चूत ka क्वॉरेंटाइन लण्ड से मिटाया- 7

मजेदार चुदाई स्टोरी में आपने पढ़ा कि मैं अपनी भाभी के भाई से चुद रही थी और अपनी सेक्स विडियो भी बना रही थी भाभी को दिखाने लिए. भाभी ने विडियो देखी तो …

मजेदार चुदाई स्टोरी का अगला भाग पढ़ कर आनन्द लीजिये.

विजय नहाने चला गया और उसके जाते ही मैंने फोन अपने कान से लगा लिया और बोली- हेल्लो भाभी!
सुमन भाभी- अरे मेरी चुदक्कड़ लाडो, मेरी लण्डखोर ननद बाईसा, आखिर खा ही लिया मेरे भाई का लण्ड!

मैं- भाभी थैंक यू सो मच! कसम से मुझे विजय पहले क्यों नहीं मिला? भाभी आपका भाई इतना चोदता है … इतना चोदता है कि पूछो मत, कसम से कल पूरी रात जागकर उसका लोड़ा अपनी चूत को खिलाया!

भाभी- अभी मैं तुम दोनों की चुदाई सुन रही थी … तुम दोनों तो लग रहा है जन्मो-जन्म के प्यासे हो और सात जन्म बाद मिले हो इस तरह से एक दूसरे को प्यार दे रहे थे.
मैं- भाभी सच में मैं विजय को पाकर बहुत खुश हूं. मैं आपका एहसान कैसे चुकाऊंगी?

सुमन भाभी- मेरा कोई एहसान नहीं है. तुम दोनों आपस में मिलना चाहते थे और मैंने तुम दोनों को मिलाया. अगर मेरा एहसान मान कर चुकाना ही चाहती है तो विजय का लण्ड हमेशा खाती रहना. मेरा एहसान चुक जाएगा अपने आप।

“भाभी, अब तो मैं आपके बिना कहे ही जब भी मौका मिलेगा विजय का लण्ड खा जाऊंगी पूरा का पूरा … और आपको पता भी नहीं चलेगा. और हां भाभी, अभी मैं आपके लिए कुछ गिफ्ट भेज रही हूं. आप उनको देख लीजिए.

इस तरह मैंने और भाभी ने काफी देर तक बातें की और फिर मैंने फोन रख दिया.

मैं चाय पी कर नंगी ही विजय के साथ बाथरूम में घुस गई. हम दोनों ने एक दूसरे को रगड़ रगड़ कर नहलाया.

अगले 3 दिन और 3 रात में विजय के घर पर ही उसके साथ ही पूरे दिन नंगी ही रही. हमने अलग-अलग पोज में और अलग-अलग जगह सेक्स किया. घर का एक भी किनारा नहीं छोड़ा जहां चुदाई नहीं की हो.

इन तीन दिनों में विजय ने मेरी गांड मार मार कर मेरी गांड के छेद को पूरा खोल दिया.
गांड की कहानी फिर कभी आपको बताऊंगी. क्योंकि मैं मेरे चाहने वालों को और प्रशंसकों को अच्छी तरह जानती हूं कि उनको विस्तार से बताना पड़ेगा. तभी उनको मजा आएगा. तभी वे अपना लण्ड सहला कर मुट्ठ मार पाएंगे.

अब मेरी भी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आ चुकी थी और मैं वापस अपने मायके आ गई थी.

अगले 15 दिन, जब तक मेरे सास ससुर और पति की रिपोर्ट नेगेटिव नहीं आ गई, तब तक मैं मायके में ही रही.
और मैं रोज किसी न किसी बहाने से बाहर जाकर विजय के साथ चली जाती और कभी उसके घर पर और कभी होटल में जाकर हम दोनों चुदाई करते.

मैं वापस जयपुर आने लगी.
उससे 1 दिन पहले मेरी मम्मी ने भाभी को बोला- शालिनी और बच्चों को कपड़े वगैरह दिलाने हैं.
जिसको हमारे राजस्थान में ‘सीख’ बोलते हैं जब लड़की अपने पीहर वापस ससुराल जाती है तो उसके मां-बाप उसको सूट वगैरा और नए कपड़े करते हैं.

कोरोना की वजह से मॉल वगैरह सब बंद थे इसलिए मैं और भाभी किसी राजपूती कपड़ों की दुकान में कपड़े लेने गयी.

वहां पर हमारे अलावा कई औरतें कपड़ा लेने आई हुई थी.
वहीं मैंने एक जोड़े को देखा जो कपड़े लेने आया हुआ था.

औरत और मर्द पास पास बैठे थे लेकिन मर्द का हाथ पीछे से उसकी गांड में उंगली कर रहा था औरत मजे ले रही थी.

उनको यह करतब करते देख मेरे भी तन बदन में आग लग गई और मेरी चूत भी लौड़ा मांगने लग गई.
मैंने भाभी की कान में धीरे से बोला- भाभी, मुझे विजय का लौड़ा लेना है, अभी इसी वक्त!

भाभी ने चौंकते हुए मेरे सामने देखा और मुझसे बोली- तुझे अचानक एकदम से क्या हो गया?
मैं बोली- प्लीज भाभी, अभी कुछ मत पूछिए बाद में सब बताऊंगी. अभी प्लीज मुझे लण्ड चाहिए बस! Herbs for erectile dysfunction, such as ginseng and horny goat weed, are reputed to improve blood flow and hormonal balance. Research indicates that using a great site for sourcing reliable herbal supplements ensures safety and efficacy. Clinical evaluations suggest that these natural remedies might serve as alternatives to conventional treatments.

भाभी ने कहा- ठीक है, लगा विजय को फोन!
मैंने उसको कॉल लगाया और पूछा- कहाँ हो!
उसने बताया- ऑफिस आया हुआ हूँ.

मैंने उसको, जहां हम कपड़े खरीद रहे थे, उस दुकान का नाम बताया और लोकेशन बताकर कहा- तुम तुरंत हमें लेने के लिए यहां आ जाओ!

अगले 10 मिनट में विजय हमारी दुकान के आगे आ गया और हम दुकान के बाहर खड़े खड़े उसका ही इंतजार कर रहे थे.

मैं और भाभी कार का दरवाजा खोल कर पीछे बैठ गयी.
उसने कार मेरे मायके वाले घर की तरफ मोड़ दी.
तो भाभी बोली- कार तेरे घर की तरफ ले चल!

हम तीनों विजय के घर पहुंचे.
विजय अपने रूम में चला गया और भाभी और मैं दूसरों में चली गयी.

भाभी ने मुझसे बोला- अभी तो बहुत उतावली हो रही थी अब यहां क्या कर रही है जा न उसके पास!
मैं भागकर विजय के रूम में चली गई और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया.

जाकर मैं उससे लिपट गई तो वह बोला- अरे क्या कर रही हो? बाहर दीदी है!
तो मैंने उसको बोला- तो दीदी को कौन सा हमारे बारे में पता नहीं है!

ऐसा कह कर हम दोनों ने एक दूसरे को जकड़ लिया और किस करना शुरू कर दिया.
अगले 1 घंटे तक लगातार हमने पलंगतोड़ चुदाई की.

विजय का लण्ड जब दो बार मेरी चूत में धराशयी हुआ तब जाकर मेरी चूत को ठंडक नसीब हुई और मेरी चूत की आग कम हुई.

1 घंटे बाद सुमन भाभी ने बाहर से दरवाजा बजाया और बोली- अब जल्दी करो तुम दोनों … वापस घर भी जाना है. अभी तक कपड़े भी लेने बाकी हैं.

मैंने और विजय ने तुरंत कपड़े पहने और मैं दरवाजा खोलकर बाहर आ गई.

फिर विजय ने हमें वापस कपड़ों की दुकान पर छोड़ दिया और वहां से हम कपड़े लेकर सीधे घर आ गयी.

दूसरे दिन मैंने पीहर से सबसे विदा ली और खासकर भाभी के गले मिलकर कान में भाभी को बोला- भाभी, आपने मुझे जो इतना सब कुछ दिया और इतना सब कुछ मेरे लिए किया है; मैं आपकी हमेशा शुक्रगुजार रहूंगी.

भाभी ने हँस कर कहा- नहीं ननद बाईसा, तुम हो ही ऐसी जो किसी का भी लोड़ा खड़ा कर सकती हो. और किसी का भी तुम्हें देखकर मन मचल जाए! तुमने खुद विजय को पाया है. इसमें मैंने कुछ नहीं किया. तुम दोनों आपस में मिले और एक दूसरे को प्यार करते हो इससे मैं भी बहुत खुश हूं!

अब मैं बच्चों के साथ विजय की कार में सवार हो गई और निकल पड़ी जयपुर के लिए!

काफी देर चलने पर विजय ने कार एक ढाबे पर रोकी और दोनों बच्चों को पैसे देकर पानी की बोतल और कुछ चिप्स वगेरह और उनके लिए जो भी उन्हें पसंद हो लाने भेज दिया.

बच्चों के कार के नीचे उतरते ही विजय ने तुरंत मेरा हाथ पकड़ लिया और बोलने लगा- शालू, तुम्हारे जयपुर पहुंचने के बाद तो पता नहीं हम कब मिलेंगे. प्लीज जानू कुछ करो. जयपुर पहुंचने से पहले एक बार मेरी गोद में आ जाओ और मेरे लण्ड को चैन दे दो!

मुझे भी पता था कि जयपुर पहुंचने के बाद काफी समय तक विजय का लण्ड नहीं मिल पाएगा. इसलिए मैं भी जयपुर पहुंचने से पहले एक बार विजय के साथ चुदाई करना चाहती थी.

मैंने कहा- हाँ जानू, मैं भी तुम्हारा लण्ड खाना चाहती हूँ.

विजय ने तुरंत एक प्लान बना लिया और बच्चों के वापस कार में बैठते ही कार जयपुर के लिए रवाना कर दी.

थोड़ी दूर चलने पर विजय ने कार का एक्सीलेटर कम ज्यादा करना शुरू कर दिया और कार को झटके खिलाने लग गया जानबूझकर!
झटके खाती कार को देखकर मैं विजय से बोली- क्या हो रहा है?
तो विजय ने बोला- कार में कुछ दिक्कत आ गई है देखना पड़ेगा!

विजय ने कार हाइवे पर एक बहुत बड़ी होटल के सामने रोक दी.
हम सब नीचे उतर गए और विजय ने रिसेप्शन पर जा कर दो रूम बुक कर दिए.

हम लिफ्ट में से होते हुए रूम में चले गए.

सभी एक ही रूम में बैठे थे और विजय बोला- शालिनी मैं कार सही करवाने जा रहा हूं. तब तक तुम और बच्चे यही रेस्ट करो!
विजय हमारे रूम से निकलकर चुपके से दूसरे रूम में घुस गया और मेरा इंतजार करने लगा.

सब हमारे प्लान के मुताबिक हो रहा था.

मैंने होटल के रूम का टीवी ऑन कर दिया और बच्चों को बोला- बेटा, मुझे बहुत नींद आ रही है. तुम दोनों यहीं बैठ कर टीवी देखो. मैं दूसरे रूम में सोने जा रही हूँ. और हाँ, मुझे बिल्कुल डिस्टर्ब मत करना. मैं अपने आप नींद पूरी होते ही तुम्हारे पास आ जाऊँगी. तब तक विजय अंकल भी कार सही करवा कर आ जाएंगे.

ऐसा बोल कर मैं रूम से निकल गई और चुपके से विजय के रूम में घुस गई.

अगले 2 घंटे तक हमने होटल के रूम में ताबड़तोड़ चुदाई की.

विजय ने जाने से पहले अंतिम बार मेरी गांड भी मारी … और मेरे हर छेद में अपना लौड़ा घुसा घुसा कर मेरी हर छेद की चुदाई की.
होटल के रूम का एसी फुल था. फिर भी हमारे शरीर पसीने से तरबतर थे.

चुदाई करते हुए 2 घंटे से ज्यादा बीत चुके थे … फिर ना चाहते हुए भी हमें बाहर जाना पड़ा क्योंकि काफ़ी समय से बच्चे अकेले थे.

मैं बच्चों के रूम में जाकर बोली- चलो बच्चो, विजय अंकल कार सही करवा कर आ गए हैं. अब हमें जल्दी से जल्दी जयपुर पहुंचना है.

फिर हम सभी कार में सवार हो गए और शाम तक जयपुर पहुंच गए.

रात को विजय बाहर वाले रुम में अकेला ही सोया जबकि मैं बच्चों के साथ अंदर वाले रूम में सोई.
मन तो बहुत कर रहा था विजय के पास जाने का लेकिन यह खतरा मैं यहां मोल लेना नहीं चाह रही थी.

सुबह जब विजय जाने लगा तो उसको दही और परांठे का नाश्ता करवाया और चुपके से विजय के गले लग गई.
हम दोनों ने एक दूसरे को किस किया और मैं उसका लौड़ा हाथ में लेकर मसलने और दबाने लगी.

उसने भी मुझे बांहों में भर लिया और जोर-जोर से मेरे होंठों को काटने लगा. उसने मेरे बूब्स को दबाया और मेरी चूत और गांड में उंगली भी की.

हम सबने विजय को विदा किया।

यह थी मेरी और विजय के मिलन की दास्तां!

विजय ने अपने घर पर कैसे मेरी गांड का उद्घाटन किया और कैसे मेरी गांड मारी?
उसकी कहानी आप सबको अगली बार विस्तार से बताऊंगी.

जाते जाते मैं आप सभी से कुछ कहना चाहती हूं … मर्दों को भी और औरतों को …

मर्दों से कहना चाहती हूं कि आप सभी अपने घर की दाल छोड़ कर बाहर बिरयानी खाना चाहते हैं तो शौक से खाइये. क्योंकि हम भी तो बाहर का ताजा माल खाना चाहती हैं.

आप जिस भी औरत को चोदना चाहते हैं तो पूरे दिल से और शिद्दत से उसको प्यार कीजिये और उसकी चुदाई कीजिये मेरे विजय के जैसे!
ताकि औरत तड़प उठे दुबारा आपसे मिलने के लिए!

और मेरी प्यारी बहनों और सभी शादीशुदा औरतों से कहना चाहती हूं: अगर घर का खाना बदबू मारने लग जाए तो बाहर का ताजा खाना भी कभी-कभी खा लेना चाहिए.
अगर पति का लण्ड आप को संतुष्ट नहीं कर पाता तो आप पतिव्रता बनकर कितने साल रहेंगी? और कब तक अपने बदन को ऐसे ही जलाती रहेंगी?
मेरी तरह आप ही बाहर एक अच्छा लण्ड ढूंढ लीजिए और मौका मिलते ही उसको पूरा खा जाइए.

दूसरे मर्द से चुदवाना मैं बिल्कुल गलत नहीं मानती.
लेकिन हर मर्द से नहीं … केवल उसी मर्द से जो आपसे सच्चा प्यार करता हो और आपके विश्वास के लायक हो.
तभी आप उसके लण्ड के नीचे जाएँ. वरना नहीं.

मर्द ऐसा नहीं होना चाहिए जो विश्वास के काबिल नहीं हो और जो हमें दो तीन बार चोद कर हमें ब्लैकमेल करने लग जाए. वो हमें दूसरों के आगे भी फेंक दे और हमारी फोटो लीक कर दे.
इसलिए मर्द को बहुत परख कर उसके लण्ड के नीचे आना चाहिए.

मेरा मानना है कि पराए मर्द का लण्ड तो हर औरत को एक बार अपनी चूत में लेना ही चाहिए.

भगवान ने हमें इतना सुंदर शरीर दिया है तो हम पूरी जिंदगी तो एक लण्ड खाने के लिए नहीं बनी हैं. हम भी कई लण्ड खाने के लिए बनी हैं.
इसलिए आप भी खुशी खुशी शादीशुदा और जवान लड़कों का मोटा ताजा लण्ड खाइये और उन्हें अपनी चूत का अमृत जल पिलाइये.

अंत में मेरी मजेदार चुदाई स्टोरी पढ़ने वाले मेरे प्यारे दोस्तो, मेरे चाहने वालो, मेरे प्रशंसको, लंबे और मोटे लण्ड वालो, शादीशुदा मर्दो और कुँवारे कड़क लण्ड वालो और गहरी चूत वाली मेरी बहने … आप सभी का प्यार ऐसे ही आपकी शालिनी भाभी (शालू भाभी) पर बना रहे!
धन्यवाद

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