कॉलेज फ्रेंड सेक्स कहानी 1

नमस्कार दोस्तो, मैं सलमान आप सभी का धन्यवाद करता हूँ, जो आप मेरी कहानियों को इतना प्यार बख्शते हो, मुझे ईमेल करते रहते हो। दोस्तो, यह कहानी मेरे एक पाठक की है| जी उसने अपनी जुबानी मुझे बताई है, तो मैं आपको उसी के शब्दों में पेश कर रहा हूँ।

हैलो फ्रेंड्स, मैं संजीव कुमार आपको अपनी कॉलेज फ्रेंड की  सेक्स कहानी सुना रहा हूँ.

ये एक सच्ची घटना है.

बात 2020 वर्ष के जनवरी महीने की है, मैं जब शाम को ऑफिस से घर लौटा, तो देखा कि मेरे सामने वाले घर में कोई रहने आया है.

उनका पूरा सामान मंजिल पर बिखरा हुआ पड़ा था और मजदूर आकर एक एक करके सामान घर में लेकर जा रहे थे.

मैं उस सामान के बीच में से जैसे तैसे बचता हुआ अपने दरवाजे तक आया और चाबी से दरवाजा खोल कर अन्दर आ गया.

मेरी मंजिल पर सिर्फ दो ही रूम हैं, तो दोनों के दरवाजे आमने सामने हैं.

जब मैं दरवाजा बंद कर रहा था … तब मेरी नजर सामने वाले घर में चली गयी.

मैंने देखा तो कोई औरत एक छोटे बच्चे को लेकर खड़ी थी. शायद कोई परिवार रहने आया था.

मैंने दरवाजा बंद किया और फ्रेश होने चला गया.

फ्रेश होकर चाय पीने बैठा ही था कि किसी ने दरवाजे की घंटी बजाई.

दरवाजा खोला तो देखा मेरी कॉलेज की दोस्त आयशा जो कि अब डॉक्टर बन चुकी थी … वो अपने छोटे से बच्चे के साथ सामने खड़ी थी.

मुझे समझने में देर नहीं लगी कि आयशा ही सामने वाले घर में रहने आयी है.

वैसे तो स्कूल खत्म होने के बाद हमारी व्हाट्सएप पर कभी कभी बात होती थी लेकिन उसकी शादी होने के बाद कभी कोई बात नहीं हुई थीं.

मैंने उसको अन्दर आने का निमंत्रण दिया, तब तक मां भी अन्दर से आ गईं.

आजकल मेरी मां मेरे साथ ही रहने आई हुई थीं.

मेरी स्कूल फ्रेंड होने की वजह से मेरे घर में उसे सब जानते थे.

उसे, उसकी बेटी को सुलाना था … तो मां ने उसे बच्चे को लेकर अन्दर के रूम में ले जाने को कहा.

फिर तो उसका और उसके पति समीर का रात का खाना हमारे ही घर में बना.

आयशा का मेरी फ्रेंड होने की वजह से अब उसका मेरे घर पर और मेरा उसके घर पर आना जाना शुरू हो गया.

समीर के साथ भी मेरी अच्छी दोस्ती हो गयी थी.

ऑफिस से आने के बाद मैं उसकी बेटी के साथ खेलने भी चला जाता, तो कभी छुट्टी के दिन उसके पति के साथ गप्पें लड़ाने बैठ जाया करता था.

ऐसे ही दिन गुजरते गए.

मेरी मां, पापा के पास होली के लिए गांव गई थीं.

जाते वक्त मां आयशा को बोल कर गई थीं कि वो मेरा ध्यान रखे.

उसके दूसरे ही दिन समीर को भी किसी काम की वजह से उसके गांव जाना पड़ा, वो दो दिन बाद लौटने वाला था.

लेकिन उसके गांव जाने के एक दिन बाद ही पूरे देशभर में लॉकडाउन लगा दिया गया.

उसी वजह से मेरी मां, पापा के साथ रह गईं … और समीर भी उसके गांव में ही फंस कर रह गया.

उसी रात समीर का मुझे फोन आया और आयशा और बच्ची का ध्यान रखने के लिए बोला.

मैं यही बात आयशा को बताने के लिए उसके घर गया, तो घर का दरवाजा खुला ही था.

तो मैं सीधे उसके बेडरूम में चला गया और जो नजारा मैंने देखा, उसके बाद तो मेरा आयशा को देखने का नजरिया ही बदल गया.

मैंने इसके पहले कभी भी आयशा के शरीर के बारे में सोचा नहीं था … ना कभी उसको उस नजर से देखा था.

मैं आपको आयशा के बारे में बता देता हूँ वह एक 27 साल की लड़की है, जिसकी दो साल पहले ही शादी हुई थी और उसको अब एक छह माह की छोटी बच्ची है.

आयशा की लंबाई लगभग पांच फुट दो इंच है. सफेद गोरा रंग, काले लंबे बाल, 34 इंच के दूध से भरे उरोज. 28 इंच की कमर और 36 इंच की मस्त गदरायी हुई गांड है.

आयशा अपनी कमीज़ निकाल कर बेड पर टिक कर बैठी थी. उसकी आंखें बंद थीं वो अपने कानों में हेडफोन्स लगाए हुए थी और उसने अपने दूध भरे उभारों पर मिल्क सकिंग पंप लगाया हुआ था, जिससे बोतल लगभग भरने ही वाली थी.

कसम से उसको इस अवस्था में देख कर मेरे शॉर्टस में तंबू बन गया. मेरा साथ इंच का लंड सलामी देने लगा.

मैंने मौके का फायदा लेते हुए आयशा की इस स्थिति में कुछ तस्वीरें खींच लीं.

फिर जैसे मुझे कुछ पता ही नहीं, ऐसा दिखावा करते हुए मैं आयशा को आवाज लगाते उसके बेडरूम में घुस गया.

मुझे इस प्रकार सीधे अन्दर आते देख आयशा ने बाजू में रखी हुई कमीज़ अपने उभारों पर ओढ़ ली और मैं भी आंखें बंद करने का नाटक करते हुए उसको कमीज ठीक से पहनने के लिए बोलकर बेडरूम से बाहर निकल आया.

आयशा भी अपने दुधारू मम्मों से पंप निकाल कर कमीज डालकर बाहर आ गयी.

वो मुझसे नजरें नहीं मिला पा रही थी.

लेकिन अब यही मौका था आयशा से खुलकर कर बात करने का … और मैं ये मौका गंवाना नहीं चाहता था.

इसलिए मैं जानबूझ कर जोर से हंसने लगा और उससे पूछने लगा- ये क्या कर रही थी तुम?

थोड़ी देर तक तो वो कुछ भी नहीं बोली लेकिन थोड़ी ही देर में नीचे देखते हुए शर्मा कर मुस्कुराने लगी.

फिर मैं भी थोड़ा फ्लर्ट करते हुए उसके मदमस्त उभारों की तारीफ करने लगा.

वो झूठ-मूठ का गुस्सा दिखाते हुए मुझे चुप होने के लिए बोलने लगी.

फिर भी मैंने उसकी तारीफ जारी रखी और उसको बूब्सपंप के इस्तेमाल करने का कारण पूछा.

तो उसने बताया कि उसके स्तन दूध ज्यादा मात्रा में तैयार करते है … और उतना दूध उसकी छह महीने की बच्ची नहीं पीती है.

स्तनों में दूध ज्यादा होने के कारण वो निप्पलों से रिसता रहता है और उसके कुर्ते के ऊपर निप्पलों के पास धब्बे बना देता है.

मुझे एक और सवाल सताए जा रहा था कि वो निकाले हुए दूध का क्या करती है.

उसके बारे में पूछने पर उसने बताया कि वो दूध को फ्रिज करके रखती है और इस प्रकार फ्रीज़ किया हुआ दूध लगभग तीन महीने से अधिक वक्त तक खराब नहीं होता.

ये सब सुनते हुए मेरी नजरें कमीज से बाहर आने को बेबस हुए जा रहे आयशा के उभारों पर थीं.

मैं सब सुन तो रहा था … लेकिन उसके दूध से भरे हुए उभार देखकर मेरे शॉर्ट्स में लंड पूरी तरह खड़ा हो चुका था.

जो आयशा को भी नजर आ रहा था और वो अब मुझपर हंसने लगी थी.

मैंने हंसने का कारण पूछा, तो बोली- मेरे उभारों को देख लिया हो … तो अपने चूहे को काबू में कर लो वरना चूहा शॉर्टस से बाहर आ जाएगा.

ये कह कर वो फिर से जोर जोर से हंसने लगी.

मैंने भी मौके पर चौका मारते हुए बोला- तुम्हारे उभार दिख ही कहां रहे हैं. तुमने तो उन्हें सूट के अन्दर छुपा कर रखा है.

आयशा के दिमाग में आज कुछ अलग ही चल रहा था. उसने मुझे सीधे सीधे पूछ लिया कि एक शर्त पर मेरे उभार देखने मिलेंगे, अगर मंजूर है तो बोलो!

अब अगर वो जान भी मांगती तो भी मैं दे देता.

मैंने कहा- शर्त मंजूर है लेकिन क्या शर्त है … वो तो बताओ!

तब उसने कहा कि मुझे भी तुम्हारा लंड देखना है.

ये कहते हुए उसने अपना सूट उतार दीया.

अहा … उसके दूध से भरे हुए दूध के ही रंग के दो अमृत कलश जिनका साइज मैंने पहले ही बताया है कि ये 34 साइज़ के रहे होंगे.

उन पर दस रुपये के सिक्के जितना हल्के गुलाबी रंग का एरोला था. उसके ऊपर आधे इंच के खड़े निप्पल, जिसमें से बीच में ही दूध की एकाध बूंद निकल रही थी. उसके मदमस्त स्तन मेरे सामने खुले थे.

मैं तो उसे देखता ही रह गया. मेरे मुँह में पानी भी आ रहा था और मेरा गला भी सूख रहा था.

मेरा मन तो कर रहा था कि अभी उसके गुलाबी निप्पलों को मुँह में लेकर उसका दूध पीना शुरू कर दूं.

मैं अपने होंठों पर जुबान फिराते हुए उसके उभार देख रहा था.

तभी आयशा बोल पड़ी- चलो अब तुम्हारा नम्बर है … अपना लंड दिखाओ.

उसके मुँह से ऐसे शब्द मुझे और उकसा रहे थे.

मैंने आयशा को बोला- तुम खुद ही देख लो.

उसने कोई विलंब न करते हुए मेरे शॉर्ट्स को नीचे कर दिया और मेरा सात इंच का लंड उसके सामने फनफनाने लगा था.

खड़े लंड को देखते ही उसके मुँह से निकल पड़ा- बापरे … इतना बड़ा, समीर का तो इससे आधा ही है.

आयशा के मुँह से ये निकला तो मेरे लंड ने एक बार जोर से फनफना कर दिखा दिया.

तभी आयशा के निप्पल से दूध की एक बूंद गिरने वाली थी, उसको पकड़ने के लिए मैंने हाथ आगे कर दिया.

तो आयशा ने मुझे रोक लिया और कहने लगी- बात सिर्फ देखने की हुई थी.

तो मैंने कहा- कम से कम दूध का स्वाद तो चखने दो.

उसने बेडरूम में जाकर अभी निकाले हुए दूध की बोतल लाकर मुझे दे दी और इठला कर बोली- लो चख लो स्वाद.

मैंने भी बोतल में से पूरा दूध पी लिया. रोजाना के दूध की तरह ये दूध पतला नहीं था बल्कि क्रीमी था और हल्की सी मिठास भी थी. बोतल से आखरी बूंद तक मैंने पी ली.

फिर आयशा ने पूछा- तो कैसा था स्वाद?

मैं बोल पड़ा- सौ मिलीलीटर दूध से क्या स्वाद पता चलेगा.

इस पर उसने दूसरी भी बोतल मुझे लाकर दे दी. मैं वो भी गटक गया, पर मेरा तो मन ही नहीं भर रहा था.

और भरता भी कैसे! सामने दो अमृतकलश नग्न थे और मैं बोतल से दूध पी रहा था.

आयशा ने फिर से स्वाद के बारे में पूछा, तो मैंने कहा- स्वाद तो ठीक ठाक था लेकिन सीधे अगर अमृतकलशों से पीने मिलता, तो मजा आ जाता.

उसने मुझे थोड़ा नाराजगी से देखा और घर जाने के लिए कहा.

मैं भी अपनी शॉर्टस को ऊपर करके अपने घर पर आ गया.

घर आकर मैंने मोबाइल से आयशा की वो फोटो देख कर मुठ मारी और सो गया.

सुबह आयशा के ही डोरबेल बजाने से मेरी नींद खुली.

सुबह सुबह मानो कामदेवी के दर्शन हो गए थे.

वो सफेद रंग की पारदर्शी मैक्सी में थी. जिसमें से उसके दोनों उभारों का आकार साफ़ साफ़ नुमाया हो रहा था. उसके ऊपर के कड़क निप्पल भी स्पष्ट नजर आ रहे थे.

उसने नीचे काले रंग की शॉर्ट्स पहना था, वो उसकी आधी जांघों तक भी नहीं आ रहा था.

मैं तो बस उसे देखने में ही मग्न हो गया था और मेरी शॉर्ट्स में मेरा लंड उफान मचाने लगा था.

पता नहीं आयशा के दिमाग़ में क्या चल रहा था. उसने मेरे लंड को शार्टस के ऊपर से ही अपने हाथों में पकड़ कर खींचा और कहा- अपने चूहे को बोलो कि उसे कुछ मिलने वाला नहीं है. जल्दी से नहा कर नाश्ता करने आ जाओ.

मैंने सुबह की सब क्रिया खत्म की और नाश्ता करने चला गया.

आयशा बेडरूम में बच्ची को दूध पिला रही थी, उसने अन्दर से ही आवाज देकर किचन में रखा हुआ नाश्ता और दूध लेने के लिए कहा.

मैंने किचन में जाकर देखा, तो एक बर्तन में केलॉग्स और दो बोतल दूध निकाल कर रखा हुआ था.

मैं बोतल देखकर ही समझ गया कि आयशा ने अपना दूध निकालकर रखा है.

आज किचन में आयशा के मम्मों का दूध निकला देखा, तो मेरे मन में फिर से उत्तेजना सवार होने लगी.

मैंने बोतल में से दूध बर्तन में डाला और केलॉग्स लेकर हॉल में बैठ गया. तभी आयशा अपनी बच्ची को सुलाकर बाहर आयी और मुझसे पूछने लगी कि और दूध चाहिए हो तो मांग लेना.

ऐसे प्रोटीन युक्त दूध को भला कोई मना भी कैसे कर सकता था. मैंने और दो बोतल दूध पिया.

आयशा ने मंद मंद मुस्कुराते हुए मुझसे पूछा- दूध का स्वाद बहुत भाया है न!

तब मैंने हां कहते हुए उसके अमृतकलशों से स्तनपान करने की मेरी इच्छा फिर से जताई.

तो आयशा ने अपना सूट एक तरफ से ऊपर करके कहा- लो कर लो अपनी इच्छा पूरी.

एक सेकंड के लिए तो मुझे यकीन नहीं हो रहा था.

थोड़े ही वक्त पहले इसी लड़की ने‘कुछ नहीं मिलेगा ..’ ऐसे कहा था और अब अपना एक वक्ष बाहर निकाल कर मुझे उसका दूध पीने का निमंत्रण दे रही है.

मैंने ज्यादा ना सोचते हुए उसके दूध से भरे उभार को हाथ में लिया और उसके निप्पल पर जीभ को फेरते हुए अपने होंठों में उसके निप्पल कैद करके चूसना शुरू कर दिया.

पहले एक बूंद फिर दूसरी और फिर दूध की धार मेरे मुँह में छूटने लगी.

वो गर्माहट और मिठास से भरा दूध का गाढ़ापन मुझे मस्त कर गया.

ऐसे लगा जैसे अमृत की धारा ही मेरे मुँह में बरस रही थी और धीरे धीरे मेरे गले से नीचे उतर रही थी.

इस अनुभव को मैं शब्दों में बयां ही नहीं कर सकता था.

एक स्तन को चूसते चूसते मेरा हाथ आयशा के दूसरे स्तन की तरफ मुड़ा.

मैंने उसका कुर्ता ऊपर करते हुए उसके दूसरे स्तन को भी अपने हाथ में थाम लिया और जोश जोश में दबाने लगा, तो उसमें से दूध की धार निकल कर सीधे मेरे आंख में चली गयी.

आयशा हंसते हुए बोली- इतनी जल्दबाजी अच्छी नहीं … एक एक करके चूसो और खाली कर दो मेरे मम्मों को.

मैं बारी बारी से आयशा के स्तनों को चूसने लगा और उनका दूध पीने लगा.

चूसते चूसते मैं कभी कभी उसके निप्पल पर दांत गड़ा देता, तो उसकी हल्की सी चीख़ निकल जाती.

मेरे हाथ अब आयशा के पूरे शरीर पर घूमने लगे थे.

उसके उभार चूसते चूसते मैं कभी उसकी जांघों को मसलता, तो कभी नरम मुलायम गांड को, तो कभी उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत सहला देता.

आयशा बस आहें भर रही थी और मुझे अपना दूध पिलाए जा रही थी.

मैंने देखा कि आयशा की आंखें बंद थीं और इसी का फायदा लेते हुए मैंने अपना हाथ उसकी सलवार में डाला ही था कि उसी वक्त बच्ची नींद से उठ कर रोने लगी.

आयशा ऐसे ही खुले उभार लेकर, जिसमें से दूध रिस रहा था … बेडरूम की ओर दौड़ते हुए चली गयी. मैं भी उसके पीछे बेडरूम में चला गया. आयशा ने बच्ची को गोद में उठाते हुए उसके मुँह में एक निप्पल दे दिया और उसे दूध पिलाने लग गयी.

मैं भी हॉल में आकर बैठ गया और अपने खड़े लंड को शॉर्ट्स से बाहर निकाल कर सहलाने लगा.

बहुत देर तक आयशा नहीं आयी तो मैंने बाथरूम में जाकर हस्तमैथुन करके अपने आपको शांत कर दिया.

थोड़े समय बाद जब आयशा आयी, तो उसने पूछा- क्यों हो गई इच्छा पूरी!

मैं ना में गर्दन हिलाते हुए आयशा के नरम मुलायम होंठों पर किस करने लगा.

उसने मुझे रोकते हुए कहा- इतनी भी क्या जल्दी है … पहले जाकर मार्केट से सामान ले आओ … सब बंद हो गया तो खाली पेट सोना पड़ेगा.

फिर मैं मार्केट से सामान लाने चला गया.

अब तो मुझे आयशा का दूध उसके मध्यम आकार के उभारों से पीने मिल रहा था.

रोज सुबह शाम मैं आयशा के अमृतकलश चूस चूस कर उसका दूध पी रहा था लेकिन मुझे तो उसकी चूत मारनी थी और आयशा थी कि चुत पर हाथ जाते ही रोक लेती थी.

ऐसे दो तीन दिन चले गए.

फिर एक दिन जब सुबह मैं आयशा के घर गया. तो ना तो आयशा किचन में थी … और ना ही बेडरूम में, बच्ची भी बेडरूम में अकेले सो रही थी.

मैंने आयशा को आवाज लगाई, तो उसने बाथरूम से आवाज दी- बैठो, मैं नहा कर आती हूँ.

मैंने हॉल में सोफे पर बैठ कर टीवी चला दिया और धीमी आवाज में देखने लगा ताकि बच्ची ना उठ जाए.

थोड़ी देर बाद आयशा अपने मादक शरीर पर टॉवेल लपेटकर हॉल में कुछ ढूंढने आयी, शायद वो उसकी पेंटी ढूंढ रही थी, जिस पर मैं खुद बैठा था.

तभी अचानक से वो बाजू की अलमारी से दूसरी पेंटी निकालने के लिए झुकी, तो पीछे से उसका टॉवेल ऊपर हो गया और मुझे उसकी चूत के दर्शन हो गए. जिसे देखने के लिए मैं इतने दिन से मरा जा रहा था.

दो चूतड़ों के बीच पावरोटी की तरह फूली हुई चुत और बीच में गुलाबी रंग की दरार देखकर तो मेरे मुँह में पानी ही आ गया.

उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था. लग रहा था, जैसे अभी झांटें साफ कर के आयी थी.

मैंने बिना वक्त गंवाए अपना मुँह सीधा उसकी चुत पर रख दिया.

आयशा अचानक हुए इस हमले से चिहुँक उठी, लेकिन ना तो वो आगे जा सकती थी और न ही अलमारी के दरवाजों की वज़ह से बाजू में जा पा रही थी.

वो मादक स्वर में सिस्कारते हुए उसी प्रकार खड़ी रही और मैं उसकी चुत के खड़े होंठों पर अपनी जुबान फिराने लगा.

अपनी जुबान की नोक से मैं आयशा की चूत को कुरेदने लगा तो कभी उसकी चूत के होंठों को अपने होंठों में पकड़ कर खींच लेता.

धीरे धीरे आयशा गर्म होने लगी.

उसने अपना एक हाथ नीचे लाकर अपनी चूत को फैला दिया.

मैं उसकी चूत को अन्दर से ऊपर से नीचे तक चाटने लगा.

आयशा की चूत भी पानी छोड़ रही थी और मेरा लंड भी खड़ा होकर झटके मार रहा था.

अब जब कि आयशा मेरे कन्ट्रोल में आ चुकी थी, तो मैंने आयशा को सोफे पर बैठने के लिए बोला.

आयशा अपने पैर फैला कर सोफे पर बैठ गयी और मैं उसकी दोनों मांसल जांघों के बीच में अपना सिर घुसाए उसके यौवन रस का रसपान कर रहा था.

कभी मैं अपनी पूरी जुबान उसकी चूत में घुसेड़ देता, तो कभी मेरी दो उंगलियां.

आयशा पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और मादक सिसकारियां भर रही थी.

उसकी चूत चाटते चाटते मैं कभी उसके दाने को दांतों के बीच में दबा देता, तो उसकी सिसकारियों की आवाज और बढ़ जाती थी.

अचानक से आयशा मेरा सर उसकी चूत पर दबाने लगी. मैं समझ गया आयशा अब झड़ने वाली है.

मैंने उसकी चूत के दाने को दांतों में पकड़ कर खींचना शुरू कर दिया.

अगले कुछ ही क्षणों में आयशा झटके देते हुए मेरे मुँह में झड़ गई. मैंने उसका पूरा पानी गटक लिया और चूत को भी चाट चाट कर साफ कर दिया.

अब मैंने आयशा की ओर देखा तो उसकी आंखें बंद थीं. वो अपनी सांसों को कंट्रोल करने का प्रयास कर रही थी.

मेरे हाथ अब भी उसकी गोरी और गदराई हुई जांघों को सहला रहे थे.

तभी आयशा बोल पड़ी- आज पहली बार इतना मजा आया है!

मैं बोला- अभी तो और मजे देने वाला काम बाकी है.

आयशा ने मेरी ओर देखते हुए कहा- अपने चूहे को बोलो कि मैं उसे अपने बिल में घुसने नहीं देने वाली.

लेकिन ये कहते वक्त उसके चेहरे पर शरारती हंसी आ गई थी और कहते कहते ही उसने अपना हाथ मेरी लोवर में डाल कर मेरे लंड को बाहर निकाल लिया था.

अभी सात इंच लंबा और तीन इंच मोटा लंड आयशा के हाथों में झटके मार रहा था.

नंगा लंड देखकर आयशा की आंखों में आई हुई चमक साफ नजर आ रही थी.

आयशा ने मेरे लंड को थोड़ी देर सहलाया और फिर आगे को झुक कर सुपारे पर अपनी जुबान फेरने लगी.

वो कभी अपनी जीभ को पूरे सुपारे पर गोल गोल घुमा देती, तो कभी सुपारे के मुँह पर अपनी जीभ की नोक से कुरेदने लगती.

कभी वो मेरा पूरा लंड ऊपर से नीचे तक चाट रही थी.

मैं तो मानो स्वर्ग में था.

फिर उसने लंड पर अपने मुलायम से होंठों को लगाया और मानों जैसे एक ही झटके में मेरा आधा लंड मुँह में भर लिया. फिर किसी लॉलीपॉप की तरह उसे चूसने लगी.

मैं तो बस आंखें बंद किए हुए इस स्वर्ग के सुख के मजे लेने लगा था.

तभी आयशा ने अपने दांत मेरे सुपारे पर गड़ा दिए.

मेरी एक चीख निकली और सब नशा जैसे उतार गया.

मैं गुस्से से आयशा को देखने लगा, तो उसने लंड को मुँह में रखकर ही शरारत वाली मुस्कान देकर फिर से एक बार अपने दांतों के बीच मेरे सुपारे को दबा दिया.

इस बार उसने दांतों को थोड़े हल्के से दबाया था तो मैंने भी गुस्से में आकर आयशा के सर को पीछे से पकड़ कर अपना पूरा लंड उसके मुँह में ठूंस दिया.

मेरा लंड जाकर सीधे उसके गले से टकराया, तो आयशा की आंखों से आंसू आने लगे.

अब मैं कहां रुकने वाला था. मैंने उसके मुँह को चोदना शुरू कर दिया.

आयशा के मुँह से सिर्फ गूं गूं गर्र गर्र की आवाज निकल रही थी. मेरा लंड उस के गले तक उतर रहा था और मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था.

लंड को मुँह में आगे पीछे करते करते मैं बीच बीच में ही अपना पूरा लंड उसके मुँह में डाल कर उसके सिर को मेरे लंड पर दबाये रखता.

मेरे ऐसे करने पर आयशा की आंखों से आंसू आ जाते थे.

अब मेरा पानी निकालने वाला था. मैंने आयशा से पूछा- कहां निकालूं?

तो उसने लंड अपने मुँह से निकल कर बाहर निकालने के लिए बोला.

मगर आठ दस धक्कों के बाद मैंने पूरा लंड आयशा के मुँह में पेल दिया और झड़ने लगा.

मेरे वीर्य की चार पांच पिचकारियां तो आयशा के मुंह में निकाल गईं. लेकिन आयशा ने जल्दी से लंड को मुँह से बाहर निकल दिया.

और हाथ से लंड हिला हिला कर उसने मेरा पूरा वीर्य अपने उभारों पर निकाल दिया.

मैं आयशा के बाजू में जाकर बैठ गया और उसके बालों से खेलने लगा.

आयशा ने मेरे सीने पर अपना सर रखते हुए कहा- मैंने पहली बार किसी का लंड मूंह में लिया है. समीर को तो ये सब पंसद ही नहीं है. ना तो वो कभी मेरी चुत चाटते है … और ना कभी मुझे लंड चूसने देते है. बस मुझ पर चढ़ कर मुझे गर्म करके खुद ठंडा हो जाते है.

मैंने आयशा का सिर अपने हाथ में लिया और उसे किस करने लगा.

आयशा भी मेरा साथ देने लगी.

मैं अपनी जीभ उसके मुँह में डाल कर घुमाने लगा, तो आयशा ने भी मेरी जीभ को पकड़ कर चूसना शुरू कर दिया. कभी वो मेरे मुँह में जीभ डाल रही थी … कभी मैं उसके मुँह में.

आयशा अब फिर से गर्म हो गई थी.

दोस्तो, कॉलेज फ्रेंड सेक्स स्टोरी में एक ब्रेक का टाइम आ गया है. आप अपने अपने लंड चुत हिला कर रगड़ कर झाड़ लो, मगर मेल करना न भूलना. अगली बार पूरी चुदाई की कहानी आपके सामने होगी. man650490@gmail.com

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