ट्रेन में सेक्स की कहानी में पढ़ें कि मैं दिल्ली आया और चूत का प्यासा था. मैंने लड़की पटाई लेकिन चूत नहीं दी उसने. तो मैंने पहली बार चूत को कैसे छुआ?
दोस्तो, कैसे हो सब? मैं हरियाणा (भिवानी) का जाट हूं और अन्तर्वासना साईट पर मेरी ये पहली कहानी है। आशा करता हूँ कि आप सबको यह ट्रेन में सेक्स की कहानी पसंद आएगी।
यह बात तब की है जब बी.एस.सी. की पढा़ई के लिए मैंने दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया था।
दिल्ली आने से पहले मैं शरीफ सा लड़का था. मतलब ये कि सेक्स या चुदाई का कोई अनुभव नहीं था.
हालांकि अन्तर्वासना साईट पर कहानियों को पढ़ पढ़कर चुदाई का लिखित ज्ञान मिल गया था लेकिन उसको अभी अनुभव बनाना बाकी था।
मेरी कोई गर्लफ्रेंड तो थी नहीं इसलिए बस जब मन करता तब हाथ से ही हिलाकर अपने लंड को शांत कर लेता था।
जब मैं दिल्ली आया तो इस शहर में आने के बाद तो जैसे कि सब कुछ ही बदल गया।
यहाँ के हुस्न को देखकर मेरा लंड बेकाबू हो जाता था. अब यह हाथ से शांत हो नहीं पा रहा था. इसको चुदाई का सुख चाहिए था.
मेरे लंड को अब जरूरत थी तो एक गर्म चूत की। बस मैं भी लग गया लड़की पटाने की लाइन में।
आखिरकार मेरे कॉलेज की एक लड़की से मेरी बात बन गई।
वह बहुत ही शर्मिली टाइप की लड़की थी इसलिए उसको सेट करने में भी टाइम लगा.
पहले तो हम पुरानी हिन्दी फिल्मों के हीरो हीरोइन की तरह कॉलेज में यहां वहां घूमकर ही एक दूसरे की आंखों की प्यास बुझाते थे.
आगे बढ़ने की हिम्मत किसी की नहीं हो रही थी.
धीरे धीरे उससे मैंने अपने दिल की बात बोली. उसको अपने प्यार का अहसास दिलाया तो फिर दोनों के फोन नम्बर भी अदला बदली हो गये.
फिर होते होते बात सेक्स चैट तक पहुंची और आखिरकार मैं इतनी मेहनत करने के बाद उसके गालों की पप्पी और उसकी चूचियों को छेड़ने तक का रास्ता तय कर चुका था.
जब उसकी चूमा चाटी करता तो मेरा मन उसकी चूत को छूने का करता.
मगर जैसे ही मैं अपना हाथ उसके पेट से नीचे ले जाता तो वो मेरे हाथ को पकड़ लेती थी और चूत को कपड़ों के ऊपर से भी छूने नहीं देती थी.
लड़की सेट होने के बाद भी मेरा लंड तड़प कर रह जाता था. उसकी किस्मत में अभी तक चूत नहीं लिखी थी.
ऐसे ही दिन कट रहे थे.
मेरी सेटिंग की चूची दबाकर और उसको किस करके मेरे लंड में गीलापन तो आ जाता था लेकिन मैं चुदाई करके माल को चूत में छोड़ने का सुख चाहता था.
फिर एक बार की बात है कि अपनी बंदी से मिलने के बाद मैं वापस अपने रूम पर जा रहा था।
मैंने राजीव चौक से मैट्रो पकड़ी।
शाम का वक्त होने के कारण मैट्रो में बहुत ज्यादा भीड़ थी। जैसे तैसे मैं अंदर घुसा और दरवाजे से हटकर बीच में खड़ा हो गया।
मेरे पीछे एक बूढ़ी औरत खड़ी थी और मेरे आगे एक महिला मेरी तरफ अपनी पीठ करके खड़ी थी जिसकी उम्र लगभग 30-32 साल होगी. उसके कपड़ों से लग रहा था जैसे जॉब से लौट रही हो।
उसकी सफेद शर्ट और ब्लैक पैंट में से उसका सुडौल बदन कपड़े फाड़कर बाहर आने को हो रहा था। उसकी शर्ट 36 साईज के बूब्स पर ऐसे कसी हुई थी कि उनके बीच से हवा भी पास न हो सके.
उसके नैन नक्श तीखे थे और उसकी गांड तो यार तौबा तौबा … क्या गोल मटोल शेप वाली उठी हुई गांड थी. बिल्कुल बाहर की ओर निकली हुई थी.
उसको देखकर मन करता था कि यहीं इसकी गांड में लंड घुसा दो.
कुल मिलाकर बहुत ही करारा माल लग रही थी वो! उसकी गांड को देखकर तो मेरा लंड एकदम उछलकर खड़ा हो गया।
तभी मेरे दिमाग में एक आईडिया आया।
मैं मेरे पीछे खड़ी बूढ़ी औरत को जगह देने के बहाने से और आगे खिसक गया। ऐसा करने से मैं अब मेरे आगे खड़ी महिला के बदन से बिल्कुल सटकर खड़ा हो गया था और मेरा लंड उसकी गांड से जा लगा।
अपनी गांड पर मेरे लंड का अहसास पाकर उसने एकदम से पलट कर मेरी तरफ देखा.
जाहिर सी बात है कि उसको शक हुआ होगा कि कहीं मैं जानबूझकर उसके बदन को गलत इरादे से छू रहा हूं.
मगर जब उसने देखा कि पीछे बूढ़ी औरत थी और मैं उसको जगह देने के लिए आगे बढ़ा हूं तो उसने कुछ नहीं कहा और फिर चुपचाप मुंह आगे करके खड़ी हो गयी.
वैसे भी मैट्रो में भीड़ इतनी ज्यादा थी कि दूर दूर खड़ा रहना मुमकिन नहीं था।
कुछ ही देर में लंड में हरकत होनी शुरू हो गयी. लंड पूरा तन चुका था और उसमें लग रहे झटके अब उसकी गांड पर भी चोट कर रहे थे.
उसके कपड़े इतने टाइट थे कि उसके शरीर पर होने वाली कोई भी हरकत वो आसानी से महसूस कर सकती थी. ऊपर से हम दोनों के बदन इतने सट गये थे कि मेरे शरीर में होने वाली कोई भी हलचल उसको साफ पता चल सकती थी.
हमारे शरीर चिपके होने की वजह से मैं अपनी गर्म सांसें उसकी गर्दन पर छोड़ने लगा।
महिलाओं को उत्तेजित करने का यह सबसे सरल तरीका है।
थोड़ी ही देर में उसके ऊपर नीचे होते बूब्स मुझे दिखे.
उसके बूब्स को देखकर मुझे अहसास हो गया कि उसकी सांसें भी तेज तेज चलने लगी हैं।
मतलब कि मेरी तरकीब काम कर रही थी।
इससे मुझमें थोड़ी और हिम्मत आ गयी और मैंने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी गांड पर रख दिया और धीरे धीरे सहलाने लगा।
उसने थोड़ा सा पलट कर मेरी तरफ देखा लेकिन कुछ कहा नहीं। शायद दिनभर काम की वजह से थकान होने के कारण उसे मेरे सहलाने से आराम मिल रहा था।
थोड़ी और हिम्मत करके मैंने उसकी गांड को हल्का सा दबा दिया तो बदले में उसने भी हल्का सा मुस्कराकर जवाब दे दिया।
अब तो मेरी हिम्मत और भी बढ़ गयी क्योंकि मुझे उसकी रजामंदी मिल गयी थी।
अब मेरा हाथ खुलकर उसकी मुलायम गांड पर चल रहा था। ऊपर से मेरी गर्म सांसें अपना काम कर रही थीं।
थोड़ी ही देर में उसके मुँह से हल्की हल्की सिसकारी निकलनी शुरू हो गईं।
मैंने अपना मुँह उसके कान के पास लाकर हल्की सी गर्म सांस छोड़ते हुए उससे उसका नाम पूछा।
उसके शरीर में तो मानो कोई लहर सी दौड़ गई हो.
फिर उसने दबी आवाज में अपना नाम नौशीन (बदला हुआ नाम) बताया।
नीचे मेरा हाथ लगातार उसकी गांड पर चल रहा था.
बीच बीच में कभी कभी हाथ आगे ले जाकर मैं उसकी ऑफिस वाली पैंट के उपर से ही उसकी चूत को हल्का सा दबा देता था.
उसके मुख से हल्की सी आह निकल जाती थी.
थोड़ी ही देर में नौशीन गर्म हो गई क्योंकि ए.सी. में खड़े होने के बावजूद भी मैं उसकी गर्दन पर पसीना महसूस कर सकता था।
ठंडी हवा के लिए नौशीन ने अपनी शर्ट के ऊपर का एक बटन खोल दिया जिसमें से अब मुझे नौशीन का क्लीवेज दिखने लगा।
मैंने धीरे से हाथ नीचे ले जाकर लंड को उसके चूतड़ों की दरार में फंसा दिया.
फिर अपने हाथ को आगे नौशीन के पेट पर लाकर उसे हल्का सा पीछे खींचकर उसके शरीर को मेरे शरीर से बिल्कुल चिपका लिया।
मैट्रो में भीड़ होने के कारण लोगों का ध्यान हम पर नहीं था.
इसी बात का फायदा उठाते हुए मैंने अपना दूसरा हाथ नीचे ले जाकर उसकी पैंट का बटन खोलकर अंदर सरका दिया। मैं अब पैटीं के ऊपर से ही नौशीन की गीली हो चुकी चूत को महसूस कर सकता था।
थोड़ी देर ऊपर से ही सहलाने के बाद मैंने अपना हाथ उसकी पैंटी के अंदर घुसा दिया।
यह पहली बार था जब मेरा हाथ किसी की नंगी चूत पर लगा हो।
चूत को स्पर्श करते ही मेरी धड़कन तेज हो गई थी. वहीं नौशीन के मुँह से आह्ह की सिसकारी निकलते निकलते रह जाती थी.
अब मैं आगे से नौशीन की चूत को सहला रहा था और पीछे से मेरा लंड नौशीन की गांड की दरार में फंसा पडा़ था।
जैसे ही मैट्रो अगले स्टेशन पर पहुँची, लोगों की उतरने और चढ़ने के लिए धक्का मुक्की शुरू हो गई।
मैंने भी इस धक्का मुक्की का फायदा उठाते हुए अपनी एक उंगली को नौशीन की चूत के अंदर कर दिया।
नौशीन आह्ह की आवाज़ के साथ चिहुँक गई लेकिन ये सिसकारी लोगों के शोर में दब कर रह गई।
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैंने अपनी उंगली किसी धधकती हुई भट्टी में दे दी हो।
कुछ देर तक ऐसा ही चलता रहा।
मैं नौशीन को अपनी उंगली से ही चोदता रहा। कभी उसकी चूत के दाने को रगड़ता तो कभी उंगली चूत के अंदर घुसा देता।
बीच बीच में भीड़ का फायदा उठाते हुए मैं उसके बूब्स दबा देता। वह बस अपनी आँखें बंद करके मजे लूट रही थी।
थोड़े ही समय में नौशीन अपने चरम पर पहुँच गई।
फिर अचानक से उसका शरीर अकड़ा और एकदम से उसका पूरा बदन ढीला पड़ता आ गया. उसके शरीर का सारा भार मेरे शरीर पर आ गया था।
कुछ पल बाद जब वह अपने होश में आई तो मुझसे थोड़ा अलग हुई और अपनी पैंट को बंद किया।
उसकी चूत रस से मेरा पूरा हाथ भीग गया जिसे मैंने अपने रूमाल से साफ कर दिया।
मैंने हाथ को अपनी नाक के पास लाकर सूँघा तो उसमें से नौशीन की चूत की भीनी भीनी खुशबू आ रही थी।
अपनी पैंट को बंद करने के बाद अब वह मेरी ओर चेहरा करके खड़ी हो गई।
उसका बदन मुझ से बिल्कुल चिपका हुआ था। मेरी छाती से दबे हुए उसके बूब्स मेरे लंड में नई उत्तेजना भर रहे थे। मेरा 6.5 इंच लंबा लंड तनकर बिल्कुल फटने को हो रहा था।
नौशीन अपना एक हाथ नीचे ले जाकर पैंट के ऊपर से ही मेरा लंड सहलाने लगी। उसने पैंट के उपर से ही अपने हाथ से मेरे लंड का नाप लिया। मेरा लंड उसकी हर हरकत का जवाब झटके से दे रहा था.
मैंने धीरे से उसके कान के पास आकर पूछा कि कैसा लगा तो उसने मुस्कराहट के साथ मेरा लंड दबाकर अपना जवाब दे दिया कि उसे मेरा साईज पसंद आया।
उसने आसपास देखकर कि हमें देखने वाला कोई नहीं है, उसने मेरी पैंट की चेन खोल ली और हाथ अंदर देकर लंड को अंडरवियर के ऊपर से ही पकड़ लिया.
आह्ह … दोस्तो, मेरी तो आंखें बंद हो गयीं.
नौशीन के नर्म हाथ में मेरा गर्म लंड गया तो मैं आनंद से भर गया.
फिर उसने मेरे अंडरवियर में हाथ दे दिया और लंड की त्वचा को अपने हाथ से आगे पीछे करने लगी. मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था.
वो धीरे धीरे अपने हाथों को आगे पीछे करके मुझे अपने चरम तक पहुंचाने लगी।
बीच बीच में वो मेरे लंड को दबा देती थी जिससे मेरे मुँह से आह्ह … निकल जाती थी।
इस सब क्रिया के दैरान हम दोनों सिर्फ एक दूसरे की आँखों में ही देख रहे थे। मुझे पहली बार अपने चरमसुख पर पहुंचने में इतना मजा आ रहा था।
जैसे ही मैं झड़ने को हुआ तो उसको मेरे बदन की हरकत पता चल गयी और उसने मेरे लंड को छोड़ दिया.
उसका हाथ हटते हुए मेरे लंड पर एक आखिरी रगड़ दे गया और उसी रगड़ के साथ मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी फूट पड़ी. वीर्य की पिचकारियां मेरे अंडरवियर में लगने लगीं.
मेरे बदन में हल्के झटके लगते रहे और इस ट्रेन में सेक्स के परमानंद में मेरी आंखें बंद हो गयीं. पूरा स्खलन होने के बाद ही मुझे थोड़ा होश आया. नौशीन का हाथ बाहर आ गया था और मेरे चेहरे पर एक संतुष्टि फैल गयी थी.
मगर अंदर पैंट में मेरे अंडरवियर के अंदर मेरा वीर्य भी फैल गया था जिससे मुझे अपनी जांघों पर गीला गीला लग रहा था. मुझे डर था कि कहीं वीर्य का दाग बाहर पैंट पर न आ निकले.
मेरे अंडरवियर का कपड़ा मोटा था इसलिए गीलापन अंदर ही रह गया. नौशीन के हाथ भी गंदे होने से बच गये. अब हम दोनों के चेहरे पर एक सुकून था.
अपनी सांसों को नियंत्रित करने के बाद मुझे होश आया कि मैं अपने गंतव्य स्टेशन से आगे आ गया हूँ।
नौशीन का अगला ही स्टेशन था तो मैं भी उसके साथ ही उसके स्टेशन पर उतर गया।
उतरने के बाद वो मेरे आगे आगे चल रही थी और मैं उसके पीछे पीछे।
स्टेशन के बाहर एकांत स्थान देखकर हम दोनों रुक गए।
वो भी मिलन चाहती थी और मैं भी.
फिर हमने एक बार मेट्रो की लिफ्ट में जाने की सोची.
हम दोबारा से मेट्रो की ओर आये और लिफ्ट में घुस गये. दरवाजा बंद होते ही दोनों एक दूसरे के होंठों पर टूट पड़े.
समय ज्यादा नहीं मिला लेकिन इसी में हमने जितना हो सका एक दूसरे के होंठों को चूमा.
फिर उसने मेरा फोन नंबर लिया और जल्द ही मिलने का वादा करके अपने घर की ओर चली गई।
मैं भी मैट्रो पकड़ कर अपने रूम पर आ गया।
मेरा एक बार स्खलन हो गया था. मगर पहली बार ट्रेन में सेक्स का अधूरा मजा, चूत का स्पर्श पाने का जोश इतना ज्यादा था कि मैंने दस मिनट में लगातार दो बार मुठ मार दी.
जब मेरे लंड में दर्द होने लगा तो मैंने उस पर रहम किया और उसको छोड़ दिया. फिर मैं उसके फोन का इंतजार करता रहा. हम दोनों के बीच में आगे क्या क्या हुआ वो मैं आपको अपनी अगली स्टोरी में बताऊंगा.
इस कहानी पर आपकी क्या राय है मुझे इसके बारे में जरूर बतायें. अभी उस सेक्सी ऑफिस गर्ल की चुदाई भी बाकी है. उसकी चुदाई की कहानी मैं आपके लिए जल्दी ही लाऊंगा.
आगे कहानी में बहुत कुछ होने वाला है. इसलिए आप अपनी राय मुझ तक पहुंचाना न भूलें. आपके मैसेज और ईमेल्स का इंतजार रहेगा मुझे. आपको कहानी कैसी लगी कृपया ईमेल करके जरूर बताएँ।
ravindersheoran0106@gmail.com