पड़ोस के जवान लड़के se चुद गई मैं- 4

गार्डन सेक्स की हिंदी कहानी में पढ़ें कि मैं अपने चोदू यार के साथ गार्डन में आ गयी. मैंने पेंटी नहीं पहनी हुई थी. उसने मुझे पेड़ की आड़ में कैसे चोदा?

मेरी सेक्स स्टोरी के पिछले भाग
पड़ोस के जवान लड़के se चुद गई मैं- 3

में आपने पढ़ा कि कैसे मैं अपने यार से सिनेमा हाल में चुदी.

लगभग 15 मिनट तक रोहित का लंड मेरी चूत के अंदर सैर करता रहा।
अंत में रोहित ने अपने धक्कों की स्पीड बहुत बढ़ा दी और वह मेरे अंदर ही स्खलित हो गया।
उसके गर्म गर्म वीर्य की फुहार मुझे अपने बच्चेदानी पर गिरते हुए महसूस हो रही थी और उससे मेरी चूत को बहुत ठंडक मिली और संतुष्टि भी।

अब आगे की गार्डन सेक्स की हिंदी कहानी:

वीर्य स्खलन के बाद भी रोहित ने मुझे अपने लंड पर ही बैठा कर रखा और किसी तरह अपनी जेब से मेरी पैंटी निकाली और उससे मुझे वीर्य साफ करने के लिए बोला।

मैं अपनी चूत के छेद को पैंटी से कवर करके रोहित के लंड से उतरी।
उतरते ही ढेर सारा वीर्य मेरी चूत के रास्ते बाहर आने लगा. जिसे मैंने अपनी पैंटी में लेकर बहने से रोका।

लेकिन रोहित के वीर्य से मेरी पेंटी पूरी सराबोर हो गई और अब इतनी गीली पैंटी पहनना मेरे लिए संभव नहीं था।
अत: मैंने पैंटी को रुमाल में लपेट कर अपने पर्स में रख लिया।

अब मैं और रोहित स्क्रीन पर चल रही पिक्चर को देखने लगे।

“चुदाई कैसी लगी डॉली?” रोहित मेरे कान में धीरे से पूछा।
“एक अलग किस्मत का मजा आया रोहित!” मैंने अपना सिर रोहित के कंधे पर रखते हुए कहा.
“अब यहां से बाहर निकलकर मुझे अपने लिए एक पैंटी खरीदनी पड़ेगी।” मैंने रोहित से कहा।

मेरी बात सुनकर रोहित हंसने लगा और बोला- यार, आज अगर बिना पैंटी के घूम लोगी तो कुछ फर्क थोड़े ही पड़ेगा। तुम भी नीचे से नंगी रहकर घूमने का लुफ्त उठाओ ना यार!
रोहित की बात सुनकर मैं भी सहमति से मुस्कुराने लगी।

कुछ देर के लिए रोहित बाहर चला गया.

तब मैंने अंधेरे में दूसरे कोने की तरफ देखने का प्रयास किया।
मुझे लगा उधर भी कुछ हो चुका था क्योंकि वह दोनों भी बैठ कर अब पिक्चर देख रहे थे।

रोहित के वापस आने के बाद मैं वॉशरूम के लिए गई।

बाहर कॉरिडोर में ही वह कोने में बैठी हुई लड़की भी दिख गई।
हम दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा दी मानो एक दूसरे की चोरी पकड़ ली हो।

तभी उस लड़की ने मेरे करीब आकर धीरे से बोला- आपकी ब्रा का हुक खुला हुआ है।

उसकी बात सुनकर मुझे ख्याल आया कि मैं बिना हुक लगाये मूवी हॉल से बाहर आ गई हूं।
मैंने इधर उधर देखा तो कॉरिडोर में कोई और नहीं था मैं तुरंत वॉशरूम में चली गई।

वॉशरूम का उपयोग करके मैंने अपने कपड़े ठीक किए तथा ब्रा का हुक भी लगा लिया।

बाहर आकर मैंने देखा तो वह लड़की अभी भी कॉरीडोर में ही थी।
मैंने मुस्कुरा कर उसका धन्यवाद किया।

“कैसे चल रही है पिक्चर?” उस लड़की ने मुझे अर्थ पूर्ण तरीके से देखते हुए पूछा।
अच्छी चल रही है। मैंने उस लड़की का आशय समझते हुए कहा।

“और तुम्हारी?” मैंने उस लड़की से मुस्कुरा कर पूछा।
मेरे प्रश्न के जवाब में लड़की सिर्फ मुस्कुरा दी।

अब मैंने ध्यान से देखा तो वह लड़की जींस पहने हुए थी मैं समझ गई कि इसके साथ मूवी के दौरान मजे जरूर हुए होंगे लेकिन चुदाई नहीं हुई है।

हम दोनों ने साथ-साथ कोल्ड ड्रिंक पिया और उसके बाद अपने-अपने सीट पर चली गयी।

मैं दोबारा उस लड़की तथा उसके बॉयफ्रेंड का सामना नहीं करना चाहती थी इसलिए मैं रोहित को मना कर इंटरवल के पहले ही मूवी से बाहर ले आई।

हम दोनों को भूख लग रही थी इसलिए हम लोग एक रेस्टोरेंट में चले गए।

पैंटी ना पहनने की वजह से मुझे कुछ अलग ही फील हो रहा था तथा मुझे यह सावधानी भी बरतनी पड़ रही थी कि कहीं स्कर्ट ऊपर ना उड़े।

खाना खाने के बाद मैंने रोहित से पूछा- अब क्या इरादा है?
रोहित बोला- घर तो वापस शाम को ही जाएंगे। चलो फिलहाल कहीं घूम लेते हैं।

“क्यों किसी और मौके की तलाश है?” मैंने आंख मारकर रोहित से पूछा।
“यार अगर मूवी में होते तो एक मौका और लग सकता था।” रोहित ने जवाब दिया।

अब मैंने रोहित को बताया- मैं कोने मैं बैठी लड़की तथा उसके बॉयफ्रेंड का इंटरवल में सामना नहीं करना चाहती थी, इसलिए मैं रोहित को मूवी से बाहर लेकर आई हूं।

खैर कुछ देर इधर-उधर घूमने के बाद हम लोग एक बगीचे में आ गए और सुस्ताने के लिए हरी घास पर बैठ गए।

बगीचे में ज्यादा भीड़ नहीं थी और यहां हमें पहचानने वाला भी कोई नहीं था, इसलिए हम लोग बेफिक्र से बैठे हुए थे।

नीचे पैंटी नहीं होने की वजह से मुझे थोड़ी सावधानी बरतनी पड़ रही थी, पर फिर भी यह खुला वातावरण मेरी चूत को भी अच्छा लग रहा था।

“आज का अनुभव बहुत अलग तथा अच्छा था।” मैंने रोहित से धीरे से कहा।
“भविष्य में भी हम यह अनुभव लेते रहेंगे।” रोहित ने मुझे आंख मारी।
“हां हां जरूर।” मैंने मुस्कुरा कर जवाब दिया।

अब रोहित मेरे बहुत नजदीक आ गया और फिर सटकर मुझसे बैठ गए।

रोहित ने अपनी गर्दन इधर-उधर घुमा कर देखा और आसपास किसी को ना पाकर उसने मेरी स्कर्ट में हाथ डाल दिया और मेरी चूत को अपनी दोनों उंगलियों से पकड़ कर सहलाने लगा।

“उई… मां.. क्या कर रहे हो? यार कोई देख लेगा तो बहुत बदनामी होगी।” मैं थोड़ी नाराज होते हुए रोहित से बोली।
“अरे रुको ना मेरी जान!” रोहित ने मुस्कुराते हुए बोला और उसने मेरे भगांकुर पर अपने अंगूठे को रखकर घुमाना शुरू किया।
“उई ….मां…! यहां सबके सामने तो मत सताओ ना!” मैंने कुछ कामोत्तेजित आवाज में कहा।

रोहित ने अपनी उंगली को मेरी चूत से निकाल दिया और चाटने लगा.

फिर वो मुझे आंख मार कर बोला- आज इस बगीचे में भी कुछ नया अनुभव करने को मन कर रहा है।
“तुम तो पूरे पागल हो गए हो। यहां यह सब संभव नहीं है।” मैंने कुछ गुस्सा दर्शाते हुए कहा।

“चलो ना यार … थोड़ा आसपास में घूम लेते हैं। क्या पता कोई जगह मिल ही जाए।”
वह उठ कर खड़ा हो गया और उसने अपना हाथ बढ़ाया। उसका हाथ पकड़कर कर मैं भी पकड़कर मैं भी खड़ी हो गई।

हम दोनों एक दूसरे के हाथों में हाथ डालकर थोड़ी देर घूमते रहे और बगीचे में ऐसी जगह पर आ गए जहां कुछ बड़े-बड़े पेड़ लगे हुए थे और कुछ पेड़ों के नीचे लड़के लड़की आपस में बतिया रहे थे।
एकांत देख कर रोहित और मैं एक पेड़ के पीछे चले गए।

रोहित ने मुझे पेड़ का सहारा लेकर आगे की तरफ झुक कर खड़े होने के लिए कहा।
हिम्मत करके मैंने वैसा ही किया।

रोहित ने जल्दी से इधर-उधर देखा और अपनी पैन्ट की जिप खोलकर कर अपना लंड बाहर निकाल लिया।

उसने मेरी चूत में अपनी उंगली डालकर थोड़ा सा काम रस निकाला और अपने लंड पर लगाकर लंड को चिकना किया और अपने लंड को मेरी चूत के छेद पर रखा।
अब एक ही धक्के में रोहित ने अपना पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया.

मेरी स्थिति कुछ इस प्रकार थी अब!

सच में खुले में चुदवाने का आनंद कुछ और होता है, यह सिर्फ वही लड़की समझ सकती है जिसने इस तरह की हिम्मत दिखाई हो।

खैर … जैसे ही रोहित का लंड मेरी चूत में घुसा मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
और रोहित ने भी ताबड़तोड़ धक्के लगाए और 5 मिनट के अंदर अंदर स्खलित हो कर वीर्य मेरी चूत में लबालब भर गया।

इस बार रोहित ने मुझे कमर से कस के पकड़ रखा था।

अब उसने अपना रूमाल निकाला और लंड निकालने के बाद जो वीर्य बाहर बहे उसे पौंछने के लिए मुझे दिया।
रोहित ने मेरी चूत से बाहर निकलते कामरस को अपनी उंगली से ले कर खुद भी चाटा और मुझे भी चाटने के लिए दिया।

हम दोनों के मिश्रित काम रस का स्वाद बहुत ही अच्छा था।

बाद में रूमाल से मैंने अपनी चूत को अच्छे से पौंछ कर साफ कर लिया।

अब रोहित के लंड और मेरी चूत की ज्वाला शांत हो चुकी थी।

हम लोग फिर से कॉफी पीने के लिए रेस्टोरेंट में आए और कॉफी पीने के बाद अपने शहर के लिये रवाना हो गए।

अपने शहर पहुंचकर पुनः हम लोग अपरिचित लोगों की तरह अलग अलग अपने घरों को चले गए।

इस पूरे रास्ते मेरी चूत खुली हवा का आनंद लेती रही, क्योंकि मैंने पैंटी नहीं पहनी हुई थी।

घर पहुंच कर मैंने चैन की सांस ली और तुरंत नहाने के लिए वॉशरूम चली गई।

मेरी जांघें और चूत वीर्य के कारण चिपचिपी हो गई थी।

मैंने अच्छे से रगड़ रगड़ कर अपने पूरे शरीर को साफ किया और सिर्फ एक नाइटी पहनकर मैं वॉशरूम से बाहर आई।

बाहर आने पर मैंने पाया कि मेरा मोबाइल बज रहा था।
दूसरी ओर रोहित था जो कि मेरे हाल-चाल और आज के दिन के बारे में पूछ रहा था।

मैंने रोहित को कहा- बहुत अच्छा और अलग किस्म का अनुभव था आज का!

रोहित को मैंने रात के खाने के लिए निमंत्रित कर लिया और जल्दी जल्दी डिनर बनाने लगी।

रोहित के आने के बाद हम दोनों ने साथ साथ खाना खाया।
पारदर्शी नाइटी से मेरा पूरा बदन उसे दिखाई दे रहा था।

खाना खाकर हम दोनों मेरे बेडरूम में चले गए और गुजरे हुए दिन के मीठे अनुभव को याद करते हुए एक दूसरे की बांहों में नंगे ही सो गए।

तो दोस्तो, इस तरह मैंने अपने पड़ोसी रोहित के साथ चुदाई का मजा लिया।

इसके बाद के मेरे सेक्स अनुभव मैं आपको अपनी अगली कहानियों में बताऊंगी।

फिलहाल मेरी गार्डन सेक्स की हिंदी कहानी पर मुझे आप लोगों के कमेंट का मुझे इंतजार रहेगा। कृपया अपने कमेंट dolly.chaddha@yahoo.com पर अवश्य भेजें।
धन्यवाद।
आपकी चुदक्कड़ दोस्त
डॉली चड्ढा
dolly.chaddha@yahoo.com

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top