हेल्लो दोस्तों मेरा मानशी है. मैं मुम्बई में रहती हूँ। मै 28 साल की जवान की गोरी लड़की हूँ. मेरे को देखकर मेरे दोनों देवर का लंड खड़ा हो जाता है. मेरे को ये बात जब पता चली जब मैं देवर जी को चाय देने गयी थी. मेरे एक देवर का नाम नित्यम और एक का नाम सत्यम है. नित्यम बड़ा है. मेरे दोनों देवर मेरे को चोदना चाहते हैं. मेरे को देखते ही अपना लंड खड़ा कर रहे थे. मै चाय देने को नित्यम के सामने झुकी थी. उसका लंड खड़ा हुआ था।
मै तो देख के ही दंग रह गयी. उसकी उम्र 22 साल के करीब थी और छोटे देवर सत्यम की उम्र अभी 18 साल की ही रही होगी. ससुर जी के लाड प्यार ने ही उन दोनों को बिगाड़ रखा था. मेरे पति हमेशा बाहर ही रहते हैं. उनका बैग का बिज़नेस है. उसी के सिलसिले में हमेशा वो अलग अलग प्रदेश में घुमते फिरते हैं. भरी जवानी में मेरे को छोड़कर चले जाते थे. सत्यम अभी छोटा था.उसका लंड भी अब खड़ा होने लगा है.
वो अभी 11वी क्लास में पढता है. एक नंबर का आवारा लड़का है. वो भी मेरे को देख कर अपना लंड खड़ा कर देता है. जब से मै ससुराल आई हूँ मेरे छोटे देवर सत्यम ने मेरा जीना दुश्वार कर दिया था. मेरे को कही से भी छू लेता है। एक दिन उसने हद ही कर दी. मेरे दोनों मम्मो को हाथो में लेकर खेलने लगा. मैने उसके गाल पर एक चपाट दे मारी। उसके बाद वो मेरे को डरने लगा लेकिन मेरे को नहीं पता था कि एक हवसी चूत का प्यासा मेरा बड़ा देवर भी था. मेरे बड़े वाले देवर नित्यम दूसरे टाइप का था। चोदना तो वो भी मेरे को चाहता था. बड़ा देवर नित्यम मेरे को भी अच्छा लगता था.
पतिदेव के ना होने पर कभी कभी मेरे को भी चुदने का मन करने लगता था. नित्यम मेरे को चोदने की चाहत कभी जाहिर नहीं करता था. मेरे को पता था वो चूत का प्यासा है. उसकी हवसी नजरों को देख कर मैं सब समझ चुकी थी.एक दिन ससुर जी कही चले गए थे. छोटा देवर सत्यम भी अपने स्कूल चला गया था. घर पर मैं और मेरा बड़ा देवर नित्यम दो ही लोग थे. मेरे को उस दिन चुदने का बहोत मन कर रहा था.
मेरी चूत को चोदने का जुगाड़ दो तीन दिन से नहीं हो पाया था. मेरे पति कही कुछ दिन के लिए गए हुए थे. मै भी मन ही मन सोचने लगी क्यों न इसको फंसा लू. मेरे को हर दिन लंड खाने का मौका भी मिल जायेगा. मेरे और नित्यम की उम्र में कुछ खाश फर्क नहीं था. मेरे को उसका लंड पसन्द था. मैंने उसके खड़े लंड को पैजामे में कई बार देखा था. वो मेरे से डर रहा था. मैंने उसे अपने पास बुलाया। नित्यम दौड़ता हुआ मेरे पास आया.
नित्यम: क्या बात है भाभी आपने हमे बुलाया??
मै: हाँ थोड़ा काम था
नित्यम: क्या काम था?
मेरे को बड़े प्यार से देख कर पूछ रहा था
मै: अपनी भाभी को निराश तो नहीं करेगा
नित्यम: नहीं करूंगा। आप बताइये तो सही
मै कुछ देर तक चुपचाप खामोश बैठी थी. मेरे को डर लग रहा था. कही ये सत्यम की तरह नहीं होगा तो मेरा तो सारा प्लान चौपट हो जायेगा. मैंने तेल निकालते हुए नित्यम को दिया.
मै: इसे मेरे शरीर पर मसाज कर दो. बहुत दिन हो गए तुम्हारे भैया ने भी नहीं किया है. मेरा एक एक अंग बहुत ही दर्द कर रहा है.
नित्यम: उसे जैसे बहुत कुछ मिल गया हो. उसने कहा इसमें कौन सी बड़ी बात है.
उसने मेरे कमर पर थोड़ी सी तेल डालकर मालिश कर रहा था. मेरे को बहोत ही अच्छा लग रहा था. मेरे कमर को दबा दबा कर नित्यम भी खूब मजा ले रहे था. मैंने उस दिन साडी ब्लाउज पहना हुआ था. मेरे को उसके हाथ से गुदगुदी हो रही थी. मैंने उससे आराम से करने को कहा.
नित्यम: भाभी आपके साडी में तेल लग रहा है. बाद में मेरे को ना कहना की बताया नहीं
मैं: तो निकाल दो आज मेरे सारे वस्त्र जो तुम्हारे काम में दखलंदाजी डाल रहे हों
इतना सुनते ही नित्यम मेरी साडी को थोड़ा थोड़ा खींचकर मेरे से अलग कर दिया. अब मैं पेटीकोट और ब्लाउज मे लेटी थी. वो मेरे को देखकर बड़े प्यार से मेरे गांड तक हाथ ले जाकर मालिश कर रहा था. ऊपर की तरफ मेरी ब्लाउज में हाथ डालकर मसाज कर रहा था. देवर जी मेरे पैर में तेल लगाकर हाथ चलाने लगे. मै सीधी लेटी थी.
मैने उस दिन पैंटी नहीं पहनी थी. जिससे नित्यम को मेरी चूत देखने में कोई परेशानी ना हो. वो भी मेरा पेटीकोट ऊपर करते करते मेरे चूत को देखने लगा. उसके पैंट का चैन ऊपर उठता ही जा रहा था. वो भी चोदने को बेकरार हो रहा था. अपना हाथ मेरे जांघो पर रख दिया. मैने अपनी आँख बंद कर ली. मै बहोत ही गर्म हो चुकी थी. धीरे धीरे वो मेरे चूत में तक अपना हाथ लगाने लगा.
मैं: देवर जी वहाँ मसाज हाथ से नहीं किसी और चीज से करते हैं
नित्यम: किससे करते है?? कहो तो कर दूं!!
मै: वहाँ पर मसाज तुम्हे अपने औजार से करना पड़ेगा. जो तुमने अपने चैन के अंदर कैद करके रखा है.
नित्यम को जैसे जन्नत मिल गया हो. वो बहोत खुश होने लगा. मैं जल्दी से उठकर उससे चिपक गई.उसके होंठ पर अपना होंठ रख दी। वो मेरे होंठो को चूसने लगा.
मै: तुम्हे तुम्हारे का ये इनाम था. तुमने किस कर लिया अब बराबर हो गया
नित्यम: भाभी इतनी मेहनत का इतना ही इनाम काम है. मेरे को और ज्यादा चाहिए.
मै: तो आकर खुद ले लो.
इतना कह कर मै लेट गयी. नित्यम धीरे धीरे मेरे पैर से लेकर नाभि से होते हुए गले तक किस करने लगा। मेरे ऊपर लेट कर मेरे को किस करने लगा. मेरे होंठ को चूस चूस कर मजा ले रहा था. वो मेरे चूमते हुए किस कर रहा था. नीचे के होंठ को चूस चूस कर खूब फुला दिया. सामने रखे शीशे में मेरे होंठ काला काला दिखने लगा.
इतनी जोरदार की होंठ चुसाई तो आज तक नहीं हुई थी. मेरे को उसने पहले ही बहोत गर्म कर दिया था. अब तो शरीर में शोले भड़क राजे थे. मेरे गले को भी चूस चूस कर मुझे उत्तेजित कर रहा था. मैंने उसे जकड़ते हुए किस करना शुरू कर दिया. हवस की प्यास मै भी किस करके शांत करने की कोशिश कर रही थी. उसका लंड मेरी चूत में ऊपर से ही चुभ रहा था.
मेरी चूत उसके लंड को अंदर लेने को तड़प रही थी. धीरे धीरे अपना हाथ नीचे करके वो मेरे दूध को दबाने लगा. मेरे बूब्स बहुत ही जोर जोर से दबा रहा था.
नित्यम: भाभी आपकी बूब्स कितनी सॉफ्ट सॉफ्ट है
मै: उसमे ढेर सारा दूध भरा है और जब दूध है तो वो मक्खन की तरह सॉफ्ट होगा ही
नित्यम: भाभी मै आपका दूध पीना चाहता हूँ
मै: पी लो मैंने कब मना किया
वो मेरे ब्लाउज की बटन को खोल कर उसे निकाल दिया. मै ब्रा में उसके सामने लेटी थी. पहली बार ससुराल में पति के अलावा भी किसी और के साथ मैं इस तरह लेटी थी. मेरे दोनों बूब्स की हाथ में लेकर दबाने लगा. उसने मेरे एक दूध को ब्रा से बाहर निकाल कर पीने लगा.
निप्पल पर अपना जीभ रगड़ने लगा. कुछ देर बाद उसे निचोड़ कर पीने लगा। मै “उ उ उ उ उ……अ अ अ अ अ आ आ आ आ… सी सी सी सी…. ऊँ— ऊँ… ऊँ….” की आवाज निकाल रही थी. मेरे दोनों निप्पल को काट काट कर मेरे को बहुत ही गर्म कर दिया. मेरे पेटीकोट में हाथ डालकर मेरी चूत मसलने लगा. मैंने उसका हाथ निकालते हुए बैठ गयी. नित्यम खड़ा हो गया.
मैंने उसके बेल्ट को खोलकर उस अंडरबियर में कर दिया. उसका अंडरवियर फूला हुआ था. उसे निकाकते ही उसका काला लंड दिखने लगा. पहली बार मेरे को लगभग 7 इंच लंड का दर्शन करने को मिला था. मेरे पति का लंड 4 इंच का था. मेरे को उससे कुछ खाश मजा नहीं आ पाता था. मैंने उसके लंड को पकड़ कर चूसने लगी. उसका लंड बड़ा ही होता जा रहा था.
मेरे गले तक वो अपना लंड घुसा कर चुसा रहा था. उसने मेरे को लगभग 15 मिनट तक अपना लंड चुसाया. मेरे ब्रा को भी अब उसने खोलकर निकाल दिया. मै भी खड़ी हो गयी. उसने मेरे पेटीकोट के नाड़े को खोलकर मेरे को वस्त्रहीन कर दिया. पैंटी भी मैंने नीचे नहीं पहनी थी. वो नीचे बैठकर मेरी चूत पर अपना मुह लगाकर पीने लगा. मै सुसुक सुसुक कर “……अई… अई…. अई…… अई….इ सस्स्स्स्स्……. उहह्ह्ह्ह….. ओह्ह्ह्हह्ह….” की आवाज निकाल रही थी. मेरे उसकी चूत चटाई ने बहुत ही बेकरार कर दिया. वो अपना दांत मेरी चूत के दाने में गड़ा रहा था.
मै: मेरे देवर राजा अब न तड़पाओ. मेरी चूत का भी मसाज कर दो
नित्यम: कर रहा हूँ
इतना कहकर मेरे को उसने फर्श पर ही लिटा दिया. मेरे टांगो को खोलकर उसने अपना लंड चूत पर रख दिया. मेरी चूत पर उसने अपने लंड को रगड़ना शुरू कर दिया. जोर जोर से रगड़कर उसने मेरी चूत लाल लाल कर दी. 5 मिनट बाद उसने अपना गरमा गरम लंड मेरी चूत के छेद पर रखकर धक्का मारने लगा. उसका लंड एक ही झटके में आधा घुस गया. मै जोर से “ओह्ह माँ….ओह्ह माँ…उ उ उ उ उ……अ अ अ अ अ आ आ आ आ…. मर गई” की चीख निकालने लगी.
झटके पर झटका मार कर अपना पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया. मेरी पूरी चूत उसके लंड से भर गयी. अंदर बाहर अपना लंड करके मेरी चुदाई शुरू कर दी. मेरी चूत में उसका लंड अच्छे सेट हो चुका था. नित्यम अपनी कमर उछाल उछाल कर मेरी चुदाई शुरू कर दी. मेरी दोनो टांगो को पकडे हुए वो मेरे ऊपर लेट कर चुदाई कर रहा था. कुछ देर तक ऐसा करते करते उसने मेरे होंठ को चूमते चूमते चुसाई कर रहा था.
मेरे पति जी ने कभी मेरी इस तरह चुदाई कर पाते थे. उनका छोटा लंड जल्दी जल्दी बाहर निकल आता था. नित्यम का बड़ा लंड मेरी चूत चोदने को फिट बैठ रहा था. नित्यम जोर जोर से कमर उठा उठा कर चोदने लगा. मै “आऊ…..आऊ ….हमममम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी..हा हा हा..” की आवाज के साथ चुदवा रही थी. पूरा कमरा इस आवाज से भर गया. मेरी तो कमर ही टूटी जा रही थी. इतनी जोर की कमरतोड़ चुदाई पहली बार करवा रही थी. मै चिल्ला रही थी. नित्यम धीरे करो नहीं तो मेरी चूत फट जायेगी लेकिन वो मेरी एक न सुना.
कुछ देर में वो शांत हो गया. उसने अपना लंड मेरी चूत में घुसाये ही आराम करने लगा. मैंने उसे अलग करके उसके लंड को खड़ा करके उस पर बैठ कर चुदाई करने लगी। उसका लंड खंभे की तरह टाइट था. मै उछल उछल कर चुदवा रही थी. मेरे को इस तरह से चुदने में और भी ज्यादा मजा आ रहा था.
मेरी चूत में उसका लंड जड़ तक घुस रहा था. मै झड़ने वाली थी इसलिए जोर जोर से “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..” की आवाज निकल कर उछलने लगी. मेरी चूत ने अपना माल निकाल दिया. उसका पूरा लंड मेरी चूत के रस से भीग गया. मेरी चूत को चिकनाई मिलते ही चुदने की स्पीड दुगुनी हो गयी. मै और भी ज्यादा उछल के चुदवाने लगी.
मेरी चूत से ज्यादा देर रगड़ नित्यम का लंड भी बर्दाश्त न कर सका. वो भी झड़ने वाला हो गया. उसने भी अपना कमर उठा उठा कर मेरी चुदाई करने लगा. 2 मिनट बाद उसने भी अपना माल मेरी चूत में ही गिरा दिया. उसके बाद उसने अपना लंड निकाल लिया. मेरी चूत से सारा माल उसके लंड पर गिरने लगा. उसका लंड माल से नहाकर सफेद सफेद जो गया था. मै बैठ कर उसके लंड को मालिश करने लगी. फिर हम लोग बॉथ रूम में नहाए. नित्यम ने वहाँ पर भी मेरी चूत के साथ गांड चुदाई भी की. उसके बाद उस दिन से आज तक हम दोनो मौक़ा पाते ही चुदाई कर लेते हैं.
आपके द्वार प्रकाशित सभी कहानियां बहुत ही रोमांचक होती हैं और उन्हें पढ़ने में भी बहुत मजा आता है। आप इसी तरह नई नई कहानियां परकाशित करते रहिये।
Awesome Aap bahot ache vicharon ki h ,Jeevan aanand leti raho.
मैं आपके ब्लॉग का नियमित आगंतुक हूं और आमतौर पर आपके ब्लॉग पर सभी कहानियां पढ़ता हूं। मुझे आपकी कहानियाँ न केवल दिलचस्प लगती हैं, बल्कि रोमांचकारी भी लगती हैं। जब मैं इस कहानी को पढ़ता हूं, तो मेरी यौन इच्छा भी चमक उठती है। मानसी की तरह मैं भी कुछ ऐसा ही अनुभव करना चाहूंगी