अपने पुसी कम टेस्ट करने का मजा दिया मुझे मेरे एक रिश्तेदार की बीवी ने. मैं अक्सर उनके घर जाता था तो भाभी से दोस्ती हो गयी. खेल खेल में भाभी ने अपनी चूत चटवाई मुझसे!
मैं कुछ दिनों के लिये अपने दूर के रिश्तेदार के पास रहने चला गया था।
रिश्तेदार मेरी ही उम्र का था। उसके कोई बच्चे नहीं थे।
घर में सिर्फ वह और उसकी पत्नी रहती थी। उसकी पत्नी को मैं भाभीजी बोला करता था।
रिश्तेदार बिझनेस के सिलसिले में अक्सर दूसरे शहर में चला जाता था तब भाभीजी अकेली ही घर पर रहती थी।
मेरे वहाँ रहने जाने से उनका दिल बहल रहा था; वह मेरे साथ काफी घुल मिल गई थी।
हम दोनों बहुत हँसी मजाक करते थे, बाजार में घूमते थे, फ़िल्म देखने जाते थे, साथ में मिलकर कोई खेल खेलते थे।
भाभीजी खाना बहुत ही अच्छा बनाती थी।
एक दिन खाना खाते हुए मैंने उनसे कहा- आपके खाने का स्वाद मेरे मुँह में इतना घुल गया है कि मैं चख कर ही बता सकता हूँ के वह आपका बनाया हुआ है या किसी और का!
“कुछ भी!” भाभीजी हँसती हुई बोली।
“कुछ भी नहीं, मैं सच कह रहा हूँ। मैं तो आँख बंद करके सिर्फ सूँघ कर आपके खाने को पहचान सकता हूँ।”
“देखते हैं, कल से आप आँख बंद करके यह पहचान लोगे कि मैंने क्या बनाया है, फिर खाना खाओगे। अगर बंद आँखों से आपने खाना सूँघकर या चखकर नहीं पहचाना तो आप भूखे रहोगे।” भाभीजी ने शर्त रख दी।
“बंद आँखों से खाना सूँघना और चखना तो ठीक हैं पर खाऊँगा कैसे?” मैंने उनकी शर्त सुनकर पूछा।
“मैं खिलाऊँगी अपने हाथों से!” भाभीजी हँसकर बोली।
“ओ वाह! यह तो डबल लॉटरी लग गई। आपके हाथों से बना टेस्टी खाना आपके ही हाथों से खाने को मिलेगा!” मैं हँसकर बोला।
“लॉटरी तो तब लगेगी जब आप खाने को पहचानोगे, नहीं पहचान पाये तो भूखा रहना पड़ेगा; यह भी याद रखिये।” भाभीजी ने शर्त याद दिला दी।
“शर्त मंजूर हैं।” मैंने उनकी शर्त मान ली।
दूसरे दिन जब हम खाना खाने बैठे तो भाभीजी ने शर्त याद दिलाते हुये मेरी आँखों पर कपड़े की पट्टी बाँध दी।
“खाना पहचान लूं तो आप अपने हाथों से मुझे खिलाओगी याद है ना?” मैं बोला।
“पहले पहचान तो लो, बताओ यह क्या है?” एक चम्मच मेरे मुँह में ठूँसते हुये उन्होंने पूछा।
“यह आपके सुंदर नाजुक हाथों से बनी मीठी मीठी खीर है।” मैंने टेस्ट करके कहा।
“वाह, बहुत खूब! अब यह क्या है बताओ?” कहकर उन्होंने एक निवाला मेरे मुँह में दिया।
“आपके हाथों से बनी नर्म नर्म रोटी और आलू मटर की सब्जी!” मैंने निवाले को खाते हुये कहा।
“क्या बात है, आप तो सचमुच जीनियस हो।” वह बोली।
“खाना बहुत टेस्टी बना है भाभीजी! पॉसिबल होता तो आपकी उँगलियाँ चूस लेता।” मैंने मजाक में कहा।
“उससे क्या होगा?” भाभीजी ने थोड़े सेक्सी अंदाज में कान के पास आकर पूछा।
“निवाला और ज्यादा टेस्टी लगेगा।” मैंने मुस्कुराते हुये कहा।
“क्या सच में?” खीर के चम्मच में डूबी उँगली मेरे मुँह में डालते हुये भाभीजी ने धीमे स्वर में पूछा।
“ओह भाभीजी, मजा आ गया!” आपकी उँगलियाँ तो खाने से भी ज्यादा टेस्टी हैं। जी करता है इन्हें सोते जागते ऐसे ही मुँह में रखूँ।” मैंने मजाक में कहा।
“जागते तो रख सकते हो, सोते कैसे रखोगे? साथ में सोने का इरादा हैं क्या?” भाभीजी ने फिर सेक्सी अंदाज में पूछा।
“क्या भाभी! आप भी?” मैं शर्माकर बोला।
“मैं कैसे? रात दिन मेरी उँगलियाँ अपने मुँह में रखने की बात तो आपने कही ना?” निवाला खिलाते हुये भाभीजी बोली।
“मुझे ही खिलाती रहोगी? आप कब खाओगी?” मैंने बात को बदलने के लिये पूछा।
“आप अपने हाथों से खिलाओगे तो मैं भी अभी खाऊँगी आपके साथ साथ!” भाभीजी ने सेक्सी अंदाज में कहा।
“ह ह ह … तो चलिये पट्टी खोल देते हैं।” कहकर मैं पट्टी खोलने लगा।
“पट्टी खोलने की क्या जरूरत है?” भाभीजी मेरे हाथ पकड़ते हुये बोली।
“आपका मुँह कैसे दिखेगा मुझे?” मैंने पूछा।
“आप बस अपना हाथ ढीला छोड़ दीजिये” कहकर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा, मेरी उंगली खीर की कटोरी में डुबाई और अपने मुँह में भरकर उसे जड़ तक चूस लिया; ठीक वैसे जैसे सेक्स करते वक्त कोई पार्टनर अपने सेक्स पार्टनर की उँगलियाँ चूसता है।
उन्होंने फिर मेरी उँगली खीर में डुबाई और इस बार मुँह में लेने की बजाय उँगली को खड़ा किया और उसे जड़ से नाखून तक जुबान से चाटने लगी; ठीक वैसे जैसे ब्लोजॉब करते हुये कोई फीमेल सेक्स पार्टनर अपने सोये हुये मेल पार्टनर का लंड चाटती हैं, जड़ से लेकर ऊपर सुपारे तक।
उनकी इस हरकत से मैं सर से पाँव तक गनगना गया।
“ह ह ह, क्या हुआ?” उन्होंने हँसकर पूछा।
“यहाँ आकर घूमना फिरना, खाना पीना तो हो गया था, आज लगता है सोना भी हो जायेगा?” मैंने इनडायरेक्टली डाइरेक्ट बात कह दी थी।
“क्यों यहाँ आकर आपकी नींद पूरी नहीं हुई?” उन्होंने बात को समझकर भी नासमझ बनते हुये पूछा।
“कैसे होगी? आपने लोरी जो नहीं गाई। आज से आप लोरी गाया कीजिये मैं सोया करूँगा।” मैंने भी जानबूझकर सोने की ही बात की।
“मेरे लोरी गाने से आपको तो नींद आ जायेगी पर मेरे पति देवजी की नींद उड़ जायेगी।” वह मुझे छेड़ते हुये बोली।
“जब आपके पति देवजी लौट आये तब गाना बंद कर दीजिये।” मैंने छेड़छाड़ के माहौल को आगे बढ़ाया।
“अच्छा जी, मेरे पति देव घर पर नहीं हैं इस बात का फायदा उठाना चाहते हो?” उन्होंने फिर सेक्सी अंदाज में पूछा।
“ना भाभी ना, आप तो गलत समझ बैठी!” मैं थोड़ा हँसकर बोला।
“यह चख कर बताओ तो, क्या है?” उन्होंने मेरे होठों पर अपनी उँगलियाँ फेरी और फिर एक उँगली मुँह में डाली।
“यह तो आम का अचार है।” मैंने तुरंत पहचान लिया।
“यानि आप मेरे हाथों ना बनी चीजें भी पहचान लेते हो?” वह बोली।
“आम के अचार को तो कोई भी पहचान लेगा।” मैं बोला।
“हाँ यह तो है, चलो आज आपको एक ऐसी चीज चखाती हूँ जो आपने इससे पहले कभी नहीं चखी होगी।” वह बोली।
“ऐसी क्या चीज है?” मैंने हैरानी से पूछा।
“पहचानो तो आज लोरी पक्की!” वह फिर सेक्सी अंदाज में कान के पास आकर बोली।
“यह क्या हैं, कुछ अजीब ही टेस्ट है। इससे पहले ऐसी कोई डिश चखी नहीं है।” मैं थोड़ा परेशान होकर बोला।
“ह ह ह, मुझे लगा ही था, आपने यह स्वाद पहले कभी चखा नहीं होगा।” वह कान के पास फुसफुसाते हुये बोली।
“स्वाद आप पहचान नहीं पाये, लोरी कॅन्सल!” वह शरारत से बोली।
“दुबारा टेस्ट कर सकता हूँ क्या?” मैंने पूछा।
“क्यों … स्वाद अच्छा लगा?” वह फिर शरारती अंदाज में बोली।
“ऐसी बात नहीं, पर लोरी सुनने का मौका गंवाना नहीं चाहता।” मैं भी मुस्कुराकर शरारती अंदाज में बोला।
“लो चख लो, पूरा मुँह खोलो!” कहकर उन्होंने अपनी चारों उँगलियाँ मेरे मुँह में डाल दी।
“यह सच में बड़ा अजीब टेस्ट है। सच में खाना ही है ना? या कोई और चीज चखा रही हो?” मैंने पूछा।
“चीज खाने की नहीं हैं, पर इसे चखते जरूर हैं।” वह बोली।
“ऐसी कौनसी चीज हैं जो खाने की नहीं हैं पर चखते जरूर हैं?” मैंने फिर हैरान होकर पूछा।
“पहचान तो आपको करनी है।” वह बोली।
“किसी फल का रस है क्या?” मैंने पूछा।
“हहह हाँ, फल का रस ही समझो!” वह मुस्कुराकर बोली।
” कौनसा फल?” मैंने पूछा।
“गुलाबी रंग का है, पहचान लो, क्लू दे दिया है।” वह हँसकर बोली।
“गुलाबी? थोड़ा खाकर देख सकता हूँ क्या?” मैंने पूछा।
“इसे खाते नहीं, सिर्फ चाटते हैं!” वह धीमी आवाज में बोली।
“चटवाओ, देखते हैं कौनसा फल है।” मैं उत्सुकता पूर्वक बोला।
“अभी नहीं, रात को … सोने के टाईम पर!” वह बोली।
“सोने के टाईम पर क्यों?” मैंने हैरान होकर पूछा।
“सोने के टाईम पर चखने से नींद अच्छी आती हैं।” वह हँसकर बोली।
“जैसा आप कहें … अब पट्टी खोल के खाना खायें? मैंने पूछा।
“हाँ, जल्दी जल्दी खाना खा लेते हैं, उसके बाद मैं किचन साफ कर लेती हूँ, आप अपना कोई जरूरी काम हो तो उसे निपटा लीजिये।”
हमने जल्दी जल्दी खाना खाया।
जब तक वह किचन में थी, मैं टीवी देख रहा था।
किचन का काम निपटाकर वह मेरे पास आयी।
“चलो चलें?” मैंने पूछा।
“कहाँ?” उसने पूछा।
“सोने!” मैंने कहा।
“इतने जल्दी नींद आ गयी?” वह मुस्कुराकर बोली।
“नहीं, नींद के लिये नहीं, आपका वो फल टेस्ट करना है ना!” मैं बोला।
“हहह, अच्छा फल चखने के लिये? चलो, चलते हैं।” कहकर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।
मैंने टीवी बन्द किया और उनके साथ उनके बेडरूम में चला गया।
“इस फल को पहली बार चखने के कुछ नियम हैं।” रूम में पहुँचकर वह बोली।
“क्या नियम हैं?” मैंने पूछा।
“आँखों पर पट्टी बाँध लो!” वह बोली।
” लो, आप ही बाँध दो।” कहते हुये मैं उनके पास चला गया।
उन्होंने मेरी आँखों पर पट्टी बाँध दी और बोली- अब अपने हाथ पीछे करो.
“हाथ पीछे क्यों?” मैंने पूछा।
“इसलिये कि आप अपने हाथों का स्पर्श ना करें!” वह मुस्कुराकर बोली।
“लो कर लेते हैं हाथ पीछे … उसमें क्या है.” कहकर मैंने हाथ पीछे कर लिये।
उन्होंने मेरे दोनों हाथ पीठ के पीछे बाँध दीये और कहा- जमीन पर बैठ जाइये.
“जमीन पर क्यों? बेड पर बैठता हूँ ना!” मैं बोला।
“मैंने कहा ना, इसे पहली बार चखने के कुछ नियम हैं।” कहकर उन्होंने मेरे कंधों को नीचे दबाया और मुझे जमीन पर बिठाया।
“अपनी जुबान बाहर निकालो … और बाहर, जितनी ज्यादा हो उतनी बाहर निकालो!” नीचे बिठाकर वह बोली।
उनके कहने पे मैंने अपनी जुबान पूरी तरह से बाहर निकाल दी।
“लो अब चखकर बताओ यह क्या है.” वह बोली और मेरी जुबान पर कोई बड़ी सी चीज आके चिपक गयी।
मैंने उस चीज पर अपनी जुबान फेरी और पीछे मुँह कर के बोला- यह तो कोई माँसल चीज है, कच्चा मांस हैं क्या?
“हहह हहह हाँ, कच्चा मांस ही है, टेस्टी लगा हो तो और थोड़ा चख लो!” वह बहुत जोर जोर से हँसकर बोली।
अब तक तो मैं भी समझ गया था कि भाभीजी मुझसे अपनी चूत चटवा रही हैं और यह पुसी कम का टेस्ट है।
मगर मैं जानकर भी अंजान बन रहा था।
“भाभीजी! इस रसीले फल को अपने हाथों से दबोच सकता हूँ क्या?” मैंने उनसे पूछा।
“आँखों की पट्टी नहीं खुलेगी, सिर्फ हाथ खुलेंगे.” कहकर उन्होंने मेरे हाथ खोल दिये।
मैंने धीरे धीरे उनकी टांगों पर हाथ फेरते हुये उनकी गांड को दोनों हाथों से दबोच लिया।
अपनी जुबान उनकी चूत में डालकर चूत का रस चाटते हुये मैं उनकी गांड को स्तनों की तरह दबाये जा रहा था।
भाभीजी अब मस्ती में सिसकार रही थी- आ आउच ओह आह मजा आ गया, चाटो और चाटो, पूरी तरह से खा जाओ इसको!
वह मस्ती में बड़बड़ा रही थी।
थोड़ी देर बाद वह मुझे पकड़कर बेड पर ले गयी।
वहाँ खुद लेट गयी और मेरा मुँह अपनी जांघों में दबाकर अपनी चूत मेरे मुँह पर रगड़ने लगी।
“अब आँखें खोल भी दो भाभी!” मैं मस्त होकर बोला।
“वॉव ! क्या मस्त गुलाबी चूत है आपकी!” मेरी आँखें खुलते ही मैं बोल पड़ा।
“अपना नहीं दिखाओगे?” उन्होंने पूछा।
“लो आप खुद ही देख लो!” कहते हुये मैं उनके मुँह के सामने बैठ गया।
मेरी पैन्ट से मेरा लंड बाहर निकालकर वह अब उसे हिलाने लगी।
“सिर्फ हिलाओगी? टेस्ट नहीं करोगी?” मैंने पूछा।
वह मुस्कुराई और मेरे लंड को अपने मुँह में भरकर चूसने लगी।
कभी वह अपने जीभ से उसे चाटती तो कभी चूसती।
बड़ा मजा आ रहा था मुखमैथुन से!
थोड़ी देर मेरा लंड चूसने के बाद उन्होंने मुझे बहुत देर तक किस किया.
किसिंग के दौरान मैं उनके गोल – मटोल बूब्स को मसल रहा था।
कुछ देर किसिंग चलती रही उसके बाद उन्होंने मेरे और मैंने उनके सारे कपड़े उतार दिये।
वह बेड पर लेट गई और अपनी टांगे फैलाकर मुझे चोदने का निमंत्रण देते हुये अपनी चूत पर उंगली फेरने लगी।
मैं भी पूरी तरह से तैयार था इस मौके के लिये।
मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रखा और धीरे धीरे करके पूरा लंड चूत में उतार दिया।
वह नीचे से कमर उचकाकर चुदाई में मेरा साथ देने लगी।
मैं कभी हल्के कभी जोर के धक्के लगाने लगा।
” ओह … वाह … आह … क्या बात है! मजा आ गया … या … ओ … ” उनके मुँह से आवाजें आती गयी और मैं चोदता रहा।
“अब आप नीचे आ जाओ, मैं ऊपर आती हूँ।” थोड़ी देर बाद उन्होंने कहा।
उनका कहना मान कर मैं नीचे लेट गया तो वह मेरे लंड को अपनी चूत में लेती हुई मेरे जांघों पर बैठ गयी।
ऊपर बैठ कर वह अपनी कमर ऊपर नीचे कर के आगे पीछे कर के धक्के मारने लगी।
जब उनकी गांड मेरी जांघों से टकराती तो फट फट की आवाजें आती।
कुछ देर अपनी कमर हिलाने के बाद उनको अचानक से तेज झटके लगने लगे और वह झड़ गयी।
झड़ने के बाद वह निढाल होकर मेरे ऊपर लेट गयी।
मैं एक हाथ से उनकी पीठ सहला रहा था और दूसरे हाथ से उनकी गांड दबा रहा था।
मेरा लंड अभी भी उनकी चूत में ही था इसलिये मैं धीरे – धीरे नीचे से ऊपर कमर उचकाकर हल्के हल्के शॉट्स मार रहा था।
उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया था इसलिये पच पच की आवाजें अब पहले से ज्यादा आ रही थी।
जब वह थोड़ी रिलॅक्स हो गयी तब मैंने अपने दोनों हाथों से उनकी पीठ को जखड़ लिया और जोर जोर से धक्के मारने लगा।
फच फच की आवाजें बढ़ने लगी।
वह ऊपर लेटे हुये मेरे चेहरे को, ओठों को, कंधों को, सीने को किस करती रही।
थोडी देर बाद जब मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ मैंने और जोर से उनको कस लिया और बड़ी तेजी से धक्के मारने लगा।
उनके गालों पर अपने दाँत गड़ाते हुये मैं आखिरकार झड़ गया।
मेरे झड़ने के बाद भी कुछ देर हम उसी अवस्था में लेटे रहे।
उस दिन के बाद से जब भी उनके पति घर पर नहीं होते थे हम खूब चुदाई करते थे।
कहानी को पढ़कर फालतू मेल ना करें, यह बस एक कहानी है। कहानी पुसी कम टेस्ट से सम्बंधित जरूर है पर मेल करने वालों से सभ्यता की अपेक्षा होती है।
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