मौसी के साथ मजे किये | Risto Me Chudai Ki Kahaniya

हाई दोस्तों, मेरा नाम अर्जुन हैं और मैं राजस्थान के कोटा का रहनेवाला हूँ. आज मैं आप को एक हॉट कहानी बताऊंगा जो मेरी नई नई जवानी के दिनों की एक सच्ची घटना हैं. इसे मैंने कहानी का रूप दिया हैं और कुछ मसाला एड भी किया हैं लेकिन इस कहानी की पृष्ठभूमि एक सत्यघटना पर ही आधारित हैं. और वह सत्यघटना थी मेरी मौसी की चुदाई की…! तो चलें मैं आप को अपने भूतकाल के वो दिनों में ले चलूँ जब मैं 18 साल और 3 महीने का था. राजस्थान में ही कोटा में हम रहते थे और मेरे घर के सामने ही मेरी मौसी बाला रहती थी…!

बाला मौसी वैसे तो कम बोलती थी और उनके घर में हम लोग कम ही जाते थे. और उसकी वजह यह थी की मौसा जी बड़े खडूस थे. वो बस में कंडक्टर थे और मिजाज से लाट साहब थे. वो मौसी को लड़ते थे यदि हम लोग उनके घर में जाएँ तो. इसलिए बचपन से ही हम मौसी के वहाँ कम जाते थे. खैर मौसी भी हमें तवज्जो नहीं देती थी. 12वी कक्षा के बाद मैंने जिम ज्वाइन कर ली और अपनी बॉडी बनाने का जूनून मेरे सर पे ऐसा सवार था की मैंने जिम में ही रोज 4-5 घंटे निकालना चालू किया. एक महीने के भीतर ही शरीर सुडोल हो गया. मौसी बाला के नजरियें में भी अब मुझे बदलाव दिख रहा था. जब मैं दातुन करता बरामदे में सिर्फ अपनी लंगोट पहने तो वो अक्सर मुझे देखा करती थी. पहले तो मैंने इतना गौर नहीं किया लेकिन फिर मुझे लगा की सच में तो मुझे देखती रहती हैं मिनटों तक.

और एक दिन तो उसने मुझे बाइक रोक के पकड ही लिया. बोली, सब्जी मंडी तक छोड़ दो मुझे अर्जुन. इस से पहले कभी उसने लिफ्ट नहीं मांगी थी. मुझे लगा चलो आज कहा हैं तो छोड़ देता हूँ. और मैंने कहा, आ जाओ मौसी. और जब वो बाइक पर बैठी तो मुझे लगा की जैसे वो जानबूझ के मेरे से चिपके हुए बैठी हैं. उसके बूब्स मेरे कमर के ऊपर घिस रहे थे और जब मैं ब्रेक लगाता तब तो मुझे उनका पूरा घिसाव महसूस होता था. मुझे पूरा यकीन था की मौसी जानबूझ के ही अपने स्तन मुझे सटा रही थी. मुझे थोडा अजीब लगा लेकिन मैं बाइक चलाता रहा. सब्जी मंडी पर उतरते ही मौसी ने कहा, अर्जुन शाम को मेरे वही खा लेना. मैं खीर और पूरी बनाने वाली हूँ साथ में आलू की भाजी.

मुझे अब तो बड़ा ही अजीब लगा. मौसी ने इस से पहले कभी भी मुझे खाने के लिए नहीं कहा था. मैंने पूछा, क्यूँ मौसी आज कुछ हैं?

नहीं ऐसे ही..आ जाना 8 बजे के बाद मैं वेइट करुँगी.

मैंने बाइक की किक लगाईं और निकल पड़ा. शाम को 7:30 बजे मैंने देखा की अंकल शायद नाईट शिफ्ट के लिए निकल रहे थे. और क्यूंकि उन्हें कोई औलाद नहीं हैं मौसी और उसकी बूढी सास ही घर में थे. 8 बजे से 5 मिनिट पहले ही मौसी गेलरी में चक्कर लगाने लगी. मेरी खिड़की से मैं उसे इधर उधर होते हुए देख रहा था. मैंने सोचा की चलो हो लेता हूँ उसके वहाँ. मैं मौसी के घर में घुसते ही देखा की उसकी सास बहार ही चारपाई मेंसोई हुई थी. मौसी ने मुझे देखा और भाग के आई जैसे.

आओ अर्जुन, मैं कब से वेइट कर रही थी तुम्हारी.

और वो मुझे सीधे ही अंदर के कमरे में ले गई जहाँ 4 कुर्सी का डाइनिंग टेबल लगा था. मौसी ने खाना लगाया था और उसे ढंका हुआ था. उसने खाना खोला और बोली, आओ बैठो अर्जुन. मैं कुर्सी पर बैठा और मौसी परोसने लगी. उसने बादाम और काजू वाली खीर बनाई थी. साथ में सरसों वाले आलू और पूरी. मैंने खाते हुए पूछा, अंकल कहा हैं?

उनकी नाईट हैं इसलिए अभी निकले वो. और तू क्या कर रहा हैं आजकल. मैंने सुना हैं की रोज व्यायाम कर रह आहें अखाड़े में.

अखाडा नहीं मौसी, जिम में. मैंने बादाम वाली खीर चमच से मुहं में रखते हुए कहा.

अच्छा बाबा, जिम…इतना कह के मौसी ने दो पूरी मेरी थाली में और रख दी.

खाना बड़ा मस्त था और मैं दबा के खाया. मौसी ने मेरे हाथ वही थाली में धुलायें और बोली आओ अंदर मेरे बेडरूम में बैठते हैं, वरना बूढी की नींद खराब होंगी बातों से.

एक पल को मैंने सोचा की मौसी को कह के निकल जाऊं लेकिन फिर मैंने सोचा की उसे बुरा लगेंग ऐसा करने से. हम दोनों मौसी के कमरे में गए. मैंने देखा की चद्दर नई ही डाली हुई थी बेड पर. उसके ऊपर का ब्रांड स्टीकर भी अभी ज्यों का त्यों ही था. मौसी ने बेड पर बिठाया और बोली, अर्जुन और सुना कैसी हैं जिन्दगी.

बस ठीक हैं मौसी, चल रह हैं. स्कुल ख़त्म हो गई और अब अगले हफ्ते कोलेज में दाखिला लेना हैं.

बहुत अच्छी बात हैं, तभी तू जिम विम कर रहा हैं शायद. लड़कियां पटायेंगा न कोलेज में मेरा अर्जुन.

मैंने निचे देखा और हंसी अपनेआप निकल आई.

नहीं मौसी ऐसा नहीं हैं, मैं तो सौख के लिए जिम कर रहा हूँ.

चल जा जूठे, मैं सब जानती हूँ.

और इतना कहते ही मौसी के हाथ मेरे बाईसेप पर आ गए. वो जैसे उसे साइज़ अप कर रही थी. उसके नरम नरम हाथो का स्पर्श मुझे एक अजीब सी फिलिंग दे रहा था.

मौसी: बड़े सख्त शरीर का मालिक हैं तू अर्जुन.

इतना कह के वो मेरे बाईसेप से आगे बढ़ के मेरे कंधे को दबाने लगी. मैं हक्काबक्का रह गया था लेकिन मौसी रुकी नहीं. वो मेरी छाती पर हाथ चलाने लगी. और मेरी मेल निपल को दबाने लगी.

यह क्या कर रही हैं आप मौसी.

कुछ नहीं अर्जुन, देख रही हूँ एक असली मर्द के बदन को. तेरे मौसा से मुझे सिर्फ धुत्कार मिला हैं प्यार नहीं इसलिए मुझे मर्द को छूना अच्छा लगा आज.

मौसी मैं आप का भांजा हूँ यह अच्छा नहीं लगता हैं.

अच्छा नहीं लगता तो खा ले मेरी कसम और बता की तुझे गुदगुदी हुई या नहीं.

मौसी में समाज की बात कर रहा हूँ.

समाज वमाज कुछ नहीं होता हैं, बंध कमरे की बात पर समाज की कोई पाबन्दी नहीं हैं अर्जुन.

मौसी की बातो की कोई दलील मेरे पास नहीं थी. वो मेरे निपल्स मसल रही थी और मुझे सच में बहुत गुदगुदी होने लगी थी. मौसी की मादकता उसके होंठो पर टपक रही थी. उसके हाथ अब मेरे बटन पर थे जिसे उसने खोल डाला. उसके हाथ अब मेरी नंगी छाती पर घूम रहे थे. वो रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी और मेरे लंड में कडापन आने लगा था. मौसी का ब्लाउज मेरे मुहं के सामने ही था. मुझे उसकी बगल और उसमे हुए पसीने की सुगंध आ रही थी. और वो सुगंध मुझे और भी मादक बना रही थी. मौसी ने अब अपना हाथ मेरे लंड पर रखा और बोली, बाप रे बहुत बड़ा हैं तेरा तो अर्जुन.

बड़ा हैं तो ले लो जल्दी से अपने मुहं में उसे.

मौसी ने मेरी ज़िप खोली और लंड को बहार निकाला. मेरा लंड तन के पूरा 8 इंच का हुआ पड़ा था. मौसी ने उसे सहलाया और फिर निचे बैठ के उसे चूसने लगी. वो मेरा पूरा लंड अपने मुहं में ले रही थी और फिर उसे अंदर बहार कर के मजे दे रही थी. बाप रे मेरे बदन में जैसे आग लगी हुई थी. और मौसी के ऐसे सेक्सी तरीके से चूसने से तो पांच मिनिट में ही मेरा झड़ गया. मौसी ने सारा वीर्य पी लिया और लंड को चाट के पूरा साफ कर दिया. फिर वो उठी और अपने पल्लू को हटा के ब्लाउज खोलने लगी. फिर उसने अपना पेटीकोट उठा के उसे भी निकाल दिया. मौसी काली ब्रा और पेंटी में थी. मैंने उसका हाथ पकड के अपनी और खिंचा और उसके बूब्स को ब्रा के ऊपर से ही जबान से चाटने लगा. मौसी ने हाथ पीछे किया और अपनी ब्रा का हुक खोला. फिर मौसी ने अपने बूब्स आजाद किये और अपनी निपल मेरे मुहं में डाल दी.

मैं वो बड़े देसी बूब्स को चूसने का मजा लुटने लगा. मौसी के मुहं से आह आह निकल रहा था और मैंने उसे कमर से पकड़ा हुआ था. निपल चूसते चूसते ही अब मैंने धीरे से अपना हाथ पेंटी में डाला. मौसी की चूत पूरी गीली थी और मेरे हाथ पर चिपचिपाहट महसूस हो रही थी. मैंने निपल चूसते हुए ही अपनी ऊँगली को चूत में डाली. मौसी और भी गरम हो गई और अब वो मुझे कहने लगी.

अर्जुन अब मत तडपाओ मुझे,, मैं बहुत दिनों से प्यासी हूँ, डाल दो अपना हथियार मेरे छेद में और बुझा दो मेरी प्यास को. मैंने मौसी को बेड में लिटाया और उसकी टांगो के बिच में आ बैठा. मौसी ने मेरा लंड पकड के अपने छेद पर सेट किया. लंड का माथा चिकना हो गया और मैंने एक ही झटके में लंड को चूत में घुसेड दिया. मौसी के नाख़ून मेरी कमर पर लगने लगे थे. वो मेरी कमर को खरोंच रही थी और अपनी चूत को मेरे लंड पर रगड़ रही थी. उसके मुहं से आह अहाआआ मजा आ रहा आहें बहुत अर्जुन की आवाजें निकल रही थी..!

मैं अपना लंड पूरा निकाल के फिर एक झटके से मौसी की चूत में दे रहा था और मौसी अपनी गांड को उठा उठा के मरवा रही थी चूत को. मेरा लंड जब अंदर जाता था तो मौसी आह निकाल देती थी. हम दोनों के ही बदन पसीने से लथपथ हो गए थे और मौसी और भी जोर से अपनी गांड उठा के लंड को झटके दे रही थी. मेरा एक बार निकला था इसलिए चुदाई में लम्बा समय खिंच रहा था मैं. अब मौसी की टांगो को पकड के मैंने अपने कंधो के ऊपर रख दी. मौसी की आह निकली क्यूंकि अब लंड और भी अंदर घुस गया था चूत के.

चोदो मुझे अर्जुन, जोर जोर से चोदो, मैं तुम्हारे लंड के ऊपर ही अपनी चूत का पानी निकालना चाहती हूँ. चोदो मुझे जोर जोर से, मारो मेरी चूत को अपने लंड से.

मैंने अब मौसी के बाल पकडे और चूत में लंड को एक्सप्रेस गति से ठोकता रहा. मौसी और जोर जोर से कमर और गांड हिलाने लगी थी. तभी मौसी की चूत से पानी निकला और मेरे लंड पर बहने लगा. मौसी के मुहं से आह निकली. उसने अपनी टाँगे निचे करवाई और वो मुझे गले लगा के जोर से दबाने लगी.

मेरी चूत में मत निकालना अपना पानी, लाओ मेरे मुहं में दे दो.

नहीं आंटी मुझे आपकी बगल में अपना माल निकालना हैं.

क्या?

हां मैं अपने लंड का पानी आपकी बगल में निकालूँगा.

मौसी ने हंस के बगल ऊपर की. मैंने लंड को जरा ही हिलाया था की ढेर सारा वीर्य निकल के मौसी की बगल के बालों में चिपक गया. मैंने मौसी को किस की और अपने कपडे पहनने लगा. मौसी ने भी कपडे पहन लिए और मुझे गले से लगा लिया.

अर्जुन मुझे आज एक अरसे के बाद सेक्स का असली सुख मिला हैं. तेरे अंकल मुझे नहीं चाहते हैं और मई अकेली पद गई हूँ. प्लीज़ कभी कभी मैं बुलाऊं तो आके मेरी प्यास बुझा दिया कर.

क्यूँ नहीं मौसी, आप जब कहेंगी मैं तब आके आप को चोदुंगा और जैसे आप कहेंगी वैसे…!

उस दिन के बाद मौसी जब भी मौसा नाईट में हो मुझे घर बुला लेती हैं. उसकी चूत, गांड सब का मजा दे के मुझे उसके अपने भांजे की जगह प्रेमी ही बना लिया हैं….!

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