21 दिन Lockdown में Dost के घर पर जन्नत Part -1

दोस्तों नमस्कार आज की मेरी कहानी का नाम है 21 दिन लॉकडाउन में जन्नत। अब कहानी आपको जरूर पसंद आई लेकिन अगर आप चाहते हैं कहानी आपको और भी पसंद आए तो मेरी एक  बात का जरूर ध्यान रखना पहला इस कहानी को ध्यान से पढ़ना। 

तो चलिए अब मैं कहानी शुरू करती हूं जो काफी इंटरेस्टिंग है। मेरा नाम सोनम हैं मेरी उम्र 21 साल की है. यह बात कुछ महीने पहले की हैं मैं 2 महीने पहले भोपाल अपने सरकारी नौकरी के पेपर देने गई थी।

मेरा एक फेसबुक का दोस्त था जो भोपाल में रहता था उसका नाम सार्थक हैं। मैं उसे फेसबुक पर 2 साल से जानती थी मेरी अक्सर फेसबुक चैट पर सार्थक से नॉर्मल बातें होती थी।

मेरा एक फेसबुक मित्र जिसके बारे में मैंने बताया उसने कहा अगर तुम भोपाल में परीक्षा देने आ रहे हो तो क्या तुम मुझसे नहीं मिलने आओगे।

तो उस समय मैंने भी सोचा इसमें कोई दिक्कत नहीं है। फिर मैंने उससे मिलने के लिए हामी भर दी। जब मैं भोपाल से अपने घर जा रही थी तो वापसी में वह मुझे मिलने आया और मेरी रात 9:00 बजे की ट्रेन थी।

मैं शाम 6:00 बजे स्टेशन के पास पहुंच चुकी थी और मेरे स्टेशन के पास एक रेस्टोरेंट्स था जहां उसने मुझे मिलने के लिए बुलाया। मैं वहाँ ठीक समय पर उस रेस्टोरेंट्स के पास पहुंच चुकी थी जब वह आया उसने मुझे देखा और फिर वह मेरे पास आया।

उसने मेरी फोटो तो फेसबुक पर देखी थी और अच्छी बात यह थी की वह स्वभाव में बहुत था। अब एक लड़की होने के नाते मुझे पता चल जाता कि सामने वाले की नजर कहां है। फिर हम दोनों रेस्टोरेंट में गए और हमने ढेर सारी बातें करी।

मैं साथ ही साथ बीच में ट्रेन का टाइम देख रही थी। मेरे ट्रेन पहले ही 4 घंटे लेट थी तो मैंने सार्थक से कहा जब तक मेरी ट्रेन ना आए तब तक तुम मेरे साथ रुक जाओ क्या वह बोला मैं चाहता ही नहीं किया ट्रेन आए और आप यहाँ से जाओ।

उसकी बातें सुनकर मैं हंस पड़ी यूं तो हमारी बातें चल रही थी अचानक उस समय लोगों का ध्यान रेस्टोरेंट के टीवी की तरफ गया उसमें अनाउंसमेंट हुई की देश में 21 दिन का लॉकडाउन हो गया है। क्योंकि उस समय क्रोना का असर अचानक से ज्यादा बढ़ गया था।

अब मैं परेशान हो गई थी कि अब मैं घर कैसे जाऊंगी मेरी ट्रेन भी कैंसिल हो गई थी। मैंने घर पर फ़ोन किया तो वहाँ सब परेशान थे मगर अब क्या कर सकते थे उसने मुझे कहा अब जब तक सब चीज सामान्य ना हो जाए तो आप किसी होटल या पीजी में रुक जाओ मगर मेरी दिक्कत कहां खत्म होने वाली थी।

उस समय तक सारे होटल भर चुके थे मैंने सार्थक से कहा क्या तुम मेरी मदद करोगे थोड़ी देर में मेरे घर वालों ने कॉल कर कर पूछा कहीं रूम मिला या नहीं उस समय मैं बहुत परेशान थी अब मैं क्या करती।

मैं सोच रही थी कि अब मैं अपने घर कैसे जाऊं मैं बहुत देर तक ऑनलाइन होटल तलाशती रही मगर मुझे कोई होटल ही नहीं मिला। मैं उस वक्त लगभग रोने लगी थी मुझे काफी परेशानी हो रही थी और मैं टेंशन में आ गई थी।

मैं रोने लगी तो सार्थक बोला अगर तुम चाहो तो मेरे घर में रुक सकती हो मैं वहाँ अकेले ही रहता हूं। अब मैं क्या ना करती मैं उसके घर जाने के लिए राजी हो गई मेरे पास कोई और विकल्प ही नहीं था।

हम दोनों स्टेशन से निकलकर सार्थक के घर पर पहुंचे तो सार्थक ने मुझे कहा तुम थक गई हो जाकर फ्रेश हो जाओ तब तक मैं चाय बना कर लाता हूं।

जब मैं बाथरूम में गई तो मेरा मुँह खुला का खुला रह गया उसके बाथरूम के दरवाजे पर एक पोस्टर था जिसे देख कर मैं चौंक गई। उस समय मैंने मन ही मन सोचा अच्छा जनाब यह भी शौक रखते हैं।

वैसे सार्थक की बातों से ऐसा लगता नहीं है और वह स्वभाव में इतना अच्छा था फिर यह सोचकर मैं मुस्कुराने लगी। उसके बाद मैंने भी सोचा कि मैं कौन से इतनी सरीफ हूँ मतलब सुधरी हुई हूँ मैं भी तो ऐसी फिल्में देखना पसंद करती हूँ।

फिर मैं नहाने लगी क्योंकि मैं काफी थक चुकी थी तभी सार्थक ने आवाज लगाई चाय बन चुकी है जल्दी करो। कुछ देर बाद जब मैं बाहर आई तो मैंने कहा की बाथरूम में आपने कौन सी देवी की फोटो लगा रखी है उसे अचानक से याद आया तो उसका चेहरा एकदम से पीला पड़ गया जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई थी।

वह थोड़ा शर्मा गया मगर बोला मुझे वहां अकेलेपन का एहसास नहीं होता ऐसा लगता है कि मेरे साथ कोई और भी है। फिर मैंने उससे कहा वाह क्या बात है अकेलापन दूर करने के लिए क्या तरीका सोचा है तुमने तो मैंने उसे बोला तुम अकेलापन ही दूर करते हो या कुछ और भी।

सार्थक ने पूछा इसका क्या मतलब तो मैंने बोला इसका मतलब कुछ नहीं पता नहीं। मुझे बस मुझे थोड़ी अजीब लगी तो मैं जानने के लिए थोड़ा एक्साइटेड थी फिर हम दोनों ने चाय के साथ कुछ नाश्ता किया और कुछ देर बात की फिर सार्थक कुछ देर बालकनी में चला गया।

उसने अपनी बालकनी का दरवाजा बंद कर लिया मुझे लगा शायद वह किसी से बात कर रहा होगा तो फिर मैं बालकनी में गई और मैंने देखा कि वह सिगरेट पी रहा था। मैं उसके सामने जाकर खड़ी हुई और बोली तुम्हारी एक और चोरी पकड़ी गई तुम्हारे ऐसे शौक भी है।

तो उस समय सार्थक बोला क्या करूं मैं अकेला रहता हूँ। सारे दिन पढ़ाई करता रहता हूँ तो थोड़ा स्ट्रेश भी रहता हैं तो पी लेता हूँ तो मैंने सार्थक को बोला मैं भी पियूंगी आज मैं भी बहुत स्ट्रेस में हूँ इतने में सार्थक ने बोला कि यह अच्छी आदत नहीं है तो मैंने उसे कहा कि मुझे कोई दिक्कत नहीं है आज मुझे भी पेनी है।

मैंने जैसे ही पहली बार ट्राई किया तो वैसे भी मुझे आदत नहीं है तो मुझे खांसी आने लगी। इतने में सार्थक ने मुझसे सिगरेट वापसी ली और कहा यह अच्छी आदत नहीं है चलो अब तुम अंदर जाकर सो जाओ काफी समय हो चुका है और तुम काफी थक चुकी हो।

अब हम दोनों अंदर आ गए सार्थक ने एक चद्दर और तकिया उठा और जाकर सोफे पर सो गया और मैं सार्थक के बिस्तर पर जाकर सो गई थी उसने अपने कमरे की लाइट बंद कर दी थी और फिर वो अपने मोबाइल में लग गया।

उधर उसकी उंगलियां उसके मोबाइल में चल रही थी और मैं यहां बिस्तर पर लेटे अपने मोबाइल में लगी हुई थी। मैं अपने मोबाइल में गन्दी फिल्म देख रही थी और मुझे पता नहीं चला कि मेरे मोबाइल से लीड कब निकल गया तो उसमें से आवाज आई तो वह समझ गया कि मैं कौन सी मूवी देख रही हूँ।

सार्थक अब मेरे पास आया और बोला वाह तुम खुद तो ऐसे शौक रखती हो और मुझे कहती हो तो उसने मेरे को बोला तुम्हारी एक चोरी और पकड़ी गई मैडम क्या अकेले-अकेले देख रही हो मुझे कौन से कांटे लगे हैं यह कहकर सार्थक अपने सोफे से उठकर मेरे बगल में आ गया और वो भी साथ में मूवी देखने लगा।

उस समय मुझे थोड़ी सी रोमांटिक वाली फीलिंग आ रही थी हम दोनों एक दूसरे को बीच-बीच में देख भी रहे थे और फिर हम मूवी देखने लगे। फिर हमने थोड़ी देर बातचीत की उसके बाद मैं सो गई और वह जाकर अपने सोफे पर सो गया दूसरे दिन जब मैं उठी तो सार्थक सुबह जल्दी उठ चुका था उसने मुझे चाय बना कर दी और वह पहले ही पी चुका था।

हम दोनों बातचीत करने लगे तो मैंने उससे पूछा कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है तो उसने कहा नहीं मेरी कोई भी गर्लफ्रेंड नहीं है। फिर मैंने उससे पूछा ऐसा क्यों तो उसने मुझे बताया मेरी एक गर्लफ्रेंड थी उसने मुझे धोखा दे दिया था।

उस दिन से मेरा प्यार से विश्वास ही उठ गया उसने ऐसा कहा तो मैंने उससे कहा नहीं यार सब लड़कियां एक जैसी नहीं होती। तो सार्थक ने कहा मेरा इस मामले में एक्सपीरियंस बुरा है तो मुझे ऐसा ही लगता है।

अगले दिन सार्थक को ऑफिस जाना था अब 21 दिन का लॉकडाउन तो लग चूका था पर उसे ऑफिस से जाकर कुछ जरुरी सामान लेकर आना था। फिर वह ऑफिस चला गया और मैं उसका घर पर इंतजार करने लगी करीबन 2 घंटे के बाद सार्थक ऑफिस से वापसी आया वह अपना लैपटॉप और जरुरी सम्मान सब कुछ लेकर आ गया था क्यों की उसके ऑफिस भी बंद हो चुके थे।

लॉकडाउन की वजह से हम दोनों अब 21 दिन के लिए  एक ही घर में बंद हो चुके थे उन दिनों में हमने बहुत अच्छा समय साथ में बिताया सच कहूँ तो लाइफ में मैंने उसके साथ बहुत अच्छा समय बिताया और हमने बहुत मजे किये।  

शायद मैं लाइफ में ऐसे मजे अपने पति के साथ ही कर पाऊं और सोचने वाली बात यह है कि आज इस चीज को करीबन 2 महीने हो चुके हैं और लॉकडाउन खुलने के बाद में वापसी आ अपने घर आ गई लेकिन आज भी मुझे 2 महीने पहले की हर वह याद आती है जो हमने एक रूम में बिताए।


पूरी कहानी जानने के लिए आगे पढ़ें 21 दिन लॉकडाउन में दोस्त के घर पर जन्नत भाग 2 में। 

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