हॉट सिस फक़ स्टोरी मेरी बुआ की बेटी की चुदाई की है. वो हमारे घर कई महीने रही. एक बार सोते हुए मैंने उनके स्तन सहला दिए. उसके बाद क्या हुआ?
नमस्ते दोस्तो, मैं आप सबका अभी चहेता तो नहीं बना हूँ, पर आशा है कि आप मेरी हॉट सिस फक़ स्टोरी पढ़कर जल्द ही अपना चहेता लेखक बना लेंगे.
पहले मैं आपको अपने बारे में बता देता हूं. मेरा नाम है गुड ब्वॉय. इस नाम से आपको समझ आ जाएगा कि मैं कितना गुड हूँ.
मैं रायपुर का रहने वाला हूँ. हमारे घर में मम्मी पापा के साथ मैं और मेरा एक भाई रहते हैं.
यह बात तब की है जब मैं 11वीं कक्षा पास करके 12 वीं में आया था.
उस समय जवानी मेरे अन्दर फूटने लगी थी.
आप जानते ही हैं कि इस उम्र में लंड खड़ा होने लगता है और उसे नंगी लड़कियों को देखने की चाहत बढ़ने लगती है.
नंगी लड़कियां देखने के लिए आज के दौर में इंटरनेट सबसे बढ़िया साधन है और रोज ही फोन में नई नई परियों को नंगी देखना रोज का काम हो जाता है.
यही सब मेरे साथ भी हुआ था.
एक दिन में डेढ़ जीबी डेटा कैसे खत्म हो जाता, कुछ पता ही नहीं चलता था.
उन्हीं दिनों मेरी बुआ की बेटी हमारे घर रह कर पढ़ाई करने आयी थी.
वो देखने में बहुत खूबसूरत लड़की थी. वो ऐसी लगती थी मानो जन्नत की हूर धरती पर उतर आई हो.
चूंकि वह मुझसे उम्र में बड़ी थी तो मैं उसे दीदी कह कर बुलाता था.
मैं उसे प्यार से रानू दी कह कर बुलाता था.
जिस दिन वो मेरे घर आई थी, उस समय मैं सोया हुआ था.
वो मेरे पास आयी और मेरे सिर पर हाथ फेरने लगी.
मेरी नींद खुल गई और मैंने उसे बहुत दिन बाद देखा, पहले तो मैं समझ ही नहीं पाया कि ये कौन है क्योंकि आज काफी दिनों के बाद रानू दी मेरे घर आई थी.
उसकी शारीरिक बनावट भी एकदम से बदल गई थी.
मैंने जैसे ही आंखें खोलीं तो मेरी नजर सबसे पहले उसके मम्मों पर गयी.
वाओ क्या चूचियां थीं … मेरा मन कर रहा था कि अपना मुँह लगा कर अभी के अभी इसके दूध चूस लूं.
लेकिन मैं ठहरा फट्टू, बस सोच सोच कर जीवन गुज़ारने वाला सिड़ी लंड टाइप का लौंडा.
उस वक्त मेरा मन तो कर रहा था कि दीदी को पटक कर चोद दूँ!
पर ये सिर्फ मेरे सपनों में ही हो पाया था.
एक दिन की बात है, जब दीदी नहा रही थी तो मैंने उसे नंगी नहाते हुए देख लिया.
गजब की माल और वो भी एकदम नंगी.
आह … मेरा मन बेकाबू होने लगा और दिल कर रहा था कि अन्दर घुस जाऊं और वहीं बाथरूम में कुछ कर डालूं.
लेकिन वही फटी गांड के चक्कर में लंड मुरझा गया.
मुझे मौका ही नहीं मिल रहा था कि किस तरह से अपना काम आगे बढ़ाऊं.
मैं बस लंड हिलाए जा रहा था और मेरे से कुछ होने वाला भी नहीं था.
एक दिन की बात है, मम्मी पापा घर से दो दिन के लिए बाहर गए हुए थे.
दीदी रात को सोने के लिए मेरे रूम में आ गई क्योंकि उस दिन घर में सिर्फ हम दो ही थे.
भाई भी दूसरे दिन शाम तक आने वाला था.
हम दोनों बात करते करते एक ही बिस्तर पर सो गए.
रात को मेरी नींद खुली तो मैं रानू को देखते रह गया.
दीदी क्या मस्त लग रही थी, पूछो मत.
मैंने सोने का बहाना करते हुए पहले अपने हाथ को उसके पेट के ऊपर रख दिया. फिर धीरे धीरे सहलाने लगा.
रानू दीदी सिर्फ टी-शर्ट और शॉर्ट्स में थी.
मेरा हाथ उसके शरीर को छुए जा रहा था.
धीरे से मैंने अपना हाथ उसकी टी-शर्ट के अन्दर डाल दिया.
उसने ब्रा नहीं पहनी थी.
फिर मैंने धीरे धीरे उसके दोनों बूब को बारी बारी से दबाया और जब उसकी तरफ से कुछ नहीं हुआ तो मैं मस्ती से उसकी चूचियों से खेलने लगा.
कोई पांच मिनट तक मैंने दीदी की दोनों चूचियों को खूब मस्ती से रगड़ा.
वो भी शायद मजे ले रही थी इसलिए कुछ नहीं कह रही थी.
पर कुछ देर बाद अचानक से दीदी उठ गई.
उसने मुझे दूध दबाते हुए देखा, तो वो मुझे डांटने लगी.
दीदी- ये क्या कर रहा है … तुझे ये सब नहीं करना चाहिए, तू बहुत गन्दा है.
मेरी गांड फट कर चौराहे में तब्दील हो गई थी, नसों में खून एकदम से जम सा गया था.
मैंने हाथ बाहर निकाला और घबराते हुए दीदी से बोला- सॉरी दीदी. मैं सपना देख रहा था. मुझे होश ही नहीं था कि मैं क्या कर रहा हूँ.
वो पहले तो कुछ नहीं बोली, फिर एक मिनट बाद बोली- जैसा सारे दिन मोबाइल में देखेगा, वही तो सपने में करेगा.
मैंने समझ गया कि दीदी भी मोबाइल में ब्लू फिल्म देखती है. अब तक मेरी हिम्मत वापस आ गई थी.
मैंने धीरे से कहा- प्लीज दीदी एक बार कर लो न … किसी को पता भी नहीं चलेगा.
वो और ज्यादा गुस्सा हो गयी और बोलने लगी- चुपचाप सो जा, वरना कल मेरे पापा मम्मी को सब बता दूंगी.
मैं डर गया और रोने लगा.
वो बोली- अब रो क्यों रहा है?
मैं बोलने लगा- सॉरी दीदी … प्लीज आप ये सब किसी को मत बताना.
वो भी ‘ठीक है …’ कह कर करवट बदल कर सो गयी.
मैं भी दूरी बना कर सो गया.
फिर मैं सुबह उठा तो रानू दीदी से नजर नहीं मिला पा रहा था.
मुझे अजीब सा लगने लगा था.
मैं अपने आपको बहुत गिरा हुआ महसूस कर रहा था.
मैंने दीदी से लगभग एक महीने तक बात नहीं की, ना ही उससे नजरें मिलाईं.
फिर एक दिन कोशिश करके हिम्मत जुटा कर मैंने दीदी को फिर से सॉरी बोला और कहा- उस दिन वो सब गलती से हो गया था दीदी, मैं अब ऐसा कुछ नहीं करूंगा, प्लीज़ मुझे माफ कर दीजिए.
वो भी बोली- ठीक है.
इस तरह से उसने मुझे माफ कर दिया.
समय निकलता गया.
दीदी पढ़ाई खत्म करके अपने घर चली गई.
करीब एक साल बाद उनकी शादी हो गयी.
हम सब शादी में गए.
शादी में मैंने बहुत मजे किए, हम सब खूब नाचे, खूब मस्ती की.
मैं और दीदी पुरानी बातों को भूल गए थे.
अब सब ठीक चल रहा था.
मैं अभी भी डेढ़ जीबी डेटा का उपयोग करके हिला रहा था.
अभी तक आपने जो पढ़ा, वो थी मेरी इमोशनल कहानी कि कैसे मैं कुछ नहीं कर पाया.
अब हॉट सिस फक़ स्टोरी में ट्विस्ट आ रहा है.
शादी के दो साल बाद मैं दीदी के घर गया था.
वहां सिर्फ रानू दी और जीजा जी रहते थे.
जीजा जी अपने काम की वजह से ज्यादातर बाहर ही रहते हैं.
मैं वहां गया तो दीदी से अच्छे से मिला.
हम दोनों खुश थे.
मैं भी पुरानी बातों को भूल चुका था.
शायद मेरी रानू दीदी को जीजा जी मन माफिक सेक्स नहीं करने को मिल पा रहा था.
क्योंकि जीजा जी तो काम से बाहर रहते थे और वो हफ्ते में सिर्फ एक बार ही संडे को घर आते थे और दीदी की चुदाई करते थे.
मैं दो हफ्ते के लिए दीदी के घर गया था.
उनका घर छोटा था. एक ही कमरे में मैं और दीदी सोते थे.
संडे को दीदी जीजा जी में कुछ नहीं हो पाया.
ये बात जीजा जी को समझ आ गई कि इस बार चुदाई का खेल नहीं हो पाएगा.
वो काम पर वापस चले गए.
फिर दो दिन तो ऐसे ही निकल गए.
तीसरे दिन मैं सो रहा था तो मैंने पाया कि रानू दीदी का हाथ मेरे लंड के ऊपर है और वो उसे मसल रही है.
मैंने अपनी आंख हल्के से खोली तो देखा कि वो एक हाथ से मेरा लंड मसल रही है.
उसने अपना दूसरा हाथ अपनी चूत में डाला हुआ है; वो जोर जोर से सिसकारियां ले रही थी ‘आह आह …’
मैंने भी मौके का फायदा उठाते हुए अपना हाथ उसकी मस्त नारंगियों पर रख दिया और दबाने लगा.
वो एकदम से मेरे ऊपर झपट पड़ी और खुल गई.
अब मेरे होंठ रानू दीदी के होंठों से ऐसे खेल रहे थे, जैसे वो किसी गैर मर्द के साथ खेलने की अभ्यस्त हो.
वो उछल उछल कर मुझे भंभोड़ सी रही थी.
मैंने दीदी के कपड़े उतारने शुरू किए.
पहले उनकी साड़ी उतारी, फिर ब्लाउज. रानू दीदी के मम्मे मेरे सामने उछल उछल कर डांस कर रहे थे.
दूध चूसने के बाद मैंने रानू दीदी की पैंटी भी उतार दी.
अब वो मेरे सामने पूरी नंगी पड़ी हुई थी.
क्या गुलाबी चूत थी दीदी की … पूरी सफाचट चूत मेरे सामने रिस रही थी.
मैंने दीदी की दोनों टांगें फैला दीं और एक अनुभवी गोताखोर की तरह अपनी जीभ को दीदी के चूत में कुदा दी.
दीदी के मुँह से मस्त सी आह की आवाज आई और मेरी जीभ दीदी की चूत में मछली की तरह तैरने लगी.
लगभग 5 मिनट तक दीदी की चूत की नदी में जीभ को तैराने के बाद मैं अलग हो गया.
अब मेरा नाग अपने बिल में जाने को आतुर हो रहा था.
लेकिन पहले नाग ने दूध का रसपान करने के लिए दोनों बूब के बीच में जगह ढूंढ ली और वहीं आगे पीछे होने लगा.
दीदी ने जीभ निकाली तो नाग देवता थोड़ा और आगे बढ़ गए.
अब वो मम्मों से होते हुए सीधे मुँह में चले गए और जोर से फुंकार मारने लगे.
दीदी नाग देवता को अपने मुँह की गर्मी से प्रसन्न करने लगीं.
कुछ ही पलों में नाग देवता प्रसन्न हो गए और उन्होंने दीदी के मुँह में अपना प्रसाद छोड़ दिया.
रानू दीदी नाग देवता के जहर जैसे प्रसाद को भी रसमलाई की तरह चखे जा रही थी.
हम दोनों मस्त हो चुके थे और दीदी बार बार लंड चूस कर सहला कर खड़ा करने में लग गई.
लंड खड़ा हो गया और मैंने उसे डॉगी पोजीशन में आने को कहा.
दीदी फट से कुतिया बन गई.
मैंने अपने लट्ठ को उनके किले में ठेल दिया.
दीदी की आह निकल गई और हम दोनों में चुदाई की कबड्डी होने लगी.
मेरा लौड़ा दीदी की चूत रूपी किले को भेदे जा रहा था.
हॉट सिस फक़ सेशन में दीदी के मुँह से बस एक ही आवाज निकल रही थी ‘कम ऑन भाई और जोर से चोदो …’
मैं भी बुलेट ट्रेन की रफ्तार से लंड चूत में चलाये जा रहा था.
लगभग 10 मिनट तक चोदने बाद मुझे अहसास हुआ कि लंड में जान खत्म होने वाली है.
तो मैंने दीदी से पूछा- रस कहां छोड़ना है जल्दी से बताओ.
दीदी ने जवाब दिया- जहां तेरी अभी बुलेट फंसी है, वहीं रस छोड़ दे.
मैंने चार पांच तेज पिचकारियां दीदी की चूत में मार दीं और उनके ऊपर ही ढह गया.
दीदी की पहली चुदाई हुई तो उस रात हम दोनों में चार बार चुदाई का संग्राम हुआ.
अब आप सोच ही सकते हो कि मैं दीदी के घर दो हफ्ते के लिए रहने गया था और इन दो हफ्तों में मैंने क्या क्या किया होगा.
आपको हॉट सिस फक़ स्टोरी अच्छी लगी होगी. मेल से जरूर बताइएगा.
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