कॉलेज फ्रेंड sex कहानी 2

क्लासमेट सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरी कॉलेज की दोस्त मुझसे चुदाई के लिए आतुर हो रही थी. यही हाल मेरा भी था. उसकी चूत पर लंड रखा ही था मैंने कि …

दोस्तो, मैं संजीव कुमार एक बार फिर से अपनी पड़ोसन डॉक्टर आयशा की चुत चुदाई की कहानी में आपका स्वागत करता हूँ.

क्लासमेट सेक्स कहानी के पिछले भाग में अब तक आपने पढ़ा था कि आयशा और मैं एक दूसरे का लंड चूत चूस चाट चुके थे और अब एक दूसरे के साथ फिर से कामुक हरकतें करने लगे थे.

अब आगे क्लासमेट सेक्स कहानी: 

आयशा की कामुक हरकतों से मेरा लंड फिर से खड़ा होकर आयशा को सलामी देने लगा था.

मैं अपना हाथ उसके बदन पर घुमा रहा था. कभी नंगी पीठ पर, तो कभी दूध से भरे उरोजों के निप्पल को उंगलियों में लेकर मसल देता, कभी उसकी मदमस्त गोरी जांघों को मसल देता, तो कभी उसकी चुत में उंगली डाल देता.

आयशा भी मेरे लंड को सहला रही थी. बीच बीच में ही हल्के से अपने नाखून मेरे लंड पर गड़ाए जा रही थी.

अब मैं धीरे धीरे उसकी गर्दन पर चूमते हुए उसकी छाती पर आ गया. उसके उभारों से थोड़ा सा दूध चूसकर निप्पल दांतों से काटते हुए उसके सपाट पेट पर अपनी जीभ फेरने लगा.

धीरे धीरे मैं उसकी चूत की ओर बढ़ रहा था.
मैं उसके पेट से सीधा उसके पैरों के पास चला गया. उसके पैर की एक एक उंगली को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा.

आयशा के लिए मानो ये सब पहली बार ही हो रहा था.
वो हर एक क्रिया का आनन्द ले रही थी.

फिर मैं उसके पैरों पर जुबान फेरते फेरते उसकी जांघों तक चला आया. उसकी मदमस्त गोरी मांसल जांघों पर हल्के हल्के काटते हुए उसकी चुत पर अपना मुँह रख कर चूसने लगा.

आयशा की चूत फिर से पानी छोड़ने लगी थी और मेरे सात इंच के लंड को लेने के लिए तैयार थी.

मैं उठकर अपना लंड आयशा के मुँह के सामने ले आया.
वो समझ गई और उसने मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसकर पूरा गीला कर दिया.

मैंने अपने आपको आयशा की दोनों टांगों के बीच सैट किया और अपने लंड को चूत के होंठों के बीच ऊपर नीचे करने लगा.
आयशा मादक आहें भरने लगी.

मैंने लंड को उसकी चूत के ऊपर ठीक से रखा. आयशा की ओर देख कर, उसकी मौन स्वीकृति लेकर लंड को चूत में पेलने ही वाला था कि आयशा की बच्ची नींद से उठकर रोने लगी.

आयशा ने मुझे रोका और उठकर बेडरूम में चली गयी.

मेरे हाथ आया हुआ मौका चला गया था.

आयशा बच्ची को लेकर हॉल में आई. और मुझे कपड़े पहनने का बोलकर उसने खुद भी अपने कपड़े पहन लिए.
फिर वो सोफे पर बैठ कर अपनी बेटी को दूध पिलाने लगी.

तब तक मैंने भी अपना लोअर पहन लिया और जाकर आयशा के बाजू में सोफे पर बैठ गया.

मैंने घड़ी में देखा, तो सुबह के साढ़े ग्यारह बज चुके थे. हमारी कामक्रीड़ा में कब दो घंटे चले गए, इस बात का पता ही नहीं चला था.

अब तो मुझे भी भूख लगी थी, तो मैंने भी आयशा के एक उरोज को मुँह में भर लिया और फ्रेश दूध पीने लगा.
आयशा ने मेरी तरफ देखा, तो मैंने अपने मुँह मे भरा दूध उसी को पिला दिया.

थोड़ी ही देर में आयशा के उरोजों से बच्ची ने अपना मुंह हटा लिया शायद उसने पेटभर दूध पी लिया था.

अब मैं बच्ची के साथ खेल रहा था और आयशा खाना बनाने में जुट गई थी.

मुझे भी ऑफिस का थोड़ा काम करना था तो बच्ची को सुलाकर मैं अपने घर आ गया.

लेकिन काम में मन कहां लग रहा था. बार बार आयशा की गुलाबी दरार वाली चूत आंखों के सामने आ रही थी.

कैसे भी करके ये लॉकडाउन हटने से पहले मुझे आयशा की चूत के मजे लेने थे उसको सुकून से चोदना था.
लेकिन तभी किसको पता था कि ये लॉकडाउन जून महीने तक बढ़ता ही जाएगा.

शाम को जब मैं आयशा के घर गया, तो आयशा चाय बना रही थी.
मैंने पीछे से जाकर उसको दबोच लिया.

शायद मेरे आने का अहसास आयशा को पहले से ही था.

मैं आयशा की गर्दन पर किस करने लगा तो आयशा बोली- इतने भी क्या उतावले रहते हो तुम … यहीं हूँ मैं … कहीं भागी नहीं जा रही हूँ.

तब तक तो मैंने आयशा का कुर्ता ऊपर करके उसके मम्मों पर अपना कब्जा जमा दिया था.

‘तुम्हें तो कुछ बोलना ही बेकार है.’
ये बोलते हुए आयशा ने दो कप में चाय भर दी.

मगर मैंने आयशा को थोड़ा आगे को झुका दिया.

उसे समझ नहीं आया कि मैं क्या करने वाला हूं. मैं आयशा के मम्मों को दबाने लगा और उसके दूध की धार चाय के कप में छोड़ने लगा. आज पहली बार आयशा भी अपने दूध से बनती चाय पीने वाली थी.

हमने टीवी देखते देखते चाय खत्म की और इधर उधर की बातें करने लगे साथ ही मैं आयशा की गोरी जांघों पर हाथ फेर रहा था.
धीरे धीरे उसकी सलवार को ऊपर खिसकाते हुए अपना हाथ उसकी गर्म फूली हुई चूत पर घुमाने लगा. अपने हाथों से उसकी चूत को मसलने लगा.

तो आयशा बोली- तुम तो बस दिन भर मेरी चूत के पीछे पड़े रहते हो.

मैंने भी अपनी उंगली उसकी चूत में घुसाई और बोला- समीर के आने से पहले इस खजाने को लूटना है मुझे, मेरा लंड तेरी चूत में कैसे हल्ला मचाता है, वो दिखाना है.

इतना बोलकर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खींच दिया और सलवार नीचे उसके पैरों में जा पड़ी.

चूत में उंगली करने की वजह से आयशा की चूत कामरस छोड़ने लगी थी. तो मैंने अपनी जुबान फेरकर ‘सपर सपर ..’ करके उसका रस पी लिया और उसकी चूत को चाटने लगा.

आयशा को उसकी चूत चटवाना पसंद आ रहा था. वो मेरे बालो से खेल रही थी. कभी मेरा सिर अपनी चूत पर दबा देती.

मैं तो मस्त होकर उसकी चूत चाट रहा था. चूत की वो मादक गंध और उसका लिसलिसा स्वाद मिठास भरा लग रहा था.

थोड़ी देर चुत चाटने के बाद मैंने आयशा को मेरे ऊपर ला कर 69 पोजिशन में मेरा लंड चाटने को बोला.
तो आयशा अपनी दोनों टांगें फैला कर मेरे मुँह पर बैठ गयी और झुककर मेरा लंड चूसने लगी.

हम दोनों काम के दरिया में डूबे जा रहे थे कि तभी आयशा मेरे मुँह में झड़ गयी.
मैंने उसका पूरा पानी पी लिया. थोड़ा सा खट्टा लिसलिसा पानी किसी वोडका से कम नहीं था.

उस पानी का नशा मुझे अपनी चरम तक ले जाने लगा.
मैं भी अभी झड़ने ही वाला था. मैंने आयशा को बोला- मेरा पानी छूटने वाला है.

पता नहीं उसे क्या हुआ, वो उठकर नीचे घुटनों के बल बैठ गई और मुझे खड़ा होने को बोला. मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था. मैं बस चुपचाप खड़ा हो गया. फिर आयशा ने मेरे लंड को अपने उरूजों के बीच मसलते हुए हाथ से मुठ मारना शुरू कर दिया.

एक मिनट में ही मैंने आयशा से कहा- मेरा निकलने वाला है.जैसे ही मेरी पिचकारी छूटी, आयशा ने लंड को उरूजों दबा दिया. फिर तो मेरे वीर्य से उसके उरुजों की नाली भरने लगी थी.

झड़ने के बाद हम दोनों सोफे पर बैठ गए. मैं आयशा को किस करने लगा तो वो भी मेरा साथ देने लगी.

मैं आयशा के होंठों को चूसते उसके कान के पास अपनी जीभ फेरने लगा. मैं उसके कान के पटलों पर हल्के हल्के दांत गड़ा देता, तो वो आह कर देती.

फिर धीरे धीरे मैं उसकी गर्दन को चाटते हुए काटते हुए उभारों तक आया और उसके गुलाबी निप्पल को अपने दांतों के बीच लेकर जोर से भींच लिया और खींचने लगा.

आयशा तो मानो जैसे तड़फ उठी, उसके मुँह से चीख निकल गयी और वो उसके निप्पल को मेरे दांतों से छुड़ाने के लिए मुझे दूर धकेलने लगी.
लेकिन ऐसा करने से उसके निप्पल और खींच रहे थे, तो वो फिर से तड़प उठती.

आयशा को ऐसे तड़पाने में भी एक अलग मज़ा आ रहा था. मैं उसके एक निप्पल को चूसने लगा और दूसरे निप्पल को उंगलियों से मसलने लगा.

अब आयशा का हाथ भी मेरे लंड पर चला गया.
मेरे लंड को सहलाते हुए मेरे लंड के नीचे लटक रही गोटियों को आयशा ने अपनी मुट्ठी में जोर से भींच दिया.

इसकी वजह से मैं तड़प उठा और मैंने भी उतनी ही जोर से उसके निप्पल को काट दिया.

आयशा की आंखों से पता चल रहा था कि उसको कितनी तेज तकलीफ हुई होगी; पर मैंने ध्यान नहीं दिया.

अब आयशा पूरी गर्म हो गई थी और मैं बिल्कुल देरी नहीं करना चाहता था.
मैंने उठकर आयशा की टांगों को खींचकर उसे थोड़ा आगे किया. उसकी टांगों को फैलाते हुए अपने आपको सही से पोजीशान में लाते हुए लंड का सुपारा चूत पर घिसने लगा.

आयशा की चूत कामरस से पूरी तरह गीली हो चुकी थी. मैं बस लंड को चूत के लबों के बीच में ऊपर नीचे कर रहा था.

आयशा चूत में लंड लेने को इतनी उतावली हो चुकी थी कि वो अपनी गांड उठाकर मेरे लंड को चुत में लेने की कोशिश कर रही थी.
लेकिन मैं उसकी कोशिश को बार बार नाकाम कर रहा था.

“अब चोदो भी …”
आयशा गुस्से में बोली.

तो मैंने भी एक झटके में आधा लंड चूत में घुसेड़ दिया.
आयशा के मुँह से एक कामुकता से भरी आवाज निकल गई.

मैं अपने आधे लंड को ही चुत में घुसाए आयशा को चोदने लगा.

धीरे धीरे आयशा के मुँह से कामुकता भरी आवाजें बढ़ने लगीं.

तो मैंने लंड को पूरा बाहर निकाल कर पूरे जोश के साथ फिर से अन्दर पेल दिया. इस बार मैंने अपना पूरा सात का लंड चूत में उतार दिया था.

इस धक्के से आयशा की चीख निकल गयी और उसकी आंखों से पानी निकलने लगा- आह आह … धीरे करो!

आयशा बड़बड़ा रही थी.

मैं उसकी बात को नजर अंदाज करते हुए तेजी से उसकी चूत चोदे जा रहा था. आयशा की चूत पूरी टाइट लग रही थी … मानो बहुत महीने से लंड नहीं खाया हो.

मैंने आयशा से पूछा, तो उसने भी यही बताया कि जब से मैं प्रेग्नेंट हुई थी, तब से अब तक मैंने लंड का स्वाद ही नहीं चखा था. समीर भी अब अधिकतम वक्त मेरे साथ अस्पताल में ही रहते है और इतना बड़ा लंड मेरी चूत ने पहली बार ही लिया है.

यह सुनकर तो मैं और जोश में आ गया और आयशा की चूत में लंबे लंबे धक्के लगाने लगा था.
कुछ ही समय बाद आयशा की चूत ने पानी छोड़ दिया था.
लेकिन मैं तो अभी और लंबा चलने वाला था.

चूत के छोड़े हुए पानी की वजह से चूत पूरी गीली हो चुकी थी और मेरा लंड भी अब आसानी से चूत के अन्दर बाहर हो रहा था.

फच्च फच्च की आवाज के साथ मैं आयशा की चूत चोदे जा रहा था.
इससे आयशा भी फिर से गर्म हो गयी थी.

मैंने आयशा की चूत से लंड निकाले बिना ही उसे अपने ऊपर उठा लिया और उसके चूतड़ों के नीचे हाथ डालकर उसे मेरे लंड पर ऊपर नीचे करने लगा.

इस प्रकार खड़े खड़े ही मैं आयशा की चूत को चोदते हुए उसके उरोजों से दूध पीने लगा.

मेरे ऐसे करने से आयशा फिर से अपनी चरम सीमा पर पहुंच गई और कामुक सिसकारियां लेते हुए मेरे लंड पर झड़ने लगी.

आयशा का गर्म पानी चूत में मेरे लंड के ऊपर से होता हुआ नीचे की ओर बहने का अहसास मुझे हो रहा था.

उसके गर्म पानी की वजह से अब मैं भी अपने चरम सीमा तक जा पहुंचा.
मैंने आयशा को नीचे लिटाया और पूरी ताकत से उसे चोदने लगा.

जब मेरा पानी निकलने वाला था, तो मैंने आयशा से पूछा- कहां निकालूं?
तो उसने बोला- अन्दर ही पानी छोड़ना … बहुत दिनों से प्यासी है मेरी चूत, तुम्हारे पानी से उसकी प्यास मिट जाएगी.

कुछ तेज झटकों के बाद मेरा गर्म गर्म लावा उसकी चूत में छूटने लगा. मैंने अपने वीर्य से चुत को पूरा भर दिया था.

आखिरकार आयशा चुद गई थी.

उसने उठकर अपनी चूत की ओर देखा. दोनों उंगलियों से चूत के लबों को फैलाया, तो धीरे धीरे मेरा वीर्य उसकी चूत से बाहर रिसने लगा.

उसने अपनी एक उंगली अपनी चूत में से निकलने वाले मेरे वीर्य में भिगोई और मुझे दिखाते हुए बोली- आज पहली बार इतना सुख मिला है.

फिर मुझे किस करके वो बाथरूम की ओर जाने लगी, तो उसकी मस्त गदराई हुई मांसल गांड को मटकते हुए देखकर मेरा लंड उसकी गांड मारने को कहने लगा. मैं आयशा के पीछे बाथरूम की तरफ जा ही रहा था कि तभी मेरे फोन की घंटी बजी.

तो मैं हॉल में फोन की तरफ चला आया, देखा तो आयशा के पति समीर का कॉल था. मैं उसी नंगी हालत में समीर से फोन पर बात कर रहा था.

तभी आयशा बाथरूम से आयी तो मैंने उसे चुप रहने का इशारा किया.
उसकी नजर मेरे लंड पर गयी तो उसकी आंखों में मुझे वासना दिखाई दी.

मैंने फोन पर समीर से कहा- तुम आयशा और अपनी बेटी की जरा भी टेंशन ना ले भाई. मैं उन दोनों की अच्छे से देखभाल करूंगा.
ये बोल कर मैंने फोन काट दिया.

आयशा मेरे नजदीक आकर मेरे लंड को सहलाती हुई पूछने लगी- किसका फोन था?
मैंने उसे समीर के फोन के बारे में बता दिया.

आयशा नीचे बैठती हुई मुझसे बोली- हाँ हाँ … बता देते ना कि देखभाल कैसी चल रही है.
मैं हंस पड़ा.

तब आयशा लंड सहलाती हुई बोली- तुम्हारे इस चूहे को तो जरा भी चैन नहीं है. अभी दस मिनट पहले मेरी चूत में इसने तूफान मचाया हुआ था और अब फिर से तैयार हो गया है.

मैंने मन में सोचा कि साली अभी बता देता हूँ कि ये चूहा है या शेर है. अभी ये भी हॉट हो गई है … लोहा गर्म है, क्या पता आज इसकी गांड मारने को भी मिल जाए.

मैंने आयशा से कहा- चूहे ने दूसरा छेद भी देख लिया है न … इसलिए इतना फनफना रहा है. बाथरूम जाते वक्त तुम्हारी मदमस्त गांड देखने के बाद से इसे जरा भी चेन नही है. अब तो तुम्हीं कुछ कर सकती हो.

आयशा ने शुरूआत में नानुकुर की, थोड़ा सा झूठ-मूठ का गुस्सा भी दिखाया.
लेकिन फिर वो मेरे लंड पर थूक लगाती हुई मेरा लंड हिलाने लगी.

वो बोली- यार, मैंने कभी गांड मरवाई नहीं है, समीर का तो तुम्हें पता ही है, उसे इस सबमें इतना इंटरेस्ट नहीं है. ऊपर से तुम्हारा ये चूहा इतना बड़ा है … मेरी तो फाड़कर रख देगा.

आयशा का बदला हुआ रंग देखकर मैं समझ गया कि इसका मन तो बहुत है लेकिन थोड़ा डर रही है.

मैं अपना लंड उसके मुँह के पास ले गया तो वो समझ गयी और होंठ खोल कर मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.

मैं धीरे धीरे अपना लंड उसके मुँह में अन्दर बाहर किए जा रहा था. मुझे लंड चुसवाने में इतना आनन्द आ रहा था कि बस पूछो मत.

उसके मुँह को चोदते चोदते मैंने आयशा से कहा- हम धीरे धीरे करेंगे. अगर तुम्हें दर्द हुआ, तो मैं लंड निकाल लूंगा.
वो राजी हो गयी.

थोड़ी देर मुँह चोदने के बाद मेरा छूटने वाला था तो मैंने आयशा के सिर को पीछे से पकड़ कर जोर जोर से चोदना शुरू कर दिया.

और मैंने पूरा लंड उसके मुँह में ठूंस दिया और रस झाड़ने लगा.

मेरा लंड उसके गले तक उतरा हुआ था तो लंड से निकली हुई वीर्य की सारी पिचकारियां एक एक करके सीधे उसके गले से नीचे उतर रही थीं.

यहां आयशा की आंखों से आंसू निकल रहे थे … और वहां मेरा वीर्य गले से होता हुआ उसके पेट में जा रहा था.

वीर्य की पिचकारियों के बाद जब मेरा लंड खाली हुआ, तब जाकर मैंने अपना लंड उसके मुँह से बाहर निकाला.

आयशा की सांस थोड़ी फूल गयी थी. उसने सांसें ठीक की और मुझे मारने लगी.
लेकिन फिर आयशा ने अपनी चूत की ओर इशारा किया, तो मैं समझ गया कि डॉक्टर साहिबा क्या चाहती हैं.

मैंने उसको उठाकर सोफे पर बिठाया, उसके दोनों पैर फैलाए और झुक कर उसकी प्यारी सी पाव रोटी की तरह फूली हुई चूत को मुँह में लेने ही वाला था कि उसकी बेटी उठकर रोने लगी.
आयशा सोफे से उठकर अन्दर बेटी के पास चली गयी.

मैंने घड़ी में देखा तो दोपहर के दो बज गए थे.
इस कामक्रीड़ा में तो वक्त का पता ही नहीं चला था.

मैंने अपनी लोअर और टी-शर्ट पहनी और अपने घर आ ही रहा था. तभी आयशा बेटी को लेकर बाहर आ गयी.

वो अभी भी बिना कपड़ों के ही थी, आयशा ने मुझे एक किस कर दी.

फिर जाते जाते मैंने भी उसके एक मम्मे को अपने मुँह में लेकर चूसा.

उसके दूध का थोड़ा सा स्वाद लेते हुए ‘शाम को आता हूँ …’ बोल कर मैं अपने घर चला आया.

फिर जब शाम को मैं आयशा के घर गया तो वो किचन में खाना बनाने के लिए आटा गूंध रही थी और उसने लोअर टी शर्ट पहनी हुई थी. 

मैंने पीछे से जाकर उसकी लोवर नीचे खींच दी और सीधे उसकी चूत को चूसने लगा.

अचानक हुए इस हमले से पहले तो आयशा थोड़ी चिहुंक उठी लेकिन फिर उसे भी मजा आने लगा.

पीछे से उसकी चूत के फूले हुए होंठों के बीच वाली दरार में मैं अपनी जीभ को ऊपर से नीचे तक घुमाने लगा.

आयशा की चूत कुछ ही पलों में पानी छोड़ने लगी थी और मैं उसकी चूत से निकलने वाले पानी को सरप सरप करके पीने लगा था.
कभी उसकी मदमस्त टाईट गांड में एक उंगली डालने की कोशिश करता लेकिन उसकी गांड बहुत ही टाईट थी.

मैंने उंगली को उसकी चूत के रस में भिगोया और उसकी गांड में सरका दी तो आयशा फिर से चिहुंक उठी और मेरी ओर देखने लगी.

उसकी आंखों से मौन स्वीकृति मिलते ही मैंने उंगली को और अन्दर धकेला और अन्दर बाहर करने लगा.
आयशा अब गर्म हो चुकी थी और मेरा मन उसकी अनचुदी गांड मारने का हो रहा था.

मैंने आयशा को किचन के प्लेटफॉर्म पर ही थोड़ा झुकाया और अपने लंड का सुपारा उसकी गांड की छेद पर रख दिया.
मैं लंड अन्दर पेलने के लिए जोर लगाने लगा लेकिन लंड फिसल गया.

एक दो बार कोशिश करने के बाद भी लंड का सुपारा आयशा की गांड में नहीं जा रहा था.

आयशा ने मुझे रोका और बोली रहने दो नही जायेगा तो मैंने उसके बेडरूम से क्रीम लाकर मेरे पूरे लंड पर लगा दी.

और थोड़ी सी क्रीम उंगली पर लगाकर आयशा की गांड में उंगली ठूंस दी और गोल गोल फिराकर उसकी गांड में क्रीम लगा दी.और फिर उसकी गांड के छेद पर उसको लंड लगाने के लिए बोला.

लंड का सुपारा उसकी गांड के छेद पर लगते ही मैंने पूरी ताकत के साथ झटका दिया तो इस बार क्रीम की वजह से मेरा आधे से ज्यादा लंड आयशा की अनचुदी गांड में सरसराता हुआ उतर गया.

इस झटके की वजह से आयशा कराह उठी.
उसकी आंखों से आंसू टपकने लगे और वो मुझसे छूटने का प्रयास करने लगी.

लेकिन सामने किचन का प्लेटफॉर्म अवरोध बना हुआ था और पीछे से लंड उसकी गांड में डाले हुए मैं खड़ा था तो आयशा खुद को छुड़वा ना सकी.

थोड़ी देर तक मैं वैसे ही खड़ा रहा और आयशा की नंगी गोरी पीठ को चाटता रहा. कभी उसकी गर्दन पर, कभी उसके कान के पास किस कर देता, तो कभी दोनों हाथों से उसके मम्मों को सहला देता, तो कभी निप्पल्स को दो उंगलियों में पकड़कर मसल देता.

जब धीरे धीरे आयशा का दर्द कम हुआ तो उसने खुद ही अपनी गांड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया.
अब मैं भी लंड को जितना अन्दर गया था, उतना ही अन्दर बाहर करने लगा.

अब आयशा को भी गांड मरवाने में मजा आने लगा था, उसके मुँह से भी मादक सिसकारियां निकल रही थीं.

मुझे समझने में देर ना लगी कि अब आयशा एक और झटके के लिए तैयार है.
मौके को समझ कर लंड को पूरा बाहर खींचकर फिर से एक और झटका दे मारा.

इस बार मेरा सात इंच का लंड पूरा का पूरा आयशा की गांड में उतर गया.

फिर से एक बार आयशा की चीख निकली, उसकी आंखों से आंसू बहने लगे लेकिन इस बार ना तो उसने मुझे रोकने की कोशिश की … और ना ही खुद को छुड़वाने की.

बस एक गाली देती हुई बोली- भैनचोद, थोड़ा आराम से पेल … समीर के आने तक तुझे ही चढ़ना है मेरे ऊपर, मैं कहीं नहीं जा रही!
उसके मुँह से गाली सुनते ही मेरा लंड उसकी गांड में ही फूल गया और उसकी टाईट गांड मुझे और ज्यादा टाईट लगने लगी.

मैं अब धीरे धीरे लंड को उसकी गांड में आगे पीछे कर रहा था.
लंड के नीचे लटकने वाली मेरी गोटियां आयशा की चूत पर जाकर टकरा रही थीं.
मेरी टांगें उसके चूतड़ों पर टकराने से पट पट की लयबद्ध आवाज पूरे किचन में गूंज रही थी.

कोई 30-40 धक्कों के बाद मैंने आयशा से पोजीशन चेंज करने के लिए बोला.

मैंने गांड से लंड को बाहर निकाला तो टक की आवाज के साथ लंड बाहर आ गया.

किचन सेक्स के बाद मैं आयशा को गोद में उठाते हुए हॉल में ले आया.
बच्ची को बेडरूम में सुलाया हुआ था, इस वजह से हम बेडरूम का इस्तेमाल नहीं कर सकते थे.
लेकिन आयशा के हॉल में जो सोफा था, उसका बेड भी बनाया जा सकता था.

हॉल में आते ही आयशा को नीचे खड़ा करके मैंने सोफे को खींचकर बेड में तब्दील कर दिया.

आयशा समझ गयी कि उसे क्या करना है.
वो बेड पर आकर पीठ के बल लेट गयी. मैं उसके ऊपर चढ़कर उसके नाजुक मुलायम होंठों को चूसने लगा.

फिर धीरे धीरे उसके उरोजों पर आकर दूध की एक दो चुस्कियां लगाते हुए उसके पैरों को मोड़ दिया.
अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर सैट करके एक ही झटके में पूरा का पूरा लंड उसकी गांड में उतार दिया.

उसकी एक मादक आह निकली और उसने लंड गांड में खा लिया.

फिर मैं आयशा की मदमस्त गांड चोदने लगा.
इस पोजीशन में मैं चोदते चोदते जब चाहता तो आयशा के उरोजों से दूध पी लेता.

आयशा बस कामुक सिस्कारियां ले रही थी और अपनी चूत को सहला रही थी.

इस बीच वो एक बार झड़ी भी थी और अब वो थकावट महसूस कर रही थी.

मैंने भी अब अपने धक्के तेज कर दिए थे और कुछ बीस धक्कों के बाद मैंने पूरा लावा आयशा की गांड में उगल दिया.

मेरे गर्म लावे का अहसास आयशा को इतना ज्यादा हुआ कि उसकी चूत ने एक और बार पानी छोड़ दिया.

मैं थक कर आयशा के ऊपर ही गिर पड़ा.
हम दोनों अपनी अपनी सांसों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे थे. और न जाने कब हमारी आंख लग गयी.

जब मैं उठा तो आयशा बेड पर नहीं थी, शायद मुझे अपने ऊपर से हटाकर वो उठकर बेडरूम में चली गयी होगी.

मैं उठकर बेडरूम में चला आया तो देखा आयशा बच्ची को दूध पिला रही थी.
मुझे देख कर उसने खुद ही मुझे दूध पीने का निमंत्रण दे दिया.

वैसे भी मुझे भूख लगी थी और मैं निमंत्रण का इंतजार भी नहीं करने वाला था.

सीधे जाकर मैंने आयशा के मस्त गुलाबी निप्पल को मुँह में भर लिया और उसके उरोजों से दूधपान करने लगा.
उसका दूध जैसे जैसे गले से नीचे उतर रहा था, वैसे वैसे मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा था.

आयशा ने मेरे लंड पर धीरे से एक चपत लगाते हुए कहा- अब आज कुछ नहीं मिलेगा तुम्हारे इस चूहे को. चुपचाप पेटभर दूध पी लो और घर जाओ. पहले से ही गांड फाड़ रखी है.
मैं चुपचाप दूध पीता रहा.

तब तक उसकी बेटी भी सो चुकी थी तो अब मैंने उसके दूसरे उरोज को मुँह में भर लिया और दूध पीने लगा.

जब मेरा पेट भर गया, तब मैंने आयशा को बोला- गांड फड़वाकर लंड लेने में तुम्हें मजा भी तो आया था. ऐसे ही थोड़े गांड फाड़ने दी है तुमने.
वो हंस कर बोली- हां मजा तो बहुत आया … लेकिन अब दर्द भी हो रहा है.

मैंने उठकर उसे एक पेनकिलर खाने के लिए दी, साथ ही फ्रिज से उसी के दूध की बोतल लाकर उसको थमा दी.
उसने दूध के साथ पेनकिलर लेकर बोतल का पूरा दूध पी लिया.

अब जो सवाल मेरे दिमाग में बचा था, वो ये था कि आयशा इतने सारे स्टोर किए हुए दूध का करती क्या है.

मेरे पूछने पर उसने बताया कि डॉक्टर होने की वजह से उसके पास ऐसे बहुत सी महिलाएं आती हैं, जिनके उरोजों से दूध की मात्रा ना के बराबर होती है, तो वो ऐसी महिलाओं को उनके बच्चों के लिए दूध दे देती है और साथ में ये भी बताया कि कुछ ऐसे भी लोग आते हैं, जिनको दूध पीने की इच्छा रहती है, तो वो उन्हें भी दूध की सप्लाई करती है, लेकिन अब लॉकडाउन की वजह से वो किसी को दूध नहीं दे पा रही है.

यूं ही दिन बीतते गए.

रोज सुबह शाम आयशा के अमृत कलशों से दूध पीना और जब मन करे, तो उसकी चूत गांड चोदना.

कभी बस चूत को चाट कर वोडका जैसे स्वाद वाला उसका पानी पीना, ये अब रोज का सिलसिला बन गया था.

मेरा लॉकडाउन तो बड़े मजे में जा रहा था.

मेरी किचन सेक्स ऐस फक कहानी पर अपने मेल जरूर भेजें.
Man650490@gmail.com

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