कैसे हो मेरे प्यारे दोस्तों ? मेरा नाम है मस्तराम और मैं आपको अपनी मस्त कहानी जो की हकीकत दास्तान है बताने जा रहा हूँ! ये कहनी तब की है जब मैं 20 साल का था फिलहाल मैं 24 का हूँ!
तो हुआ ऐसा की हमारे घर पर किराये पर रहने एक फॅमिली आयी थी जिसमे एक छोटा बच्चा उसकी मम्मी और पापा थे ! तो उन्हें मैं भैया और भाभी कहता था !
भैया जो की ज्यादातर समय ऑफिस में ओवरटाइम करते थे कुकी पैसो की बहुत जरुरत थी उन्हें और भाभी घर का कामकाज संभालती थी ! बच्चा चला जाता था और भाभी पूरा दिन घर के काम काज में लगी रहती थी !
भाभी दिखने में तो ठीक ठाक थी पर गांव की थी और मैं ठहरा शहर वाला तो शुरू मैं थोड़ा काम बात करता था ! मेरे घर पर भी सब काम के सिलसिले मैं चले जाते थे और बस पुरे घर में भाभी रहती थी !
मैं घर में सबसे लेट निकलता था तो एक दिन मैं थोड़ा लेट हो गया तो मैंने सोचा की आज छुट्टी कर लेता हूँ. तो मैं छत पर टहल रहा था और वोंही भैया लोगो का किराये का कमरा था !
भाभी को नहीं पता था की मैं घर पर हूँ और उन्हें लगा रोज की तरह घर खली हैं!
टहलते टहलते मैं भाभी के कमरे के भर से गुजरा तो मैंने देखा की गेट खुला हुआ था मैंने अंदर जांख कर देखा तो भाभी कपड़े बदल रही थी!
मैं चुपके से उन्हें देखना लगा और मेरी आंखे फटी की फटी रह गयी थी! मैं भाभी को गाऊँ वाली लड़की समझता था!
वो शहर वाली की तरह खूबसूरत बदन को छुपाये हुए थी !
इतना गोरा बदन गोल खड़े बूबे और साफ़ गोल मटोल पिछवाड़ा छुपाये हुए थी ! मन तो करा कमरे की कुण्डी लगाकर वोंही सारा प्यार दिखा दूँ!
भावनाओ पर काबू पाते हुए मैं उन्हें चुपके से देखता रहा भाभी ने करीब तीन सूट नए सिलवाए थे तो वो बारी बारी पहन कर देख रही थी !
गर्मियों का मौसम के कारन न तो उन्होंने ब्रा पहनी थी और ना पैंटी !
भाभी को लगा की घर पर कोई भी नहीं है तो दरवाजे को बंद करे बिना वो कपड़े बदल रही थी !
करीब २० मिंट तक ऐसे ही वो बार बार कपड़े उतर रही थी और पहन रही थी और मैं चुपके से देख रहा था !
मेरा तो खड़ा हो गया था और मेरा मन कर रहा था की अपने हथियार को शांत करने के लिए आज भाभी जी को प्यार दे ही दू !
फिर भाभी ने सब सूट चेक करने के बाद भर आयी तो उन्होंने मुझे तब देखा और कहा तुम कब आये !
मैंने भी कॉन्फिडेंस में बोलै अरे अभी आया आज थोड़ा लेट हो गया था तो ऑफिस की छुट्टी कर्ली !
पर भाभी की नजर जब मेरे पाजामे की तरफ पड़ी तो वो समज गयी की मैं वंहा बहुत देर से खड़ा उन्हें देख रहा था !
\उस दिन तो कुछ नहीं हुआ लेकिन अगले दिन मैंने फिर से छुट्टी कर्ली मैं फिर उसी टाइम पर ऊपर गया जब भाभी कपडे बदल कर अपने बच्चे को स्कूल से लेने के लिए जाती थी !
मैं फिर चुपके से उन्हें देखने बैठ गया और वो कपडे बदलने लगी और जब उन्होंने अपने सारे कपड़े उतार दिए तो थोड़ी देर वो रुक गयी उनकी पीठ मेरी साइड थी!
मुझे समज नहीं आया वो खड़ी रुक क्यों गयी थी ! फिर अचानक से भाभी ने बोलै भार खड़े होकर चुपके से क्यों देख रहे हो देखना ही है तो अंदर आकर करीब से देखो!
बस मेरी तो जैसे साँस रुक गयी की ये क्या हो गया भाभी ने मुझे देख लिया अब तो मैं गया!
मैंने डर से सर निचे करके अंदर गया और सॉरी मांगने लगा तो वो बोलने लगी की ऐसा चुपके से किसी लड़की को देखना अच्छी बात नहीं है !
मैं बस सॉरी सॉरी बोलता रहा और निचे मुँह करके खड़ा था तब उन्होंने बोलै सम्भोग करना चाहते हो हमारे साथ !
मैंने गबरा कर बोलै मुझे माफ़ करदो उन्होंने बोलै तुम नहीं चाहते पर मैं तो तुम्हारे साथ सम्भोग करना चाहती हूँ!
मैंने कहा क्या? उन्होंने कहा हां वही जो तुमने सुना ! मैंने कहा आप टोंट मार रही है न तो उन्होंने मेरे मुँह पर हाथ रखा और बोलै वक़्त बहुत कम है मुझे बच्चे को लेने स्कूल भी जाना है तो फटाफट शुरू करते थे !
मेरा दिमाग काम करना बंद कर गया की ये क्या हुआ मेरी किस्मत इतनी अच्छी कैसे हो गयी ! उन्होंने फटाफट मुझे कपडे उतारने के लिए कहा और मैं उतारने लगा और जैसी मैं बिना कपड़ो के हुआ उन्होंने मुझे बेड पर दक्का देदिया !
हम दोनों बिना कपड़ो के थे और वो मेरे ऊपर आकर चढ़ गयी और मेरा लिंग अपनी योनि मैं डाल दिया! मेरी तो पूरी बॉडी में करंट दौड़ उठा जब उन्होंने मेरा लिंग अपनी योनि में डाला!
अब वो मेरे ऊपर थी और जोर जोर से झटके मर रही थी मुझे तो कुछ करने की जरुरत भी नहीं पर रही थी !
वो जोर जोर से मेरे ऊपर ऊपर निचे हो रही पुरे कमरे में पच पच की आवाजे ऑर्डर ह्ह्ह्ह आअह्ह्ह्ह और जोर से और जोर से आवाजे आ रही थी!
भाभी की चुदाई करने में मुझे ऐसा लग रहा था मनो मैं किसी जन्नत में हूँ! अब मुझसे रहा नहीं गया मैंने उन्हें उठाकर निचे करदिया और खुद उनके ऊपर आकर चढ़ गया!
अब झटके मारने की बारी मेरी थी और मैंने बहुत जोर जोर से झटके मारे और उनकी चीखे और गहरी सांसे मेरे होसलो को और बड़ा रही थी !
मैं झटके मारते मारते उनके निप्पल को जोर से काट रहा था तो कभी जोर से रगड़ रहा था !
उसको इसी दर्द का ज्यादा मजा आ रहा था वो खुद आपने बूब्स और निप्पल को रगड़ रही थी !
उसने कहा जल्दी जल्दी कारो आअह्ह्ह उह्ह्ह बच्चे को अह्ह्ह अह्ह्ह्ह लेने भी जाना है और तेज करो और तेज करो !
फिर करीब १५ मिंट बाद मेरा सामान निकल गया उनकी योनि में और मुझे इतना अच्छा फील हुआ मानो जन्नत की सेर करि हो !
भाभी ने कपडे से मेरा माल साफ़ करा और अपने कपड़े डाले और चुपचाप वंहा से बच्चे को लेने के लिए चली गयी !
तो दोस्तों ये थी मेरी कहानी उम्मीद है आपको पसंद आयी अगर आप गांव वाली भाभी और शहर वाला फिगर – Part 2 पड़ना चाहते है तो इस कहानी को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे!