैं हमारा बेटा हमें पोता देने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है पर हर बार खाली हाथ ही रह जाता है।
शकुंतला बोली – इसमें उसकी क्या गलती है जी, वहा तो बस अपनी पत्नियों को चोद ही सकता है, बच्चा देना तो पत्नी का काम है
संतोष बोला – इसमें उनकी पत्नियों का भी कोई दोष नहीं है, वह हर बार गर्व से होती है पर किसी ना किसी वजह से बच्चा मर जाता है।
शकुंतला बोली – इसीलिए तो हमने उसकी तीसरी शादी की है और आज की रात उसकी सुहागरात है।
संतोष बोला – हम भी चाहते हैं कि काश इस पत्नी से उसे संतान प्राप्ति हो जाए।
शकुंतला बोली – हां, जिस के बाद हमारा बेटा कैलाश इस राज्य का राजा बन जाए।
उधर दूसरी ओर कैलाश अपनी दोनों पत्नियों के साथ बात करता हुआ अपनी कक्ष की तरफ जा रहा था।
कैलाश बोला – मेरे राज्य को मेरे पुत्र की जरूरत ना होती तो मैं कभी भी तीसरी शादी नहीं करता।
बचपन से ही मैं तुम दोनों से प्रेम करता था, मैंने तुम दोनों के अलावा कभी किसी को उस नजर से नहीं देखा।
पहली रानी बोली – हम दोनों यह बात जानते हैं इसीलिए तुमने अपने जीवन में कभी भी किसी दासी के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाए।
दूसरी रानी बोली – हम दोनों भी तुम्हें बहुत प्रेम करते हैं।
पहली रानी बोली – तीसरी रानी की आयु 18 वर्ष है। उसके बदन का आकार अच्छा है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो कितनी सुन्दर होगी।
दूसरी रानी बोली – आपका कक्ष आ गया । और हम दोनों दूसरे कक्ष में जाते है।
कैलाश बोला – आज ही रात की बात है उस के बाद तो हम चारों ही उस ही कक्ष में रहेंगे। ये कहकर में कक्ष के अंदर चला गया।
मेरी तीसरी रानी कक्ष के पलंग पर लाल साडी पहने हुए बैठी थी, कक्ष में ताजा गुलाबो और इतर आदि की मदहोश कर देने वाली चीजों की खुशबू आ रही थी।
उन सब की खुशबू माहौल को बहुत खुशनुमा बना रही थी। इन सब के नशे से मुझे तीसरी रानी को देखकर मेरे मन में यही आ रहा था कि देर न करते हुए इसको अभी चोद दूं।
मैं तीसरी रानी के पास आकर पलंग पर बैठ गया और उसका घूंघट उठाया, फिर तीसरी रानी के होठों पर अपने होठों रख दिए।
और तीसरी रानी को चूमना शुरू कर दिया, कुछ चड़ बाद वो भी मेरा साथ देने लगी।
मैंने उसकी साड़ी का पल्लू हटा दिया और इसके ब्लाउज खोलकर उसके स्तनों को आजाद कर दिया, उस के दूध जैसे स्तन मेरे सामने थे।
में तीसरी रानी को चूमते हुए अपने दोनों हाथों से उसके दोनों स्तनों को दबाने लगा। उसके स्तन वाकई में बहुत मुलायम थे।
कुछ देर स्तन दबाने के बाद मैं तीसरी रानी के होंठों को छोड़कर उसकी चुचक (निपल्स) चूसना शुरू कर दिया।
तीसरी रानी के मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं और वो मेरे सिर को अपनी स्तनों पर दबा रही थी और बोलने लगी।
में आपकी पत्नी हूं, और मेरे पूरे शरीर और आत्मा पर आप का हक है, आप मेरी सुंदर का जैसे रस पान करना है वैसे कर सकते है।
यह सुनकर मैंने चूचियां छोड़ कर फिर से उसके होठों पर अपने होठ रख दिए और धीरे-धीरे उसके सारे कपड़े उतार दिए।
कुछ देर करने के बाद मैंने उसकी गर्दन चूमते हुए नीचे की ओर उतरने लगा फिर मैंने तीसरी रानी की नाभि और पेठ को चूमने लगा।
मेरे चूमने की वजह से उस के शरीर में एक कब कपी सी होने लगी थी जिसका एहसास मुझे भी हो रहा था ।
अब मैं उसकी चूत को अपने हाथ से सहला रहा था। उसके मुँह से “आ..आ..श..श..ई” जैसी आवाजें निकल रही थीं।
फिर मैंने उसकी दोनों टांगों को फैलाया जिसे उसकी चूत को में सामने से साफ देख रहा था , फिर मैंने अपनी होंठो को उसकी चूत पर रख दिया जिससे उसके मुंह से एक मादक सी सिसकारी निकली। Antarvasna
कुछ देर करने के बाद वो झड़ गई में उस की चूत का सारा रस पी गया और अब वो मेरे लण्ड को सहला रही थी।
फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए मेरा लंड जो कि मेरी नीचे के हाथ से आधे से कम था (5 इंच का लंड)।
फिर वह मेरे लंड को अपने हाथों मैं लेकर देखने लगी और उसे अपने मुंह में लेकर चूमने और चूसने लगी।
कुछ देर लंड चूसने के बाद हम पलंग पर 69 की अवस्था में आ गए वह मेरे लंड को चूस रही थी और मैं अपनी जीभ से उसकी चूत को चाट रहा था।
कुछ देर बाद तीसरी रानी बोली – राजा जी कुछ करो… मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है ये सब।
मैं उठा और उसकी चूत पर अपना लंड रखा और मैंने जरा सा लंड अन्दर डालने की कोशिश कि तो उसके मुँह से चीख निकल गई।
तभी मैंने उसके होंठों को अपने मुँह में ले लिया और मैं धीरे-धीरे मजे से उस के होठों को चूमने लगा साथ में उसके स्तन मसल रहा था।
अब तीसरी रानी को भी मजा आने लगा था मैंने देर न लगाते हुए जोर से धक्का मारा, मेरा आधा लण्ड उसकी चूत में घुस चुका था।
तीसरी रानी की चूत से खून निकल रहा था , उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे, मेरे शरीर से लिपट कर वो रो रही थी।
मैंने और बिलम्ब ना करते हुए तीसरी रानी की चूत में धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा, पर उसे अभी भी दर्द हो रहा था।
लेकिन थोड़ी देर बाद तीसरी रानी को भी मजा आने लगा था, वो भी अब अपने कूल्हे हिला रही थी, मैंने उसके होंठों को आजाद कर दिया था।
तीसरी रानी बोली – राजा जी डालो और अंदर मजा आ रहा है!
उसके मुँह से आ..ह व लंबी-लंबी सिसकारियाँ निकल रही थीं।
अचानक वो एकदम से चीखी और तीसरी रानी मुझसे जोर से लिपट गई, शायद वो झड़ गई थी।
कुछ देर करने के बाद में भी झड़ गया और अपना सारा वीर्य उस की चूत में डाल दिया और थोड़ी देर उस के ऊपर ही लेटा रहा।
हम दोनों अलग हुए मैंने उसे अपनी बाहों में लेकर उसकी पीठ को सहलाते हुए बोला कैसा लगा तुम्हें तो उसने बताया बहुत अच्छा।
फिर हम दोनों ने कुछ बातें की, एक पहर के बाद
कुछ देर बाद हम एक दूसरे के मुँह से मुँह मिलाकर चुम्बन करने लगे, कभी मेरी जीभ उसके मुँह में चली जाती और कभी उसकी जीभ मेरे मुँह में आ जाती।
और पता नहीं कितनी देर तक तक हम दोनों यही करते रहे। काफ़ी देर बाद जब जीभ और होंठ थक गये।
मैंने उस दिन फिर से चूदाई की और उस के बाद सो गए।
पूरे एक सप्ताह तक राजकुमार कैलाश ने तीसरी रानी को चोदा, उस के बाद वो अपनी तीनों रानीयों के साथ रहने लगा।
2 महीने बाद पता चला की तीसरी रानी पेट से है, यह सुनकर पूरे राज महल में खुशी का माहौल हो गया सब में राजा रानी और राजकुमार को बधाइयां दी।
पहली और दूसरी रानी तीसरी रानी का बहुत अच्छे से ख्याल रख रही थी वह हर वह कोशिश कर रही थी जिससे बच्चे को कोई तकलीफ ना हो।
धीरे-धीरे समय बीतने लगा तीसरी रानी को 7 महीने के पेट से थी राज महल में सब कुछ अच्छा चल रहा था।
इस बार सबको यही आशा थी इस बच्चे का जन्म हो जाएगा पर कहते हैं ना जो लिखा है उसे बदला नहीं जा सकता।
और एक दिन ऐसा ही कुछ हुआ जिसकी कल्पना किसी ने भी नहीं की थी तीसरी रानी गलियारे में चलते-चलते फिसल गई ।
वाह ऊपर की मंजिल के झीनों के पास थी, वह झीनो से नीचे फसल कर आ गई, सभी लोग घबराकर उनके पास आ गए।
उन्हें कमरे में ले गए और वेद को बुलाया, वेद में उने बचाने की बहुत कोशिश की और अगले दिन तीसरी रानी और उनका बच्चा मर गया।
पूरी महल में शोक का माहौल हो गया इस बार तो सभी लोग हताश हो गए इसका असर पूरे राज्य पर पड़ने लगा।
बड़े राजा और राजकुमार ने महल के कामों में ध्यान देना बंद कर दिया, जिसका असर पूरे राज्य पर पड़ने लगा।
9 महीनों में ही राज्य की स्थिति बहुत खराब हो गई, राज्य के वफादार लोगों ने इसे संभालने की बहुत कोशिश की पर कोई फायदा नहीं हो रहा था।
मंत्री सेनापति और कुछ बड़े अधिकारी मिलकर राजमहल की कुलगुरु के पास गए और उनसे मदद मांगी।
कुलगुरू ने उनसे कहा कि मैं कुछ न कुछ रास्ता निकालता हूं और मैं कल प्रातः ही यहां से प्रस्थान करुंगा और अपने गुरु के आश्रम के मित्रों के साथ मिलकर कुछ ना कुछ रास्ता निकाल लूंगा ।
अब तक 6 माह हो गए थे और कुलगुरु अपने राज्य को बचाने के लिए सिंध प्रांत के दूसरे छोर पर चले गए , इस जगह एक अरब का राजा राज्य करता था।
वहां उनके एक दोस्त ने उने किसी से मिलवाया, वो दो लोग थे, दोनों अलग-अलग धर्मों को मानते थे, एक अरब का धर्म मानता था और दूसरा हिंद का।
उन दोनों ने बताया कि तुम्हारे राज्य को बचाने का एक ही तरीका है, कुलगुरु जी बोले तरीका बताओ।
तो उन्होंने कुलगुरू को तरीका बताया और कहा इससे तुम्हारे राज में दो राजकुमारों का जन्म होगा।
जब राजकुमार 3 साल के हो जाएंगे तो हम उन्हें अपने साथ पूरी दुनिया का भ्रमण करेंगे और उन्हें लड़ने और बौद्धिक शिक्षा देंगे और वह दोनों धर्मों को मानेंगे।
जब वह 21 साल के हो जाएंगे तो हम उन्हें तुम्हारे राज्य में वापस ले आएंगे, और तुम्हारा राज्य दुनिया के श्रेष्ठ राज्यों में दिन आ जाएगा।
कुलगुरू बोले मुझे मंजूर है, तो उनमें से एक आदमी बोला यह सब तो एक अच्छ पहलू है पर एक अच्छाई के साथ एक बुराई भी साथ आती है।
उनकी बुराई यहां होगी के वह औरत के शरीर का सुख भोगेंगे , जितनी भी रानियां वो रखेगे उन से वो दोनों शादी करेंगे, और भी औरतों के साथ वह संबंध बनाएंगे।
उनमें से एक आदमी बोला अब तुम अपने राज्य लौट जाओ और अपने राजा से मिलकर यह फैसला करो कि तुम्हें राजकुमार चाहिए या नहीं।
हमें सूचना देने की कोई जरूरत नहीं है जब तुम्हारे राजकुमार 3 वर्ष के हो जाएंगे तो हम स्वयं वहां आ जाएंगे।
आगे की हिंदी की कहानी अगले भाग में
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