जोरदार चुदाई की कहानी में पढ़ें कि कैसे मैं अपनी चूत में मची सेक्स की खलबली को अपनी भाभी के भाई के लम्बे लंड से शांत करवा रही थी.
प्रिय पाठको, मुझे उम्मीद है कि आपको इस जोरदार चुदाई की कहानी में मजा आ रहा होगा.
अब आगे की जोरदार चुदाई की कहानी:
विजय एक पल के लिए रुका और फिर जब चुदाई शुरू की तो राजधानी एक्सप्रेस की स्पीड भी उसके सामने कम पड़ गई।
सटासट धक्के लगा लगा कर विजय मेरी चूत चोद रहा था।
हर धक्के के साथ विजय के टट्टे मेरी गांड से टकराकर पट पट की मधुर ध्वनि पैदा कर रहे थे और मेरी चूत से निकल रही फच फच की आवाज उसके सुर से ताल मिला रही थी।
आज पहली बार इतना दर्द हो रहा था कि जैसे मैं कोई कुंवारी लड़की हूं और आज ही विजय मेरी सील तोड़ी है लेकिन यह दर्द अब मज़े में बदल रहा था उसके धक्कों के साथ,
“चोद दे मेरे प्यारे चोद अपनी रानी को … फाड़ दे मेरी चूत … मिटा दे सारी खुजली इस गर्म चूत की … चोद मेरे भाई के साले … जोर जोर से चोद … आह्ह उम्म्म आह्ह ओह्ह … चोद और चोद!” मैं मस्त हुई चिल्ला रही थी.
“ओहह मेरे राजा तुमने मुझे शादी क्यों नहीं की. मैं तुम्हारा लण्ड अपनी चूत से कभी बाहर नहीं निकालती. हर समय तुम्हारे लौड़े को अपने चूत की गहराई में रखती.” मैं फ़ोन के सामने देख देख कर जोर जोर से बड़बड़ाये जा रही थी और विजय अपने पूरे दमखम से मेरी चुदाई कर रहा था।
10 मिनट इस पोज में चोदने के बाद विजय ने अपना लोड़ा में चूत में से निकाल दिया और पलंग पर बैठ गया और मुझे इशारे में अपनी गोद में आने को बोला.
मैं तुरंत उठ कर उसकी गोद में आकर बैठ गई. उसका लौड़ा नीचे मेरी चूत पर लग रहा था.
उसने तुरंत अपने हाथ से लौड़े को मेरी चूत की फांकों पर लगाया और मुझे नीचे बैठने को बोला.
मैं नीचे उसके लौड़े पर बैठती चली गई और उसका पूरा लौड़ा मेरी चूत में जड़ तक उतर गया.
उसके लौड़े पर मैं ऊपर नीचे होने लग गई और मेरे बूब्स उसके सीने में गड़ रहे थे.
मैंने उसकी बांहों में अपनी बांहें डाल ली. उसने भी मेरी गांड को अपने दोनों हाथो से पकड़ लिया और मुझे जोर जोर से अपने लौड़े पर ऊपर नीचे करने लगा.
अचानक मुझे भाभी की कहीं वह बात याद आ गई- वहां बेचारे ननदोई जी अकेले लण्ड हाथ में लेकर हिला रहे होंगे. और यहां उनकी पत्नी किसी और के लौड़े पर आज रात उछल कूद करने वाली है.
यह बात याद आते ही मैं विजय के लण्ड पर और जोर जोर से उछल कूद करने लग गई.
उसका लण्ड मेरी बच्चेदानी पर बार-बार ठोकर मार रहा था और मेरी चूत की जड़ को हिला रहा था. लेकिन मुझे मजा भी बहुत ज्यादा रहा था.
आज मुझे नया लण्ड मिला था उसकी खुशी में मैं पागल हुई जा रही थी.
लगभग बीस मिनट की चुदाई के दौरान मैं दो बार झड़ चुकी थी। लेकिन विजय अभी झड़ने का नाम नहीं ले रहा था.
मेरा पानी उसकी गोद में ही निकल चुका था और मैं जैसे-जैसे उसके लण्ड पर कूद रही थी … चूत और लण्ड की चुदाई में जोर जोर से फच..फच … फच..फच … फच … फच … की आवाज से पूरा कमर गूंज उठा था.
हम दोनों बार बार मोबाइल के सामने देख देख कर जोर जोर से बड़बड़ा रहे थे.
विजय ने मुझे अपनी गोद में से उतारा और मुझे पलंग पर दुबारा लिटा दिया.
उसने मेरी एक टांग अपने कंधे पर ले ली और अपना लौड़ा एक ही झटके में मेरी चूत में उतार दिया.
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मैं मस्ती के मारे ‘आह्हह … उह्ह … म्ह्ह्ह … अह्ह … ओह्ह्ह … उईई जान और जोर से चोदो अपनी शालू को …’ कर रही थी।
अब उसके धक्कों की स्पीड बढ़ चुकी थी और कुछ ही देर में उसकी सिसकारियां निकलने लगीं – आय यस … ओह्ह … बेबी … आह्ह … वाओ … फक यू … ओह्ह … फक यू डियर … आह्ह!
मैं उसके धक्कों की स्पीड से ज्यादा देर अपने आप को रोक नहीं पाई और झर झर झड़ने लगी।
पानी छुटने से चूत फच फच करने लगी।
विजय अब भी मस्त चुदाई कर रहा था। उसके धक्के अब और ज्यादा खतरनाक होते जा रहे थे। उसका लण्ड मेरी चूत के अंदर फूलने लगा था। मेरा अनुभव मुझे बता रहा था कि अब विजय के गर्म वीर्य से मेरी चूत की प्यास बुझने वाली है।
मुझे ज्यादा प्रतीक्षा नहीं करना पड़ी और दस बारह धक्कों के बाद विजय के लंड से गर्मागर्म वीर्य मेरी चूत में भरने लगा।
मैं तो जैसे जन्नत में पहुँच गई थी। मैंने विजय को अपनी टांगों में जकड़ लिया और उसके सर को भी अपनी चूचियों में दबा लिया और आनंद के समुद्र में गोते लगाने लगी। लण्ड से वीर्य अब भी रुक रुक कर निकल रहा था और मुझे आनन्द दे रहा था।
में विजय के लण्ड के हर झटके को और उसके वीर्य की हर धार को बच्चेदानी में महसूस कर रही थी. उसका वीर्य सीधा मेरी बच्चेदानी में ही गिर रहा था.
हमारी चुदाई में मैं तीन बार झड़ चुकी थी जबकि विजय ने पहली बार ही अपने अमृत से मेरी चूत को भरा था.
मैं विजय को और विजय मुझे पाकर बहुत खुश थे। पद्रह बीस मिनट ऐसे ही पड़े रहने के बाद हम दोनों अलग हुए।
मैं विजय से बोली- तुम्हारा मोटा और लंबा लण्ड लेकर तुम्हारे पत्नी धन्य हो गई है. तुम्हारे जैसा मोटे लण्ड वाला मर्द उसको मिला है. अगर तुम मेरी किस्मत में होते तो मेरी जिंदगी संवर जाती और मैं तुम्हारे लंबे लण्ड से हमेशा चुद कर निहाल हो जाती!
विजय मुझसे बोला- शालू, इस लण्ड पर मेरी शादी से पहले मैंने कई बार तुम्हारे नाम की मुट्ठ मारी है. दीदी की शादी में जब पहली बार तुमको देखा, उस रात मुझे तुम्हारे नाम की मुठ मारनी पड़ी थी.
वो बोलाता रहा- मैंने कई बार अपने लण्ड पर तुम्हारा नाम लिखा है. शादी के बाद भी जब जब भी तुम्हें देखा है तब मुझे रात में या तो मुठ मारने पड़ी या अपने पत्नी को तुम्हें समझ कर उसकी जोरदार चुदाई की है. इस पर लण्ड पर पहला हक तुम्हारा है उसके बाद मेरी पत्नी का! तुम जब भी मुझे कहीं भी बुलाओगी … मैं कैसे भी हालत में रहूंगा तो तुम्हारी चूत की सेवा करने हाजिर को जाऊंगा.
मैं उठकर मोबाइल के पास गई और वीडियो को बंद किया. मोबाइल को पलंग किनारे रख दिया और विजय के सामने ही गांड मटकाती हुई नंगी ही बाथरूम में घुस गई.
जैसे ही मैं पेशाब करने के लिए बैठी, विजय भी तुरंत बाथरूम में घुस गया.
मैं पेशाब करके उठी तो विजय भी मेरे सामने ही पेशाब करने लगा.
फिर उसने डब्बे में पानी लेकर अपने हाथों से मेरी चूत को साफ किया और मैंने उसके लण्ड पर लगे हुए वीर्य को पानी से धोया.
विजय और मैं वही बाथरूम में ही एक दूसरे से चुम्मा चाटी करने लग गए और दोबारा मस्ती में आ गए.
उसका नागराज अब दोबारा से फन उठाने लग गया और मैंने उसको अपने हाथों से पकड़ लिया.
विजय ने मेरी गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और अपने हाथों से मेरी गांड को दबाने लगा.
अचानक से उसने अपनी एक उंगली मेरी गांड में डाल दी.
उसकी उंगली मेरी गांड में जाते ही मेरी आंखें अचानक से बंद हो गई और मैं जोर से मस्ती के मारे ‘अहह … आहहह विजय’ करने लगी.
मैं विजय की बांहों से लिपट गई और उसका लण्ड जोर से दबा दिया.
विजय ने मुझे दीवार के सहारे वही उल्टा खड़ा कर दिया और खुद हाथ में पानी का डब्बा लेकर पीछे से मेरी गांड को धोने लगा. Men for SexNow is a platform addressing sexual health concerns, offering guidance on mitigating Viagra side effects. These include headaches, flushing, and dizziness, which might alleviate symptoms of impotence in some cases. मेरी गांड के छेद को उसने अच्छी तरह पानी से धोया.
और फिर नीचे बैठकर अपने दोनों हाथों से मेरी गांड को फैलाया और अपनी जीभ को मेरे गांड के छेद पर लगा दिया.
उसकी जीभ मेरी गांड पर रखते ही मैं एकदम से उछल पड़ी.
विजय मेरी गांड के छेद को जोर जोर से चाटने लगा और अपनी जीभ मेरी गांड के छेद के अंदर घुसाने लगा.
मस्ती के मारे मैं जोर जोर से चिल्ला रही थी- ओह्ह विजय … उईईई … आह विजय चाट ले मेरी गांड, पूरी चाट ले, मेरी गांड के छेद को पूरा भर ले अपने मुँह में जानू … ओह्ह जान चाट ले इसको, यह गांड हमेशा से तुम्हारी थी आज इस गांड को पूरी चाट ले मेरे राजा.
मैं फुल मस्ती में आ चुकी थी और विजय मेरी गांड के छेद को चाटने में व्यस्त था.
विजय ने मुझे सीधा किया और मेरी टांगों को पकड़कर मुझे अपनी गोद में उठा लिया.
मैंने उसके गले में अपनी बांहों को डाल दिया और उसको किस करने लग गई.
मैं उसके 90 डिग्री पर तने हुए लण्ड पर अपनी गांड को हिलाने लगी.
उसने मुझे गोद में उठाए हुए ही बाथरूम से निकलकर मुझे पलँग पर ले जाकर पटक दिया और खुद खुद मेरे ऊपर सवार हो गया.
विजय मुझसे बोला- शालू, अगर तुम्हारी परमिशन हो तो मैं तुम्हारी गांड मारना चाहता हूं. क्या तुम मुझे अपनी गांड मारने दोगी?
मैं जोर से हंस पड़ी और उसको बोली- मेरे भोले राजा तुम सच में बहुत भोले हो। साथ जीने मरने की कसमें खाई है और फिर भी तुम्हें लगता है कि मैं शालू से परमिशन की जरूरत है, मेरा शरीर पूरा तुम्हारा है और मेरे शरीर का हर अंग तुम्हारा है. जहां अपना लौड़ा घुसाना चाहो वहां घुसा सकते हो बिना मेरी परमिशन के!
मैंने आगे बताया- मैंने तो जयपुर से कार में बैठते ही मन बना लिया था कि अबकी बार तुम्हारे लौड़े की सवारी करनी है और अपने हर एक छेद में तुम्हारा लोड़ा लेना है. तो अब तुम्हें किसी भी परमिशन की जरूरत नहीं है.
मेरे इतना कहते ही विजय ने मुझे तुरंत पलंग पर ही उल्टा लिटा दिया और दुबारा से मेरी गांड को फैलाकर मेरी गांड के छेद पर अपनी जीभ चला दी.
मुझे पता था कि उसका लंबा मोटा लौड़ा मेरी गांड को पूरी तरह से फाड़ कर रख देगा.
लेकिन मैं भी एक खेली खाई हुई औरत थी … इस तरह हार नहीं मान सकती थी उसके लौड़े के आगे!
इसलिए मैंने भी पूरा मन बना लिया था उसके लौड़े को अपनी गांड में लेने के लिए और सोचा ‘जो होगा देखा जाएगा!’
विजय उठकर खड़ा हो गया और अलमारी में से जाकर नीविया क्रीम की डब्बी लेकर आ गया और मुझे घोड़ी बनने के लिए बोला.
मैं उसके सामने नंगी गांड करके घोड़ी बन गई.
उसने अपने हाथ में क्रीम लेकर अच्छी तरह से मेरी गांड के छेद पर क्रीम को मल दिया और अपनी उंगली से मेरी गांड के छेद के अंदर तक क्रीम डाल दी.
क्रीम की चिकनाई से मेरी गांड का छेद काफी नर्म हो गया.
विजय ने मुझे सीधा किया और अपने लण्ड को चाटने का इशारा किया.
मैं तो जैसे तैयार ही बैठी थी, घुटनों के बल बैठ कर विजय के लण्ड को अपने मुंह में पूरा भर लिया.
मैंने विजय के लण्ड को और उसके आण्डों को जोर जोर से चाट चाट कर पूरा गीला कर दिया.
उसका लोड़ा बिल्कुल कड़क हो चुका था.
उसने मेरे बालों को पकड़कर जोर-जोर से मेरे मुंह को चोदना शुरू कर दिया. उसका लण्ड मेरे मुंह के अंतिम छोर तक जा रहा था और मेरे मुंह से थूक की लार गिर गिर कर मेरे घुटनों और मेरे बूब्स पर गिर रही थी.
वह अपने लण्ड से मेरा मुखचोदन कर रहा था.
अब मेरा मुंह चुदाई से दुखने लग गया था और मैं जोर-जोर से गो..गो..गो..गो. की आवाज निकाल रही थी.
वह पलंग पर खड़ा खड़ा मेरा मुखचोदन कर रहा था.
मेरी जोरदार चुदाई की कहानी पर अपने कमेंट्स अवश्य भेजें.
जोरदार चुदाई की कहानी जारी रहेगी.