लेखक – सीमा सिंह
आगे की कहानी
वरुण ने दासी के होंठों को अपने होंठों में ले लिया और उसके मुँह में कभी अपनी जीभ डाल देता, तो कभी वो वरुण के मुँह में अपनी जीभ डाल देती।
इस समय सबसे ज्यादा मज़ा दासी को आ रहा था, क्योंकि उसकी गांड और चूत दोनों जगह से मज़ा मिल रहा था।
अब जोर से दासी की चूत ने धार छोड़ी और उसका जिस्म कांपता हुआ थरथराता हुआ एक जगह पर रुक ही गया।
वरुण ने अपना लंड थोड़ा सा हिलाया तो दासी की चूत से पिघलता लावा उसके लंड पर गिरने लगा, जुबेर को भी एहसास हो गया था तो वो भी रुक गया।
दासी का झड़ना ख़त्म हुआ तो जुबेर ने वरुण को इशारा किया, और उसने दासी को ढीला छोड़ दिया, अब उन्होंने दासी को घूमने के लिए कहा।
तो दासी झट से घूम गई, दासी उनकी बात समझने लगी थी और उनसे आज एक साथ चुदकर खूब मज़े लेना चाहती थी।
अबकी बार दासी की गांड वरुण के लंड के सामने थी और वो उसकी गांड में लंड डालने लगा, उसका लंड कुछ ही देर में उसके अन्दर तक पहुँच गया।
और आगे से जुबेर ने दासी की चूत में अपना लंड डाला और उसने झटके लगाने शुरू कर दिए, अब फिर वो दोनों एक साथ झटके लगाने लगे।
अबकी बार वो बिना रुके झटके लगा रहे थे क्योंकि अबकी बार उन्होंने सोच लिया था कि अपना अपना लंड रस इसकी चू्त और गांड़ के अन्दर छोड़ कर ही झटके बंद करने हैं।
उन दोनों का करीब एक साथ ही लावा फूटा और उन दोनों की सिसकारियों के बीच शायद पता भी न लगा हो किसका पहले है या किसका बाद में छूटा परन्तु जो भी था मजेदार था।
दासी ने उन दोनों का पूरा साथ दिया और बहुत जोर-जोर से सिसकारते हुए दासी उनके झड़ रहे लंडो के बीच चीख कर बोली उई आह आह उई उई।
चोद ली जीए मेरी जवानी अपने लंडों से, आईईईईई आईईईर्र सिस स्ससस्स उँह उई आह आह सी सी उम्म्ह अहह हय याह चुद गई उई उइउइ सीसी।
ऐसे ही उन दोनों की धारें उसकी चूत और गांड के अन्दर ही बह गईं, उन्होंने तब तक दासी को नहीं छोड़ा जब तक उनके लंडों का एक-एक कतरा उसमें से नहीं निकल गया।
जो माल बाकी बचा था वो बाद में दासी ने उनके लंड चूस – चूस कर साफ कर दिया,
दोनों ने दासी से बोला कि हमें तुम्हारी चूत और गांड मार कर आज बहुत मज़ा आया, दासी ने कहा मुझे भी आप दोनों से चूत और गांड मरवा कर बहुत अच्छा लगा।
फिर कुछ देर बाद वह तीनों नींद की आगोश में चले गए,
उधर दूसरे राज्य में जैसे ही महाराज संतोष का खत राजा जसवंत को मिला तो वह तुरंत अपनी पत्नी के साथ दूसरे राज्य की ओर प्रस्थान कर गए।
और कुछ ही दिनों में वह राजा कैलाश के राज्य में पहुंच गए जब सबको पता चला की राजा जसवंत उनसे मिलने आए हैं।
वह सब लोग तुरंत उनके स्वागत में लग गए भव्य रूप से राजा जसवंत का और उनकी रानी का अधर पूर्वक सम्मान किया गया।
बड़ी रानी शकुंतला ने स्वयं उनके रहने खाने के हर किस्म के आराम की व्यवस्था को किया, राजा जसवंत और रानी उनके स्वागत से बहुत प्रसन्न थे।
रात्रि भोज के बाद बड़े महाराज संतोष और बड़ी रानी शकुंतला, राजा जसवंत और उनकी पत्नी को अपने साथ ले गए।
इस वक्त कक्ष में वह चारों ही मौजूद थे, तो संतोष ने जसवंत से कहा कि हम दोनों राजकुमारों से तुम्हारी पुत्री
सीमा का विवाह कराएंगे।
यह सुनकर राजा जसवंत और उसकी रानी काफी क्रोधित हुए पर महाराज संतोष और बड़ी रानी शकुंतला ने उन दोनों को समझाया।
कि वह क्यों दोनों राजकुमारों की शादी उसकी बेटी से कर रही हैं जब राजा जसवंत और रानी ने सारी बात सुनी तो वह समझ गए।
यह सब करना उनकी मजबूरी है इसीलिए वह दोनों भी इस बात के लिए राजी हो गए, राजा जसवंत की रानी ने बोला कि मुझे कुछ और भी चाहिए आपसे।
और उसने बताया कि मेरी पुत्री का पुत्र ही राजा की गद्दी पर बैठेगा, और मेरी पुत्री के साथ हर पल उसकी एक प्रिया सखी जो उसकी दासी है।
वह उसके साथ रहेगी तो महाराज संतोष ने उनकी हर शर्त को मान लिया, और महाराज ने 15 दिन के पश्चात उनकी शादी की घोषणा कर दी।
इसके बाद वह सब अपने अपने कक्ष में चले गए, शादी की घोषणा दोनों राज्यों में सबको बता दी गई और सब इसकी तैयारी में लग गए।
राजा जसवंत ने अपनी पुत्री को भी यही पर बुला लिया, धीरे-धीरे करके 15 दिन निकल गए इस बीच जुबेर और वरुण ने दासी को कई बार चोदा।
उन्होंने राजकुमारी सीमा को अभी तक नहीं देखा था क्योंकि राजा जसवंत की रानी नहीं चाहती थी की शादी से पहले वह तीनों एक दूसरे को देखें।
पूरे रीति रिवाज के साथ उन तीनों की शादी हो गई, क्योंकि इस समय कालरात्रि का समय चल रहा था तो 3 दिन तक सुहागरात का कोई मुहूर्त नहीं था।
शादी में आए हुए सभी मेहमान धीरे-धीरे वापस जाने लगे, राजा जसवंत की रानी ने बड़ी रानी शकुंतला से कहा मैं आपसे एक बात कहना चाहती हूं
आप मेरी पुत्री की सुहागरात एक साथ दोनों राजकुमारों के साथ ना करें एक-एक दिन उन दोनों के साथ सुहागरात मनवईएगा, तो मैं आपकी बहुत आभारी रहूंगी।
तो बड़ी रानी ने उसे आश्वासन दिया कि अगर तुम ऐसा चाहती हो तो हम तुम्हें निराश नहीं करेंगे हम ऐसा ही करेंगे।
उसके जाने के बाद बड़ी रानी शकुंतला ने दोनों राजकुमार को अपने कक्ष में बुलाया और उन्हें सारी बात समझ आई, दोनों राजकुमारों ने उनकी आज्ञा का पालन किया।
राजकुमार जुबेर अपनी कक्ष कि ओर जाने लगे, वहां उनका इंतजार उनकी पत्नी सीमा कर रही थी और राजकुमार बरुण दूसरी कक्ष में पुरानी दासी के साथ चले गए।
जब राजकुमार जुबेर कक्ष में पहुंचे तू रानी सीमा उनका वही इंतजार कर रही थी राजकुमार जुबेर के आते ही उन्होंने उस के पैर छूकर अपना पत्नी धर्म निभाया।
वह काफी ज्यादा घबराई हुई लग रही थी इसलिए जुबेर ने कहा, क्या मैं आपको आलिंगन(गले) कर सकता हूँ?
सीमा ने झिझकते हुए हां कहा ।
जुबेर ने सीमा से कहा कि आप हमारी धर्म पत्नी हो, तो आप अपने अंदर की झिझक को बाहर निकाल दो और खुल कर जीवन का मजा लो।
फिर सीमा ने जुबेर की तरफ देखते हुए एक लंबी सांस भरी, और उसकी ओर देखने लगी, जुबेर ने भी एक कदम बढ़ाते हुए उसे गले से लगा लिया।
और अपने हाथ को साड़ी के ऊपर से उसकी कमर पर रख दिया, थोड़ी देर ऐसे ही खड़े रहने के बाद जुबेर ने धीरे धीरे अपनी गर्दन को नीचे करते हुए सीमा की गर्दन तक लेकर आया और गले को चूम लिया।
फिर उसकी कमर को धीरे धीरे सहलाने लगा, जुबेर का इतना करना ही हुआ था कि उसकी सांसें तेज़ तेज चलने लगीं और उन्होंने उसे कसके अपनी बांहों में जकड़ लिया।
सीमा की तेज़ सांसें भी जुबेर भी अपने गले के आसपास महसूस कर रहा था, उसकी कमर सहलाते हुए उसने धीरे धीरे अपना एक हाथ उसकी साड़ी को सरकाकर के अन्दर ले जाकर उसकी कमर पर रख दिया।
जुबेर के हाथ के स्पर्श से उसके शरीर में एक तरंग सी मेहसूस हुई और वो चौंक कर उससे और लिपट गई, जुबेर ने भी मौके का फायदा उठाकर दोनों हाथ सीमा की साड़ी को खिसका कर के हाथ को अन्दर करके उसकी कमर और पीठ को सहलाने लगा।
अपनी कमर और पीठ पर जुबेर के हाथ का स्पर्श पाकर सीमा और बेचैन सी होने लगी और उससे कसके और जोर से लिपट गई।
अब जुबेर ने अपना चेहरा सीमा के गले से हटा कर उसके कान के पास लाकर उसके कान के लौ को चूमने लगा, उसके दोनों हाथ उसकी पीठ और कमर पर अभी भी अपना काम कर रहे थे।
जिसमें उसके बिलाऊज थोड़ी रुकावट पैदा कर रहा था, फिर भी उसके हाथ लगे रहे, धीरे धीरे सीमा की सांसें वासना भरी सिसकारियों में बदलने लगी उउउउ ह्ह्ह आआ आह्ह् ह्ह्ह्ह आआ आआ।
जुबेर कभी गले पर, तो कभी गाल पर तो कभी कान की लौ पर चूमने लगा, अभी तक उन्होंने अपना चेहरा उसके कंधे के पास ही रखा था और वो उसकी सिसकारियां आराम से सुन पा रहा था।
उसकी मादक सिसकारियां बता रही थीं कि जुबेर की प्यारी हरकतें उसे अच्छी लग रही थी, अब वो चाहता था कि सीमा खुद अपना चेहरा सामने लाएं।
ताकि जुबेर सीमा के होठों को चूम सकें, इसलिए उसने अपनी हरकतें बंद कर दीं और अपना चेहरा सीधा करके रुक गया।
कुछ पल तक जब उसने कोई हरकत नहीं की, तब सीमा ने अपना चेहरा उसके सामने लाकर उसे देखने लगी, तो जुबेर ने बिना विलंब किए अपने होंठ उसके गुलाबी होंठों पर रख दिए।
पहले तो वो अपने होंठ खोल ही नहीं रही थी, पर थोड़ी कोशिश करने के बाद उसने अपने होंठ खोल दिये और उसका साथ देने लगी।
उन दोनों का चुम्बन आगे बड़ गया और उनके मुंह खुलकर Hindi Sex Kahaniya कब उन दोनों की जीभें एक दूसरे के मुँह में आने जाने लगीं, पता ही नहीं चला।
कुछ देर के चुम्बन और जीभो के मिलन के बाद वो दोनों एक दूसरे से अलग हुए, अब सीमा उससे नज़र मिलाने में भी शरमा रही थी।
जुबेर ने उसे कमर से पकड़ कर पलंग पर लिटा दिया और उसके ऊपर आकर उसे फिर से चुम्बन करने लगा, उसने इस बात का भी ध्यान रखा कि उसके शरीर का वजन उस पर न पड़े।
इसलिए जुबेर ने अपना ज्यादातर वजन अपने कुहनियों पर ही रखा और उसे चुम्बन करता रहा, अब वो भी खुल कर अपने पति का साथ दे रही थी।
पर सीमा की आंखें अभी भी स्त्री लज़्ज़ावश बंद थी, जुबेर ने इसी बात का फायदा उठाकर अपने एक हाथ से सीमा की साड़ी को शरीर के ऊपर के भाग से पूरी हटा दी।
सीमा ने लाल रंग की बिलाउज को पहना था, जो उसके गोरे बदन पर एकदम जंच रही थी, उस नाशुक्री बिलाउज ने सीमा के स्तनों पर अपना कब्जा जमाया हुआ था।
एहसास तो उसको भी हो गया था, पर उसने कोई विरोध नहीं किया, तो जुबेर ने भी अपना एक हाथ उसके उभरे वक्ष पर रख दिया।
उसके वक्ष पर हाथ रखते ही जुबेर ने चुम्बन करना बंद कर दिया और अपना चेहरा ठीक सीमा के चेहरे के सामने करके रुक गया।
थोड़ी देर तक जब जुबेर ने कोई हरकत नहीं की, तो उसने अपनी आंखें खोली, उसके चेहरा ठीक अपने चेहरे के सामने पाकर उसने तुरंत ही फिर से आंखों को बंद कर लिया।
कुछ पल बाद सीमा ने फिर से आंखें खोल कर जुबेर की तरफ ऐसे देखा, जैसे पूछ रही हों कि क्या हुआ स्वामी, आप रुक क्यों गए हो ?
उसका चेहरा देख कर जुबेर को हंसी आ गयी और उसकी हंसी देख कर उसे भी हंसी आ गयी, जुबेर फिर से शुरू हो गया।
अब जुबेर के होंठ सीमा के होंठों के साथ उलझे हुए थे और उसका हाथ उनके स्तनों(वक्ष) पर था, लगभग कुछ समय तक दोनों वैसे ही लगे रहे।
अब जुबेर ने आगे करने की सोचा, तो उसने अपना एक हाथ उसकी कमर के नीचे ले जाकर उसके बिलाऊज की डोरी को खोलने की कोशिश करने लगा।
सीमा ने भी अपनी पीठ ऊपर उठाकर उसका सहयोग किया, जिससे जुबेर का काम थोड़ा आसान हो गया और उसने उनकी बिलाऊज की डोरी खोल दि।
फिर जुबेर ने सीमा को उसके हाथ पकड़ कर बैठा दिया और अपने दोनों पैर उनकी कमर के दोनों तरफ करके बैठ गया।
सीमा के होंठ ठीक जुबेर के होंठों के पास पाकर, उसने फिर से उसे चुम्बन करने लगा और सीमा भी अपने दोनों हाथ जुबेर की पीठ और बालों में फिराने लगी।
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