मामीजी की दीदी को जमकर बजाया-1

चूत और लण्ड के सभी खिलाड़ियों को मेरा प्रणाम।मैं रोहित 25 साल का नौजवान लोंडा हूं। मेरा 6 इन्च का मोटा तगड़ा हथियार है जो किसी भी चूत को दिन में तारे दिखा सकता है।

                         मेरी ये कहानी मेरे कॉलेज टाइम की है जब मुझे मेरे मामाजी के यहां जाने का मौका मिला। मामाजी के यहां आने के बाद टीना दीदी ने मुझे चूत का स्वाद चखाया था। फिर दीदी ने मेरा सेटिंग मामीजी से करवा दिया। जिसके बाद मेने अनीता मामीजी को खूब बजाया।

                        अब मामाजी के यहाँ रहकर मैं टाइम टाइम से मामीजी और उनकी सहेली को बजा रहा था।मेरा लण्ड फूल मज़े में था।

                             तभी एक दिन मामीजी की बड़ी बहिन यानि सुनीता मामीजी घर आई। वो बच्चों के साथ कुछ दिनों के लिए मामीजी से मिलने आई थी। अब मेने अनीता मामीजी की दीदी को पटा लिया और फिर उनकी शानदार ठुकाई कर दी। अनीता मामीजी की दीदी मेरा लंड ठुकवा कर बहुत ज्यादा खुश हुई।

                        सुनीता जी लगभग 38 साल की है। सुनीता जी भी एकदम गोरे चिकने जिस्म की मालकिन है। उनका पूरा जिस्म एकदम गजराया हुआ है। वो एकदम पके हुए आम की तरह रिपचिक है।

                  सुनीता जी के बोबे लगभग 34 साइज के है।  मेने सुनीता जी के बोबो को जमकर चुसा था। मामीजी के बोबो के नीचे उनका गोरा चिकना पेट और 32 साइज की कमर किसी को लण्ड मसलने पर मजबूर कर दे। सुनीता जी की मस्त बिंदास गांड लगभग 34 साइज की है। सुनीता जी की गांड की कसावट उनकी साड़ी में अच्छी तरह से नज़र आती है। मेने मामीजी की टाइट गाँड़ में खूब लंड पेला था।       

                     मैं अनीता मामीजी और उनकी दीदी यानि सुनीता जी को बजा चूका था। अनीता मामीजी को तो सबकुछ पता था कि मै उनकी दीदी की जमकर ले रहा हूं लेकिन सुनीता जी को अभी इस राज़ के बारे में पता नही था कि मै उनकी बहिन को भी बजा रहा हूं।

                             अब मै इस राज़ से पर्दा हटाना चाहता था ताकि फिर मैं दोनों बहिनों को जमकर मज़ा ले सकूँ।

                       अब एक दिन सुनीता जी घर से थोड़ी बाहर गई हुई थी तभी मैने अनीता मामीजी को लपक लिया और उनके चूचो को बुरी तरह से रगड़ दिया। 

                 अब मै मामीजी को अंदर कमरे में ले जाने लगा लेकिन मामीजी की डर के मारे गाँड़ फट रही थी।

                   ” रोहित मरवाएगा क्या यार? दीदी यही है।”       

      ” अरे अभी वो यहाँ नहीं है। तब तक आप अंदर चलो।”

                    ” अरे यार नहीं, वो किसी भी टाइम आ सकती है। अगर उन्होंने देख लिया तो मेरा सारा भांडा फुट जायेगा।”

                   ” अरे मामीजी, वो नहीं देख पायेगी। आप चिंता मत करो।”

                  अब मै सोचने लगा कि मै तो चाहता ही यही हूं कि सुनीता जी आज सबकुछ देख ले।

                             तभी मैं अनीता मामीजी को खींचकर अंदर ले गया और उन्हें फटाफट से बेड पर पटक दिया। मामीजी की अभी भी डर के मारे गाँड़ फट रही थी।

                  ” अरे दरवाजा तो बंद कर ले।”

            “अरे मामीजी आपकी बड़ी गाँड़ फट रही है।”

                       तभी मैने मामीजी की चड्डी खोल फेंकी और मामीजी के भोसडे में लण्ड जा टिकाया। अब मै मामीजी को जमकर चोदने लगा। मेरा लण्ड मामीजी के भोसड़े में जमकर हलचल मचा रहा था। तभी मामीजी की सिस्कारिया कमरे में गूँजने लगी।

                  ” आह्ह सिससस्स आह्ह आह्ह ओह आईईईईई आईईईईई सिससस्स।”

                       मैं मामीजी को जमकर बजाने लगा। अब मामीजी का ध्यान सिर्फ चुदाने में लगा था। इधर मैं सुनीता जी के अंदर आने का इंतज़ार कर रहा था। मेरा लंड मामीजी की चूत मे घमासान मचा रहा था तभी मामीजी का पानी निकल आया।

              ” ओह्ह्ह रोहित। आहा आईईईई ऊंह ओह्ह्ह्ह सिस्स्स आहा।”

                           मैं मामीजी को जमकर बजा रहा था। तभी सुनीता जी अंदर आ गई और उनके सामने धमाधम ठुकाई चल रही थी। 

                     इधर अनीता मामीजी को तो खबर भी नहीं थी कि उनकी दीदी सामने खड़ी है। मै गाँड़ हिला हिलाकर मामीजी की ज़ोरदार ठुकाई कर रहा था। तभी अनीता मामीजी की नज़र उनकी दीदी पर पड़ी और उनको देखते ही मामीजी की गाँड़ फट गई।

                         वो मुझे धक्का देकर उठ खड़ी हुई।अब अनीता मामीजी शर्म से पानी पानी हो रही थी।अनीता मामीजी की चड्डी उनकी दीदी के सामने ही पड़ी हुई थी। मामीजी ने तुरंत खुद को ठीक किया और मैने भी तुरंत कपड़े पहन लिए।

                         सुनिता जी आज उनकी बहिन के कारनामे देख चुकी थी लेकिन वो भी कुछ कहने की हिम्मत नही कर पाई। अब मामीजी तुरंत घर का काम करने का नाटक करने लगी। वो शर्म के मारे पानी पानी हो रही थी।

                    फिर सुनीता जी ने थोड़ी देर बाद मामीजी से पूछा   ” कब से चल रहा है ये सब?”   लेकिन अनीता मामीजी कोई जवाब नहीं दे पा रही थी। फिर बड़ी मुश्किल से मामीजी ने कहा

    ” दीदी, अभी कुछ टाइम पहले ही।”   ” अच्छा!”

                     “हां दीदी। ये रोहित मेरी मानता ही नहीं है। ये सब इसने ही किया है।”

                   “हां ये तो बड़ा ही शैतान है।”

               तभी मेने मोर्चो सम्हाल लिया ” शैतान बनना पड़ता है सुनीता जी।” 

                 ” हां हाँ तभी तो तूने मेरी बहिन को भी नहीं छोड़ा।”  

                ” अब मै आपकी बहिन को कैसे छोड़ता सुनीता जी? वो भी तो आपकी तरह ही रसभरी है।”

             तभी सुनीता जी मुस्कुराने लगी   ” तो तूने तो अनीता का थोड़ा सा ही रस पिया हैं। अच्छे से रस चूस ना।

              ” हां सुनीता जी मै भी यही चाहता हूं।”

        “चलो तुम लोग मज़े ले लो।मैं तब तक खाने बनाने की तैयारी कर लेती हूँ।”

                    तभी अनीता मामीजी मना करने लगी “अरे दीदी आप परेशान मत होवो। मैं बना लुंगी खाना।”

                 ” अब तुम लोगो ने जो काम शुरू किया है पहले उसे तो ख़त्म कर लो।”

                       तभी मैं अनीता मामीजी का हाथ पकड़कर उन्हें फिर से कमरे में ले जाने लगा लेकिन मामीजी तैयार नहीं हो रही थी। मै मामीजी को कमरे मे ले जाने की पूरी कोशिश कर रहा था। फिर सुनीता जी ने कहा ” अरे चल जा ना अनीता। बेचारा इतना कह रहा है तुमसे ।”

               ” अरे दीदी आप भी………

            तभी मैं मामीजी को अन्दर ले गया और उनको फिर से मामीजी को झमाझम चोदने लगा। अब मामीजी मेरे ऊपर गुस्सा कर रही थी।

               ” तेरी वजह से ही दीदी को सबकुछ पता चला है।”    

                 ”  तो ये तो अच्छा ही हुआ मामीजी। अब हमें किसी का कोई डर नहीं। अब हम जमकर मज़ा ले सकते है।”

                       “हां तू तो चाहता ही यही है।”   हां मामीजी।

                      फिर मैने मामीजी को खूब बजाया। फिर बहुत देर बाद अनीता मामीजी कमरे से बाहर निकली। मामीजी का आगे और पीछे से लंड ठुकवाने के बाद हाल बुरा हो चूका था। फिर वो सुनीता जी की खाना बनाने में हेल्प करने लग गई। 

                         अब अगले दिन खाना खाने बाद सुनीता जी बर्तन साफ कर रही थी।  मामीजी घर की साफ सफाई कर रही थी। उस टाइम घर में हम तीनों के अलावा कोई नहीं था। तभी सुनीता जी  को देखकर मेरा उनको चोदने का मूड बनने लगा।

                ” अरे सुनीता जी आप कहो तो मै आपकी कुछ हेल्प करूँ?”     

          “नहीं रहने दे तू तो। तू तो वैसे ही बड़ा खिलाड़ी है।”

                     ” अब मै इतना भी बड़ा खिलाडी नहीं हूं आपकी कि आपकी हेल्प भी नहीं कर सकूँ?”

                   ” रहने दे। तू तो बैठा हुआ ही अच्छा लग रहा है।”

                 ” यही तो प्रॉब्लम है सुनीता जी।मुझसे खाली बैठा ही नहीं जाता। बस मुझे तो काम चाहिए।”

                     ” अब यार काम तो मेरे पास नहीं है।”

             तभी मेने सुनीता जी पर पंच मारा।  ” लेकिन मैं तो आपके साथ ही काम करना चाहता हूँ।बोलो ,करवाओगी काम?”

                    तभी सुनीता जी मेरा इशारा तुरंत समझ गई। ” तुझे तो हर वक़्त बस एक ही काम सूझता है। और कोई काम नहीं है क्या तुझे।”

                    ” अब मुझे तो एक ही काम आता है । अब आपका काम खत्म हो गया हो तो मैं मेरा काम शुरू करूं?”

                    ” नहीं रहने दे तू तो।”

              ” अरे सुनीता जी, ऐसा मत करो। बहुत मूड बन रहा है मेरा।”

                 तभी सुनीता जी मुस्कुराने लगी ” तो मैं क्या करूँ?”     

     ” सुनीता जी,  इलाज तो आपके पास ही है।”

                  ” मैं कोई डॉक्टर थोड़े ही हूं जो तेरा इलाज करुँगी।”

                  ” लेकिन इसका इलाज तो सिर्फ आपके पास ही है।”

                  तभी अनीता मामीजी भी हमारे पास आ गई।।   ” देखो ना मामीजी , आपकी दीदी कितने नखरे कर रही है। देने के लिए तैयार ही नहीं हो रही है।”

               ” यार ये तुम दोनों का मेटर है।तुम ही इस मेटर को निपटाओ। अगर दीदी की इच्छा है तो ले जा उन्हें अंदर और बजा ले।”

                  ” लेकिन आपकी दीदी तो यहाँ से हिल ही नहीं रही हैं। अब इन्हें मैं अंदर कैसे ले जाऊं?”

                   ” तो पटा दीदी को।”

               तभी सुनीता जी मुस्कराने लगी। मैं सुनीता मामीजी को कमरे के अंदर ले जाने के लिए कोशिश कर रहा था लेकिन सुनीता जी आज चूत फड़वाने के लिए तैयार नहीं हो रही थी। फिर मैंने सोचा ऐसे काम नहीं बनेगा।

                      अब मैं उठा और सुनीता जी का हाथ पकड़कर उन्हें अंदर ले जाने लगा। तभी सुनीता जी मुस्कुराती हुई कहने लगी ” रोहित ये क्या तरीका है? अनीता सबकुछ देख रही है।”

                 ” तो देखने दो ना। वैसे भी उन्हें तो सब पता है।”

                   ” लेकिन यार फिर भी।” 

”  अरे अब सब शर्म छोड़ दो सुनीता जी और मज़े लो। अब यहाँ हमें कोई डिस्टर्ब करने वाला नहीं है।”

                     तभी मैने सुनीता जी को फटाफट से बेड पर पटक दिया और मैं झट से सुनीता जी के ऊपर चढ़ गया और सुनीता जी के रसीले होंठो पर ज़ोरदार किस करने लगा। सुनीता जी अभी भी डर रही थी। मै उनके होंठो को जमकर चुस रहा था।

                      तभी कमरे में ऑउच्च पुच्च पुच्च की ज़ोर ज़ोर से आवाज़े गूँजने लगी।इधर मेरा लंड सुनीता जी के भोसड़े में घुसने के लिए तड़प रहा था।

                     अब मै सुनीता जी के होंठो को रगड़कर उनके गले पर ज़ोरदार किस करने लगा। तभी सुनीता जी डर को भूलकर मुझे बाहो में कसने लगी।

            ” सिसस्ससस्स उन्ह ओह रोहित। उन्ह सिससस्स।”

                    अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा था।तभी मैंने सुनीता जी की साड़ी के पल्लु को खीच डाला और फिर उनके के चूचो को बुरी तरह से दबाने लगा।

               ” ओह सिसस्ससस्स आह्ह सिससस्स उन्ह।”

                  सुनीता जी अब दर्द से झटपटा रही थी।

         ” ओह सुनीता जी। आपके चुचे तो गज़ब है। आह्ह।”

                 तभी मेने सुनीता जी के ब्लाउज को खोलकर उनके बोबों को बाहर निकाल लिया और  अब मै सुनीता जी के नंगे बड़े बड़े चूचो को जमकर मसलने लगा।

            ” ओह सुनीता जी आह्ह बहुत रस भरा है इनमें तो आह्ह।”

              ” ओह रोहित धीरेर्रर धीरेर्र दबा यार। आईईईई बहुत दर्द हो रहा है। ऐसे दबायेगा तो मेरे बोबे टूट जायेंगे।”

                ” तो टूटने दो सुनीता जी। इन्हें तोडना ही तो है।”

                 मैं सुनीता जी के चूचो को बुरी तरह से कस रहा था। दर्द के मारे सुनीता जी की गाँड़ फटकार हाथ में आ रही थी। मै तो सुनीता जी के चूचो का जमकर मज़ा ले रहा था। फिर मेने सुनीता जी के बड़े बड़े चूचो को मुँह ले लिया और उन्हें चूसने लगा।

              “ओह सुनीता जी। आह्ह बहुत रसीले है आह्ह।”

               ” तो पूरा चुस ले कुत्ते इनको। बहुत तड़प रहा था तू इनके लिए।”       

                   अब सुनीता जी के चूचो को खूब रगड़ रगड़कर चुस रहा था। सुनीता जी के चुचो को चूसने में मुझे बहुत ही ज्यादा मज़ा आ रहा था।

          ” ओह साली उन्ह बहुत मज़ा आ रहा है।”

             मैं सबड़ सबड़कर सुनीता जी के चूचो को चुस रहा था। सुनीता जी अब बिना किसी डर के उनके बोबो का रस मुझे पिला रही थी।मै सुनीता जी के बोबो को रगड़ कर चूस रहा था।

             ” ओह्ह्ह्ह साले कुत्ते ऊंह ओह्ह्ह्ह।”

                फिर मैंने सुनीता जी के बोबो को बुरी तरह से चुस डाला।

                       अब मै सुनीता जी के मखमले से पेट पर किस करने लगा। सुनीता जी के चिकने पेट पर किस करने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। फिर मै तुरंत नीचे आ गया और सुनीता जी की चड्डी खोलने लगा लेकिन तभी अनीता मामीजी अंदर आ गई।

                ” अरे मुझे कपड़े लेने थे।”

              तभी सुनीता जी शरमाने लगी। ” रोहित यार।”

                 लेकिन मैंने अनीता मामीजी के सामने ही सुनीता जी की चड्डी खोल फेंकी। अब मैंने तुरंत लण्ड बाहर निकाल लिया और सुनीता जी की टाँगे खोलने लगा लेकिन सुनीता जी शर्म के मारे लण्ड ठुकवाने को तैयार नहीं हो रही थी।

             इधर  मामीजी अलमारी में से कपडे निकाल रही थी।

              ” अरे सुनीता जी क्यों इतना शरमा रही हो? डालने दो ना लण्ड।”

                ” अरे यार बसस्स थोड़ी देर रूक जा। अनीता को तो बहार जाने दे।”

                ” तो अब उनसे केसा शरमाना? उन्हें तो सब पता है ।”

                     तभी मैं सुनीता जी की टाँगे खोलने लगा लेकिन सुनीता जी टांगो को भीच रही थीं। फिर मैंने सुनीता जी ज़ोर से टाँगे खोलकर उनकी चूत में लण्ड सेट करने लगा।

              ” रोहित यार मरवाएगा तू?”   

        ” अरे यार आप बहुत शरमा रही हो।”

                     अब मैंने  मामीजी के सामने ही उनकी दीदी की चूत में लण्ड ठोक दिया और फिर सुनीता जी की दीदी को दे दना दन बजाने लगा। मामीजी की दीदी अब दर्द से करहा रही थीं।

               ” आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह यउन्ह ओह आह्ह आह्ह।”

                   ” ओह सुनीता जी अहा बहुत मज़ा आ रहा है। आह्ह।”

                   मैं अनीता मामीजी के सामने ही उनकी दीदी को चोद रहा था। सुनीता जी को उनकी बहिन के सामने चुदाने में बहुत शर्म आ रही थी। मै तो सुनीता जी की चूत में जमकर लण्ड पेल रहा था।

                ” आह आहा ओह सिससस्स ओह रोहित आह्ह आह्ह उन्ह आह्ह।”

                      तभी अनीता मामीजी कपडे लेकर बाहर जाने लगी।

               ” अरे मामीजी आप बाहर क्यों जा रही हो? पहले आपकी दीदी की ठुकाई तो देख लो।”

                ” मुझे नहीं देखनी। तुम दोनों ही लो मज़े।”

                ” अरे आप भी यही बैठ जाओ और मज़े।लो।”     

          “नहीं मुझे तो काम करना है।”

               तभी अनीता मामीजी बाहर निकल गई। मैं सुनीता जी को दे दना दन बजा रहा था। मामीजी की दीदी को बजाने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।

                ” ओह सुनीता जी आह्ह।”

           ” आहा आह्ह सिससस्स आह्ह रोहित तु भी मरवाने का काम करता है। तू अनीता के सामने ही मुझे पेलने लग गया। थोड़ी तो शर्म रख यार।”

              ” अरे सुनीता जी आप चिंता मत करो। आपकी बहन को कोई प्रॉब्लम नहीं है।”

                    तभी ताबड़तोड़ ठुकाई से सुनीता जी का पानी निकल गया। सुनीता जी पसीने में बुरी तरह से भीग गई। मेरा लण्ड सुनीता जी की चूत में तगड़ा घमासान मचा रहा था। मैं सुनीता जी की चूत की बखिया उदेड रहा था।

             ” आहा आह्ह ओह सिससस्स आह्ह आहः ओह साले कमीने। आह्ह सिससस्स।”

               ” ओह साली  आज तो तुझे खूब बजाऊंगा। आह्ह।’

                बजा ले साले हारामी।”

               मैं सुनीता जी को ताबड़तोड़ बजा रहा था। मेरे लण्ड की ठुकाई से सुनीता जी बुरी तरह से हिल रही थी। उनके जिस्म का कतरा कतरा भीगने लगा था। तभी सुनीता जी का एकबार फिर से पानी निकल गया।

                   फिर मेने सुनीता जी को खूब चोदा। अब मैने सुनीता जी की साड़ी और पेटीकोट खोल फेंका। अब मैंने सुनीता जी को घोड़ी बनने के लिए कहा।

                ” साले कमीने अब घोड़ी बनाकर बजायेगा मुझे।”       

                “हां साली बन घोड़ी।”

                   तभी सुनीता जी पलंग पर ही घोड़ी बन गई । अब मैने सुनीता जी की चूत के खाँचे में लण्ड रखा और फिर ज़ोर से सुनीता जी की चूत में लण्ड ठोक दिया। अब मै सुनीता जी की कमर पकड़ कर उन्हे को झमाझम चोदने लगा।

                   ” आह्ह आह्ह ओह सिसस्ससस्स आह्ह मर्रर्रर्रर्र गईईईई,,,, धीरेरे धिरेरे मेरे सैया। आह्ह ओह सिससस्स।”

                 ” ओह  आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है आपको चोदने में।आह्ह।”

                         मेरा लण्ड फूल स्पीड में सुनीता जी की चूत में अंदर बाहर हो रहा था। सुनीता जी को घोड़ी बनाकर बजाने में मुझे अलग ही मज़ा आ रहा था। सुनीता जी जमकर चुद रही थी।

                    ” आह्ह सिसस्ससस्स उन्ह ओह मर्रर्रर्र गईईई,, आह्ह,,, बहुत भारी लौड़ा है तेरा तो। आह्ह सिसस्ससस्स।”

                 ” भारी लौड़ा ही तो असली मज़ा देता है मेरी जान।”

                     मेरे लण्ड के ताबड़तोड़ झटकों से सुनीता जी बुरी तरह से हिल रही थी।तभी सुनीता जी कांप उठी और उनकी की चूत से पानी बहने लगा। सुनीता जी अब फिर से पसीने में नहा चुकी थी। मै सुनीता जी को घोड़ी बनाकर बजाये जा रहा था।

                       ” आह्ह आह्ह ओह सिससस्स आह्ह उन्ह सिसस्ससस्स आह्ह ओह सिसस्ससस्स।”

                         फिर मैने सुनीता जी को घोड़ी बनाकर खूब बजाया। अब मेने सुनीता जी को वापस नीचे पटक दिया और फिर से सुनिता जी की चूत में लण्ड फिट कर दिया। अब मै फिर से सुनीता जी की झमाझम ठुकाई करने लगा।

               ” आहा आह्ह आहा सिससस्स आहा ओह साले कुत्ते बहुत बुरी तरह से चोदता है तू।”

                 ” हां।मेरी रानी। बुरी तरह से चोदने में ही तो मज़ा आता है साली ।”

                    मैं सुनीता जी की टाँगे कंधो पर रखकर उन्हें झमाझम चोद रहा था। मेरे लण्ड के धक्कों से सुनीता जी का चिकना जिस्म पिघल कर पानी पानी हो गया था।

                   ” ओह साले धीरररे धीरेर्रर आह्ह आह्ह ओह आह्ह।”.  

               ” चोदने दे साली  आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है तुझे बजाने में। आह्ह।”

                     फिर मेने चोद चोद कर सुनीता जी का पानी निकाल दिया। सुनीता जी के पानी से मेरा मोटा तगड़ा लण्ड चिकना हो चूका था। मै सुनीता जी को बजाये जा रहा था।

                 ” आह्ह आहा ओह सिससस्स आह्ह ओह उँह ओह साले मां के लौड़े। बसस्ससस्स अब रुक जा।”

               ” रुकने का टाइम नही है साली।”

          ” ओह्ह्ह्ह साले कुत्ते। आहा आईईईई ऊंह ओह्ह्ह्ह।”

                    फिर मेने सुनीता जी को बहुत देर तक बजाया। अब मैंने सुनीता जी को वापस बेड पर पटक दिया। अब मैं 69 पोजीशन में आ गया। अब सुनीता जी मस्ती से मेरा लण्ड चुस रही थी और मैं सुनीता जी की चूत के साथ खेल रहा था।

                  मैं सुनीता जी की चूत के खाँचे को फैलाकर उनकी चूत को चाट रहा था। सुनीता जी की चूत चाटने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। सुनीता जी भी आराम से मेरा लंड चुस रही थी।

                ” ओह सुनीता जी बहुत शानदार खुशबु आ रही है आपकी चूत से।”

                     मैं रगड़कर सुनीता जी की चूत चाट रहा था। मै सुनीता जी की चूत के गुलाबी दाने को सहला रहा था। तभी सुनीता जी कसमसाते हुई टांगो को इधर उधर फेकने लगी लेकिन मेने सुनीता जी की चूत को नही छोड़ा।

                 सुनीता जी मुझे उनकी चूत से दूर हटाने की बहुत कोशिश कर रही थी लेकिन मै उनकी चूत के गुलाबी दाने को सहला रहा था।

                    फिर आखिकार में सुनीता जी खुद को सम्हाल नहीं पाई और उनकी की चूत से गरमा गरम रस बहने लगा। अब मैं मस्ती से सुनीता जी के रस को पीने लगा। सुनीता जी मेरे लंड को अब धीरे धीरे चुस रही थी।

                 फिर सुनीता जी की चूत चाटकर मैं खड़ा हो गया और अब मैनें सुनीता जी से मेरा लण्ड चूसने के लिए कहा।

               ” साले।कमीने अब मैं दिखाती हूँ तुझे।”

               तभी सुनीता जी मेरे लंड पर टूट पड़ी और मुझे नीचे पटककर ज़ोर ज़ोर से मेरे लंड को मसलने लगी।

                ” साले भेन्न के लौड़े। आह्ह बहुत ही खूंखार है तेरा लंड।”     

           ” हां साली।”

                 फिर सुनीता जी ने मेरे लंड को मसल मसलकर लाल कर दिया। फिर सुनीता जी ने मेरी टांगो को फैलाया और मेरे लंड को मुँह में ले लिया। अब सुनीता जी झमाझम मेरे लंड को चुस रही थी।

              ” ओह मां की लौड़ी आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है। आह्ह।”

                 सुनीता जी ज़ोर ज़ोर से मेरा लंड चुस रही थी। सुनीता जी को मेरा लंड चूसने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। तभी मैंने सुनीता जी के कंधो पर टाँगे फंसा दी। सुनीता जी लबालब मेरा लंड चुस रही थी।

              “ओह सुनीता जी आह्ह बससस्स चुस्ती रहो आह्ह बहुत अच्छा लग रहा है। आह्ह।”

                  सुनीता जी घपाघप मेरा लंड चुस रही थी। वो थोड़ी देर में ही मेरे लंड को लोलिपोप बना चुकी थी। फिर सुनीता जी ने बहुत देर तक मेरे लंड को चुसा।

                    अब मेने सुनीता जी को उठाया और उन्हें नीचे ले आया। अब सुनीता जी घुटनो के बल नीचे बैठ गई और मैने सुनीता जी के सिर को पकड़कर उनके मुँह में लंड पेल दिया। अब मैं सुनीता जी के मुँह को चोदने लगा।

                “आह्ह सुनीता जी बहुत मज़ा आ रहा है। आह्ह।”

                    मैं सुनीता जी के मुँह में ताबड़तोड़ लण्ड पेल रहा था। सुनीता जी के मुँह को चोदने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।

               ” ओह सुनीता जी जी,,करता है आपके।मुंह में ऐसे ही लंड पेलता रहुँ। ओह्ह्ह्ह आहा ऊंह।”

                       मैं जबरदस्त उत्साह से सुनीता जी के मुंह ठुकाई कर रहा था। अब मेरा लंड हाँफ़ने लगा था। तभी मेने सुनीता जी के मुँह को कसकर पकड़ा और फिर सुनीता जी के मुंह में माल भरने लगा। तभी सुनीता जी मेरे लंड को बाहर निकालने की कोशिश करने लगी लेकिन मेने उनकी की नहीं चलने दी और सारा माल सुनीता जी के मुँह में भर दिया।

                 अब सुनीता जी क्या करती? फिर धीरे धीरे सुनीता जी मेरे माल को पी गई। फिर मैंने बहुत देर बाद सुनीता जी के मुँह से लंड बाहर निकाला।

              ” साले मुंह में माल डालने की क्या ज़रूरत थी? चूत में ही निकाल देता?”

               ” मुझे आपके मुँह में ही निकालने की इच्छा हो रही थी सुनीता जी।”

                      तभी सुनीता जी खड़ी होने लगी लेकिन मैंने सुनीता जी को खड़ी नहीं होने दिया। 

              ” अब क्या है ?”     

  ”  पहले मेरे हथियार को वापस तैयार तो करो।”

              ” बहुत कमीना हो गया है तू।”

                     तभी सुनीता जी वापस मेरे लंड को मसलने लग गई। फिर थोड़ी देर में ही मेरा लंड तनकर खड़ा हो गया। अब सुनीता जी ने मेरे लण्ड को मुँह में लिया और सकासक लण्ड चूसने लग गई।

                अब मेरा लण्ड वापस अपनी फॉर्म में आने लगा। सुनीता जी मेरे लंड को आराम से चुस रही थी। फिर मैनें मामीजी को उठाया और पलंग पर पटक दिया।

              कहानी जारी रहेगी……………….

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