दिल्ली में बादशाह- सुलतान  -रफीक के बीच युद्ध UPDATE 08

गलती का एहसास

फिर परवेज ने अपने प्रतिद्वंद्वी के शरीर की तुलना अपने शरीर से की, वह जानता था कि उसे हर तरह से फसा लिया गया है। जबकि परवेज के शरीर की बनावट अवधी साहिबी सुरुचिपूर्ण और सुंदर थी, रफीक बहुत अधिक मांसल और योद्धा की तरह एक बहुत मजबूत पहलवान था ।

अपने सामने भयानक योद्धा को देख परवेज मनोबल अत्यधिक गिर गया, वहीं गुलनाज, मल्लिका और सुल्ताना पर इसका बिलकुल विपरीत प्रभाव पड़ा। सुल्ताना और गुलनाज़ ने दिल्ली के दरबार और शहर के कुश्ती मैदान में कई कुश्ती मैच देखे थे, और इसलिए वे मांसल काले पुरुष शरीरों को देखने के आदी थे। हालांकि, मल्लिका को सफेद चमड़ी वाले राजस्थानी, पंजाबी, अवधी और बंगाली साहिबों की इस तरह की अति-मर्दाना काया देखने की आदत नहीं थी, लेकिन उनसे वह नियमित महफिलों और दरबार के त्योहारों में मिलती थी पर जब भी कठोर कला और मालाबारी पहलवान आते थे, राजस्थानी दरबारियों ने अपने औरतों को दरबार से दूर रखने की बहुत सावधानी बरती। रफीक के रूप से सभी औरतें अभिभूत हो गईं और रीमा से बोली ये रफ़ीक तो तुमने जितना बताया था उससे बहुत मजबूत है ।

तभी रफ़ीक गुर्राया “बेवकूफ सुल्तान ! उस औरत ने तुमसे कहा था कि मेरा नाम रफीक है और तुमने सोचा कि मैं कोई ऊलू बंगाली बाबू हूं,” और फिर वो जोर से हसने लगा और अट्टहास करते हुए बोला । “लेकिन मैं कोई गूंगा बंगाली बाबू नहीं हूं। मैं हूँ रफीक महमूद बहुत बड़ा गुंडा और दादा रफीक सैयद का बेटा।!” उसने गर्व से कहा।

परवेज डर गया और कुछ कहने की हिम्मत नहीं की ।

परवेज सहम गया। उन्होंने किसी प्रशिक्षित द्रविड़ कलारी-पट्टू सेनानी द्वारा इतनी विनाशकारी पीड़ा की कुछ भी कल्पना नहीं की थी। परवेज डर के मारे जम गया था और उसने आँखे बंद कर ली।

“आज आप सीखोगे कि काला मर्दानगी का रंग है, और सफेद स्त्री रेखा का रंग है!” वह दहाड़ा
परवेज वास्तव में रफीक नाम के जोरदार गुंडे से बहुत डर गया था।

गोरू! गूंगे सुल्तान आज तुम इस सम्राट-रफीक युद्ध में हार जाओगे! और आज तुम गूंगे सुल्तान और तुम्हारे सम्राट और सुल्तान दोस्त अपनी सारी रानियाँ खो देंगे!’ उसने चार नग्न औरतों की ओर इशारा करते हुए कहा।

जब रफीका ने चार औरतों को जीत लेने की बात की तो परवेज ने वास्तव में निराश महसूस किया। परवेज का खून सूख गया और रंफ फक हो गया आकार और ताकत में अंतर को देखते हुए, यह संभावना नहीं थी कि अगले चार रातो के लिए चार कीमती हिंदुस्तानी फुद्दीयो के अंदर जाने वाला लंड उसका चार अंगुलिया औधि साहिबी लंड होगा । यह शायद एक काला लंड होने वाला था, और, रफीक के पैरों के बीच लटके हुए उभार के आकार को देखते हुए, और ये भी बहुत बड़ा होने वाला है , परवेज ने तर्क दिया।
“सफ़ेद हरामज़ादा,” रफ़ीक़ने शाप दिया। “आप जल्द ही अपना फातिया पढ़ ले ।”

उसने अपने बादशाह और उस्ताद को याद किया और सोचने लगा अब वो बुरी तरह से फस गया है .

इसके बाद रीमा ने नियमों की घोषणा करनी शुरू की। उसने कहा कि यह अंत तक की लड़ाई होगी, जीत केवल प्रतिद्वंद्वी को पूरी तरह से हराकर होगी। कोई दया नहीं होगी और कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं होगा। आंखों और जननांगों को छोड़कर, सभी प्रहारों दावों और वार की अनुमति होगी । विजेता को सभी चार औरतों के साथ और रक्किनी वैरावी के साथ यौन सुख के चार दिन और रात प्राप्त होंगे, जबकि हारने वाले को प्रत्येक औरत द्वारा उसके अंडकोषों पर दो बार लात मारी जाएगी और बाद में अन्य सभी के नौकर के रूप में सेवा देनी होगी।

रफीक जोर से हसा और बोला । “चिंता मत करो, बेगमो । मैं इस लड़ाई को तुम्हारे लिए लंबी और मजेदार बना दूंगा ।”

उस पर रीमा ने ताली बजाई और फिर घोषणा की कि लड़ाई शुरू हो गई है।

गुलनाज, मल्लिका, रीमा और सुल्ताना ने तुरंत रफीक को प्रोत्साहन देना शुरू कर दिया, और कहा कि वह परवेज को हरा कर पीट पीट कर कोफ्ता बना दे ।
उनकी आवाजे सुन कर “बेगमें वास्तव में जानती हैं कि असली आदमी कौन है,” परवेज चिंतित था और अपने आप में सोचा।

दोनों लड़ाकों ने चक्कर लगाया, और फिर धीरे-धीरे एक दूसरे के पास पहुंचे। बड़े, मर्दाना काली चमड़ी वाले पहलवान के आत्मविश्वास से भरे कदम, छोटे, गोरी चमड़ी वाले और अवधी साहिब के नर्वस मूव्स के विपरीत थे। उन्होंने जल्दी से एक दुसरे के हाथ थाम लिए और ताकत की परीक्षा में एक दूसरे को धक्का दिया। सीने से सीने तक, प्रत्येक ने एक दूसरे को नीचे गिराने की कोशिश की। बेशक परवेज का गोरा अवधी फ्रेम रफीक के बेहतर काले और मर्दाना पेशी-शरीर के लिए कोई मुकाबला नहीं था। जल्द ही, परवेज के पैर उखड़ने लगे ।

जारी रहेगी

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