मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ भाग 18

ज़ीनत आपा  का स्तनपान

जब आपा झुकी तो मैंने उनका टॉवल खींच कर उनके बदन से अलग किया और दूर फेंक दिया।

ज़ीनत आपा ने दिन में पूरे शरीर की वैक्सिंग और अभी नहाने के बाद शरीर पर तेल लगाया था, जिससे शरीर पर बालों का नामोनिशान नहीं था, जिसके कारन कंधो से लेकर कमर तक उसकी नरम गोरी त्वचा से ढका नाजुक बदन बल्ब की रौशनी में संगमरमर की तरह चमक रहा था। मैं सर झुकाकर अधखुली आँखों से जीनत के नंगे खूबसूरत शरीर को देखने लगा। उसके स्तन कठोर होकर समाने की तरफ तने हुए थे, जब उसने अपनी तनी हुई चुचियाँ को मुझे ताकते हुए देखा तो ज़ीनत की सांसे तेज हो गयी। उसकी गरम-गरम सांसे मक्खन जैसे मुलायम गोरे-गोरे सुडौल स्तनों पर से होती हुई चुचियों पर जाकर लग रही थी। वह बला की खूबसूरत लग रही थी। उसके स्तन अभी भी किसी कुंवारी लड़की की तरह सुडौल, ठोस और सामने की तरफ तने हुए थे। वह दूसरी तरफ जाने लगी

मैं जीनत को अपने से दूर और फिर अपनी तरफ आते हुए देखता रहा, वह थोड़ा घुम कर मेरे पास दूसरी तरफ रखे कुछ फल और मेवे उठा लायी मैं उसे आते और जाते हुए देखता रहा उसके हर कदम के साथ उछलते, दोल स्तनों और कुल्हे और चूतडो में संतुष्टि का एक भाव था, चाल में एक मादकता थी।

फिर वह मेरे पास बैठी और मुझे चूम लिया औअर मैंने भी उनके चुंबन का जवाब दिया। आपा ने फिर अंगूरों का गुच्छा मेरे आगे कर दिया और बोली नहाने के बाद-बाद मेरे बच्चे को भूख लगी होगी। , मैंने अंगूर खाया नहीं। तो ज़ीनत आपा ने ओंठो में बड़ी अदा से अंगूर दबाया और अपने ओंठ मेरे पास ले आयी और जैसे चिड़िया अपने चूजों को अपनी चोंच में भर कर खाना खिलाती है वैसे ही अपने ओंठ में अंगूर रखकर मेरे पास अपने ओंठ ले आयी।

आपा ने मेरे की को गले लगा लिया और जोर से मेरे से लिपट गयी और मेरी की बांह के ऊपर सिरे पर हलके-हलके हाथो से सहलाने लगी।

ज़ीनत आपा के लिपट जाने से उसके स्तन और चूची मेरे सीने से टकराने लगे। मुझे भी ज़ीनत के स्तन और चुचियो का अहसाह हो रहा था, ज़ीनत ने अपनी बांहों का कसाव बढ़ा दिया और स्तन और चूची ज्यादा कसकर मेरे सीने से रगड़ने लगी। इस रगडन से मेरे लंड में हल्की-सी हरकत हुई। उसे मेरा कड़ा लंड अपने बदन पर चुबता हुआ महसूस हुआ।

उसके कोमल शरीर को उसका अहसास साफ साफ़ हो रहा था, उससे चिपकी होने की वजह से वह मेरे लंड के अन्दर के तनाव को अपनी नाजुक कमर के निचले हिस्से और केले के तने जैसी चिकनी नरम गुदाज जांघो और चुतड़ो पर महसूस कर रही थी।

हल्की मादक कराह के साथ ज़ीनत ने अपन चेहरा बिलकुल मेरे सामने किया, मेरी आँखों में हल्का आश्चर्य था, इससे पहले मैं ज़ीनत की आंखे और पढ़ पाता, ज़ीनत ने अपने भीग चुके होठो को मेरे ओठो पर रख दिया, तो मैने आपा के ओंठो को चूम लिया और अंगूर को मेरे ओंठो पर दबाया और मैंने ओंठ नहीं खोले और अंगूर अंदर नहीं लिया। तो आपा ने मेरी आँखों में देखा और मुझे उनके दूध की तरफ देखते हुए पाया तो वह समझ गयी मुझे क्या चाहिए।

वो थोड़ी ऊपर हुई और अपने स्तन को मेरे ओंठो के पास लायी और बोली ओह मेरा बच्चा दूधु पियेगा और मैंने उसकी चूची पर अपनी जीभ फिराई और फिर आपा ने स्तन को जोर से मेरे ओंठो पर दबा दिया तो मैं उनकी चूची चूसने लगा, फिर मैं उन्हें छोटे बच्चे की तरह चूसने लगता। फिर आपा ने कुछ देर बाद अपना दूसरा स्तन मेरे मुँह में दे दिया और मैं जीभ घुमा-घुमा कर चाटते हुए चूसने लगा …,   कुछ देर तक मैं उनकी चूचिया चूसने लगा और बीच-बीच में चुचियो पर अपने दांत गडा देता, तो ज़ीनत के मुहँ से सीत्कार भरी सिसकारी फूट पड़ती।

तो ज़ीनत ने अब अपने मुँह में लिया हुआ अंगूर एक हल्की मादक कराह के साथ  अपना चेहरा बिलकुल मेरे सामने किया और ज़ीनत ने अपने भीग चुके होठो को मेरे ओठो पर रख दिया और अंगूर को मेरे ओंठो पर दबाया और मैंने ओंठ नहीं खोले अंगूर अंदर नहीं लिया। तो आपा ने अंगूर को आधा काट कर दबा दिया और उस अंगूर कर रस मेरे मुँह में बहने लगा।

गजब स्वाद था इस अंगूर का। रसभरा और मीठा जो आपा की लार से और मीठा हो गया था। आपा मेरे ओंठ चूसने लगी और मैं अपने ओंठ चुसवा रहा था धीरे से साँस लेटे हुए ज़ीनत ने अपने ओठ खोलकर अपनी जीभ को मेरे दांतों के बीच से होते हुए उसके मुहँ की तरफ ठेल दिया वह अपनी जीभमेरे मुहँ में डालकर डीप किस कर रही है।

दोनों के मुहँ की लार एक में मिलने लगी। ज़ीनत आपा अपनी जबान से मेरी जबान चूस रही थी चूम रही थी। उनकी बड़े-बड़े स्तनों से भरी पूरी छाती, मेरे सीने से टकरा रही थी। मैं आपा के दोनों स्तनों का भरपूर कसाव दबाव अपने सीने पर महसूस कर पा रहा है, आपा की सांसे तेज चल रही और उसका पूरा शरीर उत्तेजना के कारन कांप रहा था।

उधर आपा की कराहे सुन कर जूनि भी जग गयी थी और वह लेटी-लेटी चुपचाप पहले तो हमें चूमते और चाटते हुए देखती रही। फिर कुछ देर बाद उसने भी ने भी अपने हाथ ज़ीनत आपा की कमर पर रख दिए और हलके-हलके सहलाते हुए पीठ पर ऊपर बांहों तक ले जाने लगी, थोड़ी देर के बाद सहलाने से ज़ीनत आपा के बदन का कसाव मेरे बदन पर बढ़ गया, पीठ पर ऊपर की तरफ हाथ ले जाकर मैं भी ज़ीनत आपा को बाहो में कसने की कोशिश करने लगा। जिससे पहले से ही सीने से रगड़ रहे कुचल रहे ज़ीनत के बड़े स्तन और कसकर मेरे सीने से रगड़ने लगे। ज़ीनत आपा के शरीर की कंपकपी बता रही थी की उनकी उत्तेजना बहुत बढ़ गयी है, जूनि को भी ज़ीनत आपा की कंपकपी से उनकी उत्तेजना पता लग रही थी, ये सेक्स की लालसा जूनि और मेरे को भी उत्तेजित कर रही थी और जीनत की हरकतों से जूनि और मेरी उत्तेजना और बढ़ रही थी।

ज़ीनत और मेरे अन्दर वासना का समन्दर हिलोरे मार रहा था ऐसे में जूनि कहाँ से खुद को रोक पाती। ज़ीनत ने मेरे ओठो से ओठ हटा लिए, जूनि अपने चेहरे को मेरे गालो पर रगड़ने लगी, मेरे कानो में फूंक मारने लगी। इसी बीच जूनि का एक हाथ ज़ीनत के स्तन को मसलते हुए दोनों के चिपके शरीरो के बीच से फिसलता हुआ जीनत  की छाती तक पंहुच गया और जूनि अपने हाथ से जीनत आपा के स्तनों को दबाने लगी।

दूसरी तरफ ज़ीनत की कमर के आस पास एक नयी झुनझुनी दौड़ गयी जब मेरा एक हाथ ज़ीनत की मखमली नरम जांघ पर हाथ फेरते हुए आगे कमर की तरफ बढ़ने लगा।

तो जीनत एक दम से रुक गयी और अलग हो गयी और धीरे से मेरे हाथ अपने स्तनों पर रख कर उन्हें दबाने लगी मानो कह रही हो सलमान आपको आज केवल मेरे स्तन दबाने की इजाजत हैं बाकी सब मैं करुँगी।

खैर फिर ज़ीनत ने मेरे को खूब प्यार किया मुझे चूम और मेरे ओंठ चूसे और मेरे निप्पल्स को अपने थूक गिला कर खूब चाटा और  फिर धीरे से मेरे जिस्म को सहलाते हुए  ज़ीनत का हाथ मेरे लंड तक पंहुच गया था उसने लंड को कसकर पकड़ लिया।

ज़ीनत ने जैसे ही मेरे लंड को पकड़ा वैसे ही मेरी कमर ने उत्तेजना की कारन झटके लगने शुरू हो गए थे, जीनत ने एक हाथ से गरम, खून से भरे मांस की गरम राड, लोहे की तरह सख्त लंड को कसकर पकड़ा, दुसरे हाथ से उसने मेरे टॉवल गाउन को किनारे कर  निकाल दिया और-और लंड को बाहर निकाल लिया, मेरा बड़ा कठोर लंड पत्थर की तरह कठोर हो चूका था। ज़ीनत ने लंड को जड़ से पकड़कर जोर से ऊपर नीचे किया और अपनी जीभ से अपने ओठो को गीला किया और तेज खून के बहाव के चलते कांपते लोहे की तरह सख्त हो चुके लंड को भूखी नजरो से देखते हुए ज़ीनत ने फुर्ती से पास रखा एक आयल निकाला और अपने हाथ पर तेल डाला और लंड के चारो और तेजी से हाथ ऊपर नीचे करने लगी। ज़ीनत का हाथ नीचे जाते ही तेल से सना सुपाड़ा चमकने लगता और ऊपर आते ही ज़ीनत के हाथ में गुम हो जाता। तेल लगाने से अब ज़ीनत के हाथ आसानी से मेरे लंड पर फिसल रहे थे।

जैसे जैसे जीनत खड़े लंड पर हाथ फिराने को लयदार करती उसी तरह मेरी कमर झटके मारती रही। मामला अब मेरे नियंत्रण से बिल्कुल बाहर था जो जीनत कर रही थी उसी के हिसाब से मेरा शरीर अपनी प्रतिक्रिया दे रहा था। धीरे-धीरे ज़ीनत ने स्ट्रोक्स की रफ़्तार बढ़ा दी, बीच-बीच में उत्तेजना से सुख रहे ओठो पर अपनी जुबान फिराती रहती। अब उसने लंड पर हथेली की कसावट और तेज कर दी थी और अपनी पूरी स्पीड से लंड के अपने हाथ को ऊपर नीचे करने लगी। तभी लंड के सुपाड़ा फूलने लगा तो ज़ीनत ने हाथो के ऊपर नीचे करने की स्पीड कम कर दी और फिर धीरे-धीरे सुपाडे को दबाते हुए प्यार से उंगलियाँ लंड के सुपाडे पर फिराने लगी।

कहानी जारी रहेगी

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