देसी गांड चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैं मामी के घर में सो रहा था तो मेरी नींद खुली. मामी का हाथ मेरे कच्छे में था और मेरे लंड से खेल रही थी. उसके बाद …
दोस्तो, मेरा नाम अक्षय है. मैं मेरठ का रहने वाला हूँ. मेरी हाइट 6 फीट 4 इंच है. मेरा हथियार 7 इंच का है. मेरी उम्र 32 साल की है.
ये देसी गांड चुदाई कहानी जब की है, जब मैं 19 साल का था. उस समय मैं बहुत ही शर्मीला लड़का था. मैंने तब तक किसी लड़की से बात भी नहीं की थी.
ये कहानी मेरी और मेरी मामी सिमरन (नाम बदला हुआ) के बीच हुई चुदाई की कहानी है.
मेरी मामी एक घरेलू कामकाजी महिला हैं. सिमरन मामी की हाइट 5 फीट से भी कम है पर उनका शरीर बड़ा गदराया हुआ है, मतलब चुचियां और चूतड़ खूब उठे हुए हैं.
पहले मैंने कभी उनके बारे में ग़लत नहीं सोचा था. एक बार वो हमारे घर आईं. कुछ देर रुकने के बाद मामी हम लोगों से मिलकर जब जाने लगीं, तो मेरी मम्मी ने उन्हें रोका.
मगर मामी को आए हुए काफ़ी देर हो गई थी और उनका वापस जाना ज़रूरी था.
मम्मी ने ओके कह दिया और जब वो जाने लगीं, तो मेरी मम्मी ने मुझसे बोला कि मैं उन्हें उनके घर छोड़ आऊं.
मैंने अपनी बाइक निकाली और उन्हें अपनी बाइक पर बिठाकर चल दिया.
आज मामी बाइक पर मुझसे कुछ ज़्यादा ही चिपक कर बैठी थीं. मुझे लगा उन्हें ठंड लग रही होगी क्योंकि शाम का समय हो चुका था.
कुछ दूर जाने के बाद उन्होंने कहा- मुझे टॉयलेट लगी है.
मैंने साइड में बाइक रोक दी.
अंधेरा होने के कारण वो थोड़ी दूर जाकर टॉयलेट करने के लिए रुक गईं.
उन्होंने साड़ी पहनी हुई थी. अंधेरा होने की वजह से उन्हें लगा कि कोई देख नहीं पाएगा और वो पास में ही टॉयलेट करने बैठ गईं.
उनकी पीठ मेरी तरफ थी. पर जैसे ही वो साड़ी उठाकर टॉयलेट करने के लिए बैठीं कि एक गाड़ी वहां से गुज़री और उसकी लाइट मामी की गांड पर पड़ी.
उस गाड़ी की लाइट में मामी की मोटी मुलायम और दूध जैसी सफेद गांड मुझे साफ दिखाई दे गयी.
मामी की गांड देखते ही मुझे बहुत ही मस्त सा महसूस हुआ और मेरा लंड कड़क हो गया.
ये सब बात मामी को पता नहीं चली.
थोड़ी देर बाद वो टॉयलेट करके आ गईं और हम दोनों उनके घर की तरफ चल पड़े.
इस बार मामी का हाथ मुझे अपने कंधे पर कुछ हरकत करता हुआ सा महसूस हुआ पर मैं कुछ बोला नहीं.
मुझे लगा ऐसे ही नॉर्मल होगा. कुछ दूर आगे जाकर रास्ते में कच्चा रास्ता था और बीच में बालू पड़ी हुई थी, जिस पर सामान्य गति से गुजरने के कारण मेरी बाइक का संतुलन बिगड़ गया और हम लोग गिर गए.
बालू में बाइक की स्पीड कम हो गई थी और हम दोनों ही बालू में ही गिर गए थे, इस कारण हम दोनों को ही ज़्यादा चोट नहीं लगी.
मगर मामी को लगा कि उनकी हरकत के कारण बाइक गिर पड़ी है तो वो बार बार सॉरी बोल रही थीं.
मामी बोलीं- सॉरी अक्की … मैं ही ठीक से नहीं बैठ पा रही थी इसलिए हम गिर गए.
मैं बोला- इसमें आपकी कोई ग़लती नहीं है … बालू की वजह से ऐसा हुआ.
खैर … थोड़ी देर बाद हम दोनों घर पहुंच गए. वहां पर मामा जी और उनकी बेटी हमारा इंतज़ार कर रहे थे.
घर पहुंचते ही मामी ने मुझे हल्दी और बादाम का दूध दिया.
फिर मैं मामा के साथ टीवी देखने लगा. हम लोग इधर उधर की बातें कर रहे थे.
कुछ देर में ही मामी ने खाना तैयार कर दिया और आवाज लगा दी.
हम सबने खाना खा लिया.
खाने के बाद मामी ने मेरे सोने के लिए बिस्तर लगा दिया. हम सब एक ही कमरे में सो रहे थे.
बेड पर मामी और उनकी बेटी लेटी थी. उनके पास में एक चारपाई पर मैं … और दूसरी पर मामा जी थे.
मेरी चारपाई मामी के बेड के पास थी.
कुछ देर तक हम ऐसे ही बातें करते रहे. फिर मुझे नींद आ गई.
आधी रात के समय मुझे अपने लोवर में कुछ हरकत सी होती महसूस हुई. मेरी आंख खुल गयी. मैंने देखा कि एक हाथ मेरे अंडरवियर के अन्दर है और मेरे लंड से खेल रहा है.
मैंने उठने की कोशिश की, पर दूसरे हाथ ने मेरा सर दबाकर मुझे वापस लेटा दिया और अपना मुँह मेरे कान के पास लाकर कहा- ऐसे ही लेटे रहो.
वो आवाज़ मामी की थी.
मैं वापस लेट गया.
अब मामी मेरे लंड के साथ अपने हाथों से खेल रही थीं. मुझे भी ये सब मादक लग रहा था. पहली बार कोई महिला का कोमल हाथ मेरे लंड को छू रहा था.
थोड़ी देर बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया और मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आया.
कुछ देर बाद मैं सो गया.
सुबह जब मैं जागा, तो मामी मेरे लिए चाय लेकर आई थीं.
मामी ने मुस्काराकर धीरे से कहा कि तुम अपने मामा के साथ खेत में मत जाना.
मैंने हां में सिर हिला दिया.
मामा जी जब खेत पर जाने लगे, तो मुझसे बोले- चलो अक्षय खेतों में घूमने चलते हैं.
मैंने कहा- नहीं मामा जी … कल बाइक से गिरने के कारण शरीर दुख रहा है, इसलिए अभी थोड़ा आराम करूंगा.
ये सुनकर वो बोले- ठीक है, तुम आराम करो … और अभी घर मत निकल जाना. मैं खेत का काम खत्म करके 3 बजे तक आ जाऊंगा.
मामा जी चले गए. मामी की बेटी भी तैयार होकर स्कूल चली गयी.
उसके स्कूल जाते ही मामी मेरे रूम में आईं और मुझे किस करने लगीं.
मैंने मामी को रोक दिया- ये ग़लत है.
मामी थोड़ा इमोशनल होकर बोलीं- मैं बहुत तड़प रही हूँ … प्लीज़ मुझे शांत कर दो.
उनका रोने जैसा चेहरा देखकर मैंने हां कर दी … पर मुझे डर लग रहा था.
मैंने कहा- पर मैं इसके बारे में कुछ नहीं जानता हूँ कि ये सब कैसे होता और क्या करते हैं!
मामी बोलीं- वो सब तुम मुझ पर छोड़ दो.
मेरी मामी ने मुझे अपने सामने खड़ा कर लिया और मेरे लोवर को नीचे करके मेरा लंड अपने हाथों में ले लिया.
डर के कारण मेरा लंड मुरझाया हुआ था.
ये देख मामी ने मेरे लंड को पकड़कर उसके ऊपर अपने होंठों को रख दिया और अपनी जीभ से चाटने लगीं.
ये सब करने से मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और धीरे धीरे मेरा लंड सख्त होने लगा था.
अब मामी मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूस रही थीं. मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था.
मगर दो मिनट में ही मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया और मैंने अपना लंड मामी के मुँह से बाहर खींच लिया.
अब मामी मेरी गोद में बैठ गईं और मेरे होंठों को चूसने लगीं. उनके इस तरह से चूसने से एक अजीब आनन्द की अनुभूति हो रही थी.
मामी की मखमली गांड मेरे लंड के ऊपर रगड़ खा रही थी.
मेरे हाथों को मामी ने अपनी चुचियों पर रखवा लिए और दबाने के लिए बोलीं.
मैंने भी मामी की दोनों चुचियों को ज़ोर ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया.
मामी के मुँह से मीठी सिसकारियां निकलने लगीं.
इतनी देर में मेरे लंड में भी तनाव बढ़ने लगा था जिसे मामी ने अपनी गांड पर महसूस कर लिया था.
मेरे लंड को खड़ा होते देख कर मामी मेरी गोद से उठीं और अपनी सलवार का नाड़ा खोलने लगीं.
उनकी वासना से भरी आंखों को देख कर मुझे उनका रूप बदला हुआ सा दिखाई देने लगा था.
मामी की सांसें लगातार तेज़ होती जा रही थीं. उन्होंने जल्दी से सलवार को नीचे किया और बेड पर लेट गईं.
उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और बोलीं- जल्दी आ जाओ और लंड चुत में पेल दो.
मैंने अपना लंड पकड़ा और उनकी चुत पर सैट करने लगा. पर बहुत प्रयास करने के बाद भी मैं अपना लंड उनकी चुत पर सैट नहीं कर पा रहा था.
जब मैं काफ़ी कोशिश के बाद भी मामी की चुत का छेद नहीं ढूंढ पाया, तो मामी न मुझे बेड पर चित लेटने को कहा.
मैं तुरंत बेड पर लेट गया.
मामी उठीं और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं. मुँह से चूसने की वजह से मेरा लंड चिकना हो गया.
अब मामी मेरे ऊपर आकर बैठ गईं. उन्होंने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ा और उसे अपनी चुत के मुँह पर रखकर उस पर बैठ गईं.
मेरे लंड का सुपारा काफ़ी मोटा है, पर मामी जैसी चुदक्कड़ को थोड़ी सी भी परेशानी नहीं हुई. देखते ही देखते मेरा पूरा 7 इंच का लंड उनकी चुत की गहराई में समा गया.
लंड चुत में लेते ही मामी बहुत तेज़ी से मेरे लंड के ऊपर उछलने लगी थीं और अजीब अजीब सी आवाजें निकाल रही थीं.
मैं भी नीचे से लंड को और अन्दर तक घुसाने की कोशिश कर रहा था, पर मुझे कुछ खास मज़ा नहीं आ रहा था.
दस मिनट के बाद मामी झड़ गईं और मेरी छाती पर सर रखकर सांसें भरने लगीं.
वो बोलीं- अक्षय क्या तुम्हें मज़ा नहीं आया?
मैं बोला- मामी सच कहूँ तो मुझे कुछ ज़्यादा मज़ा नहीं आया. मुझे कुछ फील ही नहीं हो रहा था.
वो बोलीं- कोई बात नहीं. मैं तुम्हें दूसरी स्टाइल में करवाती हूँ. उसमें तुम्हें ज़रूर मज़ा आएगा.
ये कहकर वो बेड पर घोड़ी बन गईं और मुझसे बोलीं- आओ और पीछे से लंड डालो. अब तुम्हें थोड़ा टाइट महसूस होगा.
मैं मामी के पीछे जाकर खड़ा हो गया और लंड पेलने की कोशिश करने लगा.
पर मुझसे सही पोज़िशन नहीं बन पा रही थी. शायद मेरी हाइट ज्यादा होने के कारण ऐसा हो रहा था.
ये देखकर मामी ने मुझसे हटने को कहा.
अब वो बेड के बिल्कुल किनारे पर आकर घोड़ी बन गईं और मुझे नीचे खड़ा होकर लंड पेलने की कोशिश करने को कहा.
मैंने पलंग से नीचे खड़े होकर मामी की चुत पर अपना लंड सैट किया.
पर जैसे ही मैंने धक्का दिया, लंड अपनी जगह से हट गया.
ये देखकर मुझे बहुत गुस्सा आया.
अब मैंने अपने लंड पर बहुत सारा थूक लगाया और चुत पर सैट किया.
मामी बोलीं कि पूरी ताक़त के साथ घुसाना.
मैंने भी पूरे जोश में एक धक्का दे मारा. धक्का लगते ही मामी के चीखने की आवाज़ निकली और वो बेड पर आगे को गिर पड़ीं.
मेरा लंड चुत की जगह गांड में घुस गया था. लंड अभी 2 इंच ही घुसा था पर मामी बहुत चीख रही थीं और मुझे हटने को बोल रही थीं.
पर मेरा हटने को बिल्कुल भी मन नहीं कर रहा था क्योंकि मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.
मैंने मामी से कहा- प्लीज़ थोड़ी देर करने दो ना.
वो नहीं मानीं. उन्होंने मुझे धक्का देकर दूर कर दिया और तुरंत सीधी होकर लेट गई.
वो मुझसे कहने लगीं कि ये क्या कर रहा था … मुझे बहुत दर्द हो रहा है.
मामी की गांड फट गई थी.
कुछ देर बाद मामी बोलीं- मैंने आज तक किसी से गांड नहीं मरवाई.
पर मैंने कहा- मामी, मुझे तो वहीं पर मज़ा आ रहा था.
वो बोलीं- डालना है तो चुत में डालो … गांड नहीं मारने दूँगी.
मगर कुछ देर बाद मामी मान गईं.
मैंने लंड पर थूक लगाया और मामी की गांड में लंड ठोक दिया.
मामी दर्द से कराहने और चीखने लगीं मगर मैं लंड पेले पड़ा रहा.
मैं मामी की गांड और अपने लंड के ऊपर थूक गिराता रहा और लंड को धीरे धीरे करके मैंने पूरा लंड अन्दर पेल दिया.
कुछ देर के दर्द के बाद मामी शांत हो गईं और लंड का मजा लेने लगीं.
दस मिनट बाद मैंने अपने लंड का पानी मामी की गांड में ही छोड़ दिया और उनके ऊपर ही ढेर हो गया.
कुछ देर बाद हम दोनों उठे और एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा दिए. बीस मिनट बाद मैंने मामी की चुत और देसी गांड चुदाई फिर से की.
अब इसके बाद मामी मुझसे जब तब चुदवाने के लिए मुझे बुलाती रहती हैं.
आपको मेरी मामी की चुदाई की ये देसी गांड चुदाई कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मेल जरूर करें.
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